दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में उनका सांस की तकलीफ का इलाज चल रहा था. बताया जा रहा है कि दवे फेफड़े के कैंसर से पीड़ित थे. उन्होंने देहांत से कई साल पहले अपनी कुछ इच्छाएं जाहिर की थी। जिसमें उन्होंने लिखा था कि मेरा अंतिम संस्कार बाद्राभान में नदी महोत्सव वाले स्थान पर किया जाए। उनकी दूसरी इच्छा थी कि मेरी अंतिम क्रिया के रूप में केवल वैदिक कर्म ही हो, किसी भी प्रकार का दिखावा, आडंबर न हो।
पत्र में उन्होंने लिखा था कि मरने के बाद मेरी स्मृति में कोई भी स्मारक, प्रतियोगिता, पुरस्कार, प्रतिमा न बनाई जाए। साथ ही कहा था कि मेरे देहांत के बाद जो लोग मेरी स्मृति में कुछ करना चाहते हैं, वे कृपया वृक्षों को बोएं और उन्हें संरक्षित कर बड़ा करने का कार्य करें, तो मुझे खुशी होगी. ऐसा करते हुए भी मेरे नाम का इस्तेमाल न करें।
अनिल माधव दवे मध्य प्रदेश भाजपा का बड़ा चेहरा थे। उनका पार्थिव शरीर 11 सफदरजंग रोड पर श्रद्धांजलि देने के लिए रखा गया है। जहां भोपाल दफ्तर में शाम को उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी। देर शाम अनिल माधव दवे के पार्थिव शरीर को इंदौर में उनके भाई अभय दवे के घर ले जाया जायेगा। इसके बाद शुक्रवार सुबह 9 बजे इंदौर में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
वहीं पीएम मोदी ने ट्वीट कर दवे के निधन पर गहरा शोक जताया है। पीएम मोदी ने कहा कि मैं कल शाम को अनिल दवे जी के साथ था, उनके साथ नीतिगत मुद्दों पर चर्चा कर रहा था। उनका निधन मेरा निजी नुकसान है। उन्हें लोग जुझारू लोक सेवक के तौर पर याद रखेंगे।
मध्यप्रदेश से राज्यसभा सांसद श्री दवे को पांच जुलाई 2016 को वन एवं पर्यावरण मंत्री का कार्यभार सौंपा गया था। उनके मंत्रित्वकाल में हाल ही में सरसो की जीएम फसल को पर्यावरण मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति ने व्यवसायिक खेती की मंजूरी दी थी जिसे लेकर कई कृषक संगठनों ने गहरा विरोध जताया था।
राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की पृषठभूमि के अनिल दवे ने नर्मदा नदी बचाओ अभियान में काफी काम किया था। वे सेना के विमान से नर्मदा का चक्कर लगा चुके थे और 1,312 किलोमीटर लंबी इस नदी में राफ्टिंग भी कर चुके थे।