इस से रोबोकॉल, स्पैम और धोखाधड़ी वाली कॉल की समस्याओं से छुटकारा मिल सकेगा। ट्राई ने कहा कि कुछ स्वदेशी स्मार्टफोन टूल, ट्रूकॉलर और भारत कॉलर आइडी एंड एंटी-स्पैम जैसे थर्ड-पार्टी ऐप पहले से ही स्पैम पहचान और कॉलिंग पार्टी के नाम की पहचान की सुविधा प्रदान करते हैं। ये सेवाएं क्राउड-सोस्र्ड डेटा पर निर्भर करती हैं। ऐसे में यह पूरी तरह भरोसेमंद नहीं होती।
ये हैं सिफारिशें…
1. मोबाइल पर कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन सर्विस शुरू करें। इसके लिए समय सीमा निर्धारित करें।
2. सेवा प्रदाता के केंद्रीय ग्राहक डेटाबेस फोन कॉल के बारे में जानकारी उपलब्ध कराएं।
3.थोक कनेक्शन और व्यावसायिक कनेक्शन रखने वाली संस्थाओं को ग्राहक आवेदन पत्र में प्रदर्शित नाम के स्थान पर अपना पसंदीदा नाम प्रस्तुत करने की अनुमति दें।
4. केंद्र सरकार देश में बेचे जाने वाले सभी उपकरणों में एक विशिष्ट तिथि के बाद सीएनएपी सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश जारी करे।