script

सत्याग्रह ने रंग दिखाया, बेटियों ने जीती जंग, स्कूल अपग्रेड होते ही झूम उठा गांव

Published: May 17, 2017 07:25:00 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

छेड़छाड़ से दुखी होकर स्कूल अपग्रेड करने की जिद को लेकर भूख हड़ताल पर बैठी गांव गोठड़ा टप्पा डहीना की छात्राओं के सत्याग्रह ने आखिर रंग दिखाया और 8 दिनों की जंग के बाद उनकी जीत हुई।

Girl students in Rewari

Girl students in Rewari

छेड़छाड़ से दुखी होकर स्कूल अपग्रेड करने की जिद को लेकर भूख हड़ताल पर बैठी गांव गोठड़ा टप्पा डहीना की छात्राओं के सत्याग्रह ने आखिर रंग दिखाया और 8 दिनों की जंग के बाद उनकी जीत हुई। भूखी-प्यासी बेटियों को बुधवार को जिला उपायुक्त डा. यश गर्ग ने स्कूल को अपग्रेड के नोटिफिकेशन की प्रति स्वयं गांव जा कर दी। 
उन्होंने जूस पिला कर छात्राओं का जब अनशन तुड़वाया तो पूरा गांव खुशी से झूम उठा। सबके चेहरों पर खुशी के आंसू थे। उनके चेहरों पर जैसे लिखा हुआ था कि- हम जीत गए। भूख हड़ताली छात्राएं गले मिल कर एक-दूसरे को बधाई दे रही थीं।
सम्मान व शिक्षा की लड़ाई:

गौरतलब है कि ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा के पानीपत से ही की थी। लेकिन हालात बता रहे हैं कि प्रदेश की बेटियां कितनी सुरक्षित हैं और कितना पढ़ रही है। इसका जीवंत उदाहरण जिला के गांव गोठड़ा टप्पा डहीना में देखने को मिला। जहां छेड़छाड़ से त्रस्त होकर छात्राएं पढ़ाई छोड़ चुकी थी और पिछले 8 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठी थी।
 वे सम्मान व शिक्षा पाने की जंग लड़ रही थी। इन बेटियों को सत्याग्रह जहां पूरे देश में सुर्खियां बटोर चुका था, वहीं सरकार के मंत्री व प्रशासनिक अधिकारियों ने इन्हें भूखे-प्यासे मरने को छोड़ रखा था। लेकिन छात्राओं का भी संकल्प था कि ‘जब तक स्कूल अपग्रेडडेशन नहीं-तब तक अन्न नहीं लेंगी।
अभिभावकों ने सरकारी सुविधा लेने से किया था इंकार

भूख हड़ताल के 8 दिनों के दौरान धरने पर बैठी 80 छात्राओं में से कई छात्राओं की हालत बिगड़ चुकी थी। उन्हें अस्पताल में भर्ती तक होना पड़ा था। जहां उन्हें ग्लूकोज लगाया गया। लेकिन ठीक होने पर वे पुन: धरने पर आ बैठी थी। छात्राओं के दृढ़ संकल्प को देखते हुए उनके अभिभावक भी सत्याग्रह में कूद पड़े थे।
 अभिभावक सरकार से इतने नाराज थे कि उन्होंने कोई भी सरकारी सुविधा लेने से इंकार तक कर दिया था। गांव में दो-दो एम्बूलेंस खड़ी होने के बावजूद अभिभावक अपनी बाइक पर छात्राओं को बिठा कर अस्पताल तक ले गए। अभिभावकों का कहना था कि अगर सरकार को कुछ करना ही है तो स्कूल को अपग्रेड कर लैटर उनके हाथ में दे और स्टाफ की कमी को पूरा करे।
यह कहना छात्राओं का

8 दिन तक भूख हड़ताल पर रही छात्रा पूजा व शीतल का कहना है कि- शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा स्कूल अपग्रेडशन की बात टीवी पर तो कर रहे हैं। लेकिन उनके पास हमारे यहां आने का समय तक नहीं है। वे अपने ही दक्षिण हरियाणा की बेटियों के प्रति कितना संजीदा है, यह साफ पता चलता है। 
उन्होंने कहा कि वे शिक्षा के प्रति गंभीर हैं। वे पढ़-लिख कर आगे बढऩा चाहती हैं। लेकिन इज्जत दांव पर लगा कर नहीं। दूसरे गांव में स्कूल जाते समय उनके साथ छेड़छाड़ की जाती है, मनचले दुपट्टा खिंचते हैं, फोटो खीचते हैं, फब्तियां कसते हैं, फोन नंबर लिखकर उनकी ओर पर्चियां फैंकते हैं। अब यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
8 दिन बाद टूटी सरकार की नींद

भूख हड़ताली छात्रा तन्नू, संगीता, रेखा, सुजाता ने कहा कि- स्कूल को अपगे्रड कराने का यह काम इतना आसान नहीं था। 8 दिनों के बाद सरकार की नींद टूटी है। यदि हम अनशन पर नहीं बैठती तो ये स्कूल अपगे्रड अभी नहीं होता। हमने अपना जीवन दांव पर लगा दिया था। 
कई बहनों की बहुत ज्यादा हालत बिगड़ी पर हिम्मत नहीं हारी। माता-पिता व गांव वालों ने खूब साथ दिया। यदि वे साथ नहीं देते तो यह आंदोलन बीच में ही खत्म हो जाता और उन्हें 12वीं की तक का स्कूल नहीं मिलता। 
स्कूल अपगे्रड होने से हम बहुत खुश हैं। अब हम मन करके व चिंतामुक्त हो कर पढ़ाई कर सकेंगे। सरकार को चाहिए कि वह अपनी घोषणा पर अमल करते हुए जल्दी से जल्दी स्टाफ यहां भिजवा दें।

ट्रेंडिंग वीडियो