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PM Modi Cabinet की मेहनत रंग लाई, 10 सालों में घट गई अमीरी गरीबी की खाई

PM Modi Cabinet : अमीरों की तुलना में गरीबों का उपभोग खर्च बढ़ना बताता है कि देश में असमानता में कमी आई है। साथ ही, इससे यह भी पता चलता है कि शहरी क्षेत्रों में असमानता में ज्यादा कमी आई है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में असमानता में अपेक्षाकृत कम कमी हुई है।

नई दिल्लीJun 09, 2024 / 02:16 pm

Anand Mani Tripathi

नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) की हाउसहोल्ड कंजम्पशन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार 2011-12 से 2022-23 के दौरान देश में आर्थिक असमानता में कमी दर्ज की गई है। रिपोर्ट बताती है कि उपभोग पर किए जाने वाले खर्च में देश के सबसे अमीर 10 फीसदी परिवारों का हिस्सा कम हुआ है। दूसरी ओर उपभोग पर सबसे गरीब आबादी का खर्च बढ़ गया है। इससे पता चलता है कि अमीरी और गरीबी की खाई में कमी आई है, क्योंकि उपभोग पर पूरे देश में किए जा रहे कुल खर्च में गरीब आबादी का हिस्सा बढ़ रहा है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देश के कुल उपभोग व्यय में ग्रामीण और शहरी परिवारों के शीर्ष 10% का हिस्सा केवल 22.7% और 25.7% है। जबकि 2011-12 में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए यह हिस्सा 24.6% और 29.7% था।
इस तरह सबसे अमीर आबादी के इस खर्च में 2011-12 की तुलना में कमी आई है। वहीं, कुल उपभोग में निचले 50% का हिस्सा 31.8% और 28.6% है। जबकि, 2011-12 में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए निचले 50% का हिस्सा 30.9% और 25.9% था। इस तरह 2011-12 की तुलना में गरीब आबादी के खर्च में वृद्धि हुई है। अमीरों की तुलना में गरीबों का उपभोग खर्च बढ़ना बताता है कि देश में असमानता में कमी आई है। साथ ही, इससे यह भी पता चलता है कि शहरी क्षेत्रों में असमानता में ज्यादा कमी आई है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में असमानता में अपेक्षाकृत कम कमी हुई है।
उपभोगः केरल और तेलंगाना देश के सबसे समृद्ध राज्य
अमीरों और गरीबों के बीच की खाई शहरी और ग्रामीण दोनों तरह के क्षेत्रों में कम हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों के हिसाब से उपभोग के पैमाने पर केरल सबसे अमीर राज्य है, जहां प्रति व्यक्ति मासिक उपभोग व्यय 5,924 रुपये है। वहीं शहरी इलाकों के हिसाब से तेलंगाना सबसे समृद्ध राज्य है। तेलंगाना के शहरी इलाकों में उपभोग पर लोग औसतन हर महीने 8,158 रुपये खर्च कर रहे हैं। यह औसत देश के अन्य राज्यों के शहरी इलाकों की तुलना में सबसे ज्यादा है।
10 साल बाद आई रिपोर्ट
इस सर्वेक्षण ग्रामीण क्षेत्र के 8,723 गांवों में 1,55,014 परिवार शामिल किए गए, जबकि शहरी क्षेत्र में 6,115 ब्लॉकों के 1,06,732 परिवार इसमें शामिल किए गए। उपभोग के स्तर पर एनएसएसओ की मौजूदा रिपोर्ट काफी अंतराल के बाद आई है। इससे पहले आखिरी रिपोर्ट 2011-12 में आई थी। उसके बाद 2017-18 में भी रिपोर्ट का प्रकाशन होना था, लेकिन मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उसे सरकार ने खारिज कर दिया था। बाद में कोरोना महामारी के चलते सर्वेक्षण का काम टलता रहा और उसके चलते रिपोर्ट को तैयार किए जाने में देरी होती चली गई।
सर्वेक्षण के आंकड़ों पर सवाल
इस सर्वेक्षण पर भी सवाल उठाए गए हैं। जानकारों का कहना है कि रिपोर्ट में उपभोग असमानता की वास्तविक सीमा को कम करके आंका गया है। उदाहरण के लिए रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण और शहरी परिवारों के शीर्ष 5% का औसत मासिक उपभोग केवल 10,501 और 20,824 रुपए है। देश के अमीर वर्ग के मौजूदा उपभोग स्तर को देखते हुए यह खर्च हकीकत से दूर लगता है।

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