प्राप्त जानकारी के अनुसार यह बन्नी उत्सव मनाने की प्रथा दशकों से चली आ रही है, जिसमें लोग भगवान की मूर्ति को अपने साथ ले जाने के लिए छीना झपटी करते हैं और एक दूसरे के सिर पर लाठियों से वार करते हैं। यह मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश के कर्नूल जिले के होलागुंडा मंडल स्थित देवरगट्टू इलाके में दशहरे के दिन मनाया जाता है। हर साल इसको मनाते हुए सिर पर चोट लगने से कई लोग बुरी तरह घायल भी हो जाते हैं, जिसके बाद भी लोग इसे हर साल मनाते हैं।
भारी बारिश के बाद भी लगभग 11 गांवों के लोग बन्नी उत्सव में शामिल होने के लिए आए हुए थे। इन गावों के लोग दो भाग में बट गए और फिर बन्नी उत्सव की शुरुआत हुई, जिसमें भगवान की मूर्ति लेने के लिए छीना झपटी शुरू हुई। इसके बाद जब लोग एक दूसरे पर लाठी से वार कर रहे थे तभी बन्नी उत्सव हिंसक हो गया। बन्नी उत्सव में हिंसा रोकने के लिए राज्य सरकार के द्वारा लगभग 800 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था, लेकिन इसके बाद इस हर साल की तरह इस साल भी हिंसा को नहीं रोका जा सका।