65 से ज्यादा किताबें लिखीं
गोपीचंद नारंग का जन्म डुक्की में हुआ था। ये डुक्की अब पाकिस्तान के बलूचिस्तान इलाके में आता है। प्रोफेसर नारंग ने उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी में भाषा, साहित्य, काव्य और सांस्कृति अध्ययन पर 65 से ज्यादा किताबें लिखीं थी। यही वजह है कि साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मानों में शामिल पदम भूषण और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
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दिल्ली यूनिवर्सिटी से की पढ़ाई और बने प्रोफेसरगोपीचंद नारंग ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफन कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की थी। खास बात यह है कि इसके बाद वे यहीं पर प्रोफेसर के तौर पर काम भी करने लगे।
अपने साहित्य के इस सफर में नारंग को कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया। उनके निधन की खबर मिलते ही सोशल मीडिया पर उनके चाहने वालों ने उन्हें याद किया।
इसके साथ ही उनकी समालोचना ‘साख्तियात पस–साख्तियात’ और ‘मशरीकी शेरियात’ के लिए उन्हें सन् 1995 में ही साहित्य अकादमी पुरस्कार (उर्दू) से नवाजा गया था। कुछ समय पहले नारंग ने मीर तकी मीर, गालिब और उर्दू गजल पर अपने प्रमुख कार्यों के अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित किए थे।