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Tripura Assembly Bypolls Results: त्रिपुरा के उपचुनावों में BJP का शानदार प्रदर्शन, Manik Saha की जीत के क्या है मायने?

Published: Jun 26, 2022 02:58:36 pm

Submitted by:

Mahima Pandey

Tripura Bypoll result: त्रिपुरा में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 4 में से 3 सीटों पर जीत दर्ज की है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर ये नतीजे काफी अहम माने जा रहे हैं।

Tripura Assembly Bypolls Results:  BJP performing well, CM Manik Saha wins, what it means

Tripura Assembly Bypolls Results: BJP performing well, CM Manik Saha wins, what it means

त्रिपुरा की तीन विधानसभा सीटों हुए उपचुनावों में बीजेपी का प्रदर्शन शानदार बना हुआ है। त्रिपुरा की चार सीटों पर उपचुनाव हुए जिसमें से 3 पर बीजेपी ने जीत दर्ज कर ली है जबकि अगरतला सीट कांग्रेस के खाते में गई है। इन आंकड़ों से जो चीज स्पष्ट हो रही है वो ये की त्रिपुरा में सत्ता विरोधी लहर को काटने के लिए बीजेपी का सीएम बदलने का दांव सफल साबित हुआ है। इसके अलावा ये आँकड़े बताते हैं कि त्रिपुरा के सीएम माणिक साहा जनता के बीच अपनी जगह बनाने में सफल हुए हैं। ये नतीजे त्रिपुरा में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले सेमीफाइनल की तरह देखे जा रहे थे जिसमें बीजेपी ने बाजी मार ली है।
बीजेपी की जीत के क्या है मायने?
त्रिपुरा में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनावों से पूर्व बीजेपी ने सत्ता विरोधी लहर को काटने के लिए बड़ा फेरबदल करते हुए सीएम ही बदल दिया था। पूर्व सीएम बिपल्व देब के इस्तीफे के बाद माणिक साहा को मुख्यमंत्री बनाया गया था जिनके लिए इस पद पर बने रहने के लिए उपचुनाव जीतना आवश्यक था। बीजेपी प्रत्याशी और मुख्यमंत्री माणिक साहा टाउन बोरदोवाली सीट से जीत भी दर्ज कर ली है। यही नहीं त्रिपुरा की चार सीटों में 3 पर बीजेपी ने जीत दर्ज कर ली है।

ये जीत बीजेपी की अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर काफी महत्वपूर्ण है। बीजेपी ने संगठन के स्तर पर पार्टी को मजबूत बनाने के लिए भी सीएम चेहरे का बदलाव किया था क्योंकि खबरें थीं की बिपल्व देब को लेकर पार्टी में नाराजगी थी। ऐसे में जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने का काम आंतरिक मतभेद के कारण पीछे रह जाता।

माणिक साहा को मिल रहा पार्टी और जनता का साथ?
माणिक साहा की टाउन बोरदोवाली सीट से जीत से साफ है कि पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ उन्हें आम जनता ने भी अपना लिया है। आगामी चुनावों के लिए अपनी तैयारियों को और मजबूत करने पर अब सीएम का फोकस होगा।

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आदिवासियों को भी सीएम बदल भेजा था संदेश
देबबर्मन की अगुवाई वाले TIPRA पार्टी जिस तरह से त्रिपुरा में बढ़त बना रही थी जिसने बीजेपी की चिंताओं को बढ़ा दिया था। TIPRA ने त्रिपुरा आदिवासी क्षेत्र स्वशासी जिला परिषद के चुनावों में बाजी मार बीजेपी को बड़ा झटका दिया था। वहीं, ‘टिपरा मोथा’ ने आदिवासियों के लिए अलग राज्य की मांग उठाकर बीजेपी के लिए मुसीबतें और बढ़ा दी थीं।

हालांकि, बीजेपी ने सीएम बदलने के साथ ही कैबिनेट में भी फेरबदल कर मंत्रिमंडल में कई आदिवासी चेहरों को जगह दी। इसके बाद बीजेपी ने आदिवासी फ्रंटल विंग जनजाति मोर्चा को पुनर्गठित किया, जिसमें लोकसभा सांसद रेबती त्रिपुरा की जगह आदिवासी नेता बिकाश देबबर्मा को प्रमुख बनाया गया। हाल ही में बीजेपी ने राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाकर अपना एक और दांव चला और शायद इसका प्रभाव भी त्रिपुरा के उपचुनावों पर दिखाई दे रहा है। इससे स्पष्ट है बीजेपी आदिवासी समुदायों तक अपना संदेश भेजने में कुछ हद तक कामयाब हुई है।
आदिवासियों का त्रिपुरा में कितना प्रभाव
दरअसल, त्रिपुरा में आदिवासियों की आबादी 31.8 फ़ीसदी है जो चुनावी समीकरण को बना भी सकते हैं और बिगाड़ भी सकते हैं। 60 विधानसभा वाले त्रिपुरा में 20 सीटों पर आदिवासियों का प्रभाव है। इन सीटों को सत्ता की चाबी भी माना जाता है। बीजेपी वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों में मिली जीत को अगले वर्ष भी दोहराने के लिए पूरे प्रयास कर रही है।

TMC की कोशिशें नाकाम
पूर्वोत्तर राज्य में अपनी पैठ बनाने में जुटी टीएमसी सभी सीटों पर चौथे स्थान पर रही। इस पार्टी के उम्मीदवारों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। इससे स्पष्ट है की त्रिपुरा में TMC के दांव-पेंच का जनता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। ऐसे में ममता बनर्जी की पार्टी को अपने प्रयासों में और तेजी लाने की दिशा में जुटना होगा।

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