आइटी मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी ने कहा, विदेश में कम कर रहे युवाओं के साथ अनुभवी प्रतिभाएं भारत आ जाएंगी। अमरीका में काम कर रहे जो भारतीय इंजीनियर देश लौटना चाहते हैं, उनमें ज्यादातर युवा हैं। जबकि ताइवान, सिंगापुर और मलेशिया से वापसी करने के इच्छुक इंजीनियर 45 साल से अधिक उम्र के और काफी अनुभवी हैं। अधिकारी ने कहा, अमरीका में काम कर रहे वरिष्ठ और अनुभवी सेमीकंडक्टर पेशेवर देश नहीं लौटना चाहते, क्योंकि वे अपने परिवार के साथ वहीं बस चुके हैं। लेकिन एशियाई देशों में कई साल से काम कर रहे इंजीनियर भारत लौटना चाहते हैं और नए मौके तलाश रहे हैं।
टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स सेमीकंडक्टर बनाने में माहिर ताइवान के प्रोफेशनल को अपने साथ जोडऩे में जुट गई है। कंपनी ने हाल ही में चिप उत्पादन के लिए प्रतिभाओं को आकर्षित करने के मकसद से ताइवान के सिंचु काउंटी में रोडशो किया। कंपनी ऑटोमेशन इंजीनियरों से लेकर 7 तरह के प्रोफेशनल्स को भारत लाना चाह रही है, जिनके पास इन क्षेत्रों में 5 से 18 साल काम करने का अनुभव है। टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने टेक्नोलॉजी के लिए ताइवान की चिप कंपनी पीएसएमसी के साथ समझौता किया है, जहां कंपनी के कर्मचारी 18 महीने तक प्रशिक्षण ले सकते हैं।
- दुनिया में सबसे ज्यादा इंजीनियर भारत से ही निकलते हैं मगर उनके पास सेमीकंडक्टर बनाने का अनुभव नहीं है। इसलिए कंपनियों को दुनियाभर से वरिष्ठ प्रतिभाएं भारत लानी पड़ेंगी और यहां भी प्रतिभाओं का पूल तैयार करना होगा।
- अनुभवी प्रशिक्षित इंजीनियरों की कमी, भारत में जटिल प्रशासनिक ढांच और इलेक्ट्रॉनिक्स पुर्जों के आयात पर अधिक शुल्क के कारण ताइवान की कंपनियां भारत में निवेश से झिझक सकती हैं।
- विशेषज्ञों ने कहा एक-दो कंपनी के आने से बात नहीं बनेगी। आइसी डिजाइन, टेस्टिंग, पैकेजिंग और मटीरियल सप्लाई सहित पूरे सप्लाई चेन को भारत आना होगा, तभी सफलता मिलेगी।
कंपनी हायरिंग की तैयारी
टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स 47,000
माइक्रोन टेक्नोलॉजी 5,000
एसरैम एंड एमरैम 5,000
केनेस टेक्नोलॉजी 2,000
(देश में चिप निर्माण के लिए चार निर्माणाधीन इकाइयों में बढ़ी प्रतिभाओं की मांग)