आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, सेना के शिविर में घुसने के लिए आतंकवादियों ने ड्यूटी पर तैनात सिपाही पर साइलेंसर लगे बंदूक से फायरिंग किया था। इसके बाद घने पेड़ पौधों की आड़ में आतंकी छुप गए। वहीं बताया गया कि जब तैनात सिपाही को गिरने का पता गला तो छावनी में हड़कंप मच गई। जिसके बाद सेना को अलर्ट कर दिया गया।
सूत्रों के मुताबिक, जिस तरफ जहां सिपाही को गोली लगी थी, वहां सैनिकों के परिजन रहते हैं। जिसके तुरंत बाद ही गोलीबारी शुरु हो गई। साथ ही हमला करने आए आतंकियों का सही पता लगाने के लिए रोशनी गोले भी दागे गए थे। जिसके बाद आतंकी छुपने के लिए पास के दो मंजिला भवन में जा छुपे।
इस ऑपरेशन के दौरान सेना ने ड्रोन का भी इस्तेमाल किया था। घने पेड़ पौधों का सहारा लेकर आतंकी पास के दो मंजिला भवन में जा छुपे थे। जहां सैनिकों का परिवार रहता है। ऐसे में हालात को देखते हुए सेना ने पैराकमांडो की मदद से महिलाओं और बच्चों को बाहर निकला। जिसके बाद आतंकियों पर हमला तेज किया।
गौरतलब हो इस हमले में आतंकियों से लोहा लेते हुए सेना के 2 अधिकारियों समेत 7 जवानों ने अपनी कुर्बानी दी थी। सूत्रों ने जांच के मुताबिक बताया कि ड्रोन के जरिए स्नाइपर्स को शिविर में छिपे आतंकवादियों को मार गिराने सहायता मिली। इस हमले में शामिल आतंकियों को कश्मीर से माना जा रहा था, लेकिन जांच एजेंसियों ने कई जगहों पर लगे कैमरों के फुटेज देखें और ढ़ेर सारे पहलुओं की जांच की। जिसके बाद उन्होंने इस बात खारिज कर दिया।