ऐसे में अब केंद्र सरकार महंगे हथियारों में बायोमेट्रिक और जीपीएस जैसी तकनीक जोडऩे की तैयारी कर रही है। गृह मंत्रालय की आंतरिक रिपोर्ट के मुताबिक कश्मीर में सुरक्षा बलों से हथियार छीने जाने की बीते एक साल के दौरान 14 बड़ी घटनाएं हुई हैं। इनमें 88 घातक हथियारों के साथ ही बहुत बड़ी तादाद में इनकी मैगजीन भी उन्होंने हथिया ली हैं। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए राज्य में तैनात हथियारबंद सुरक्षा कर्मियों के लिए नए निर्देश तो तैयार किए ही जा रहे हैं।
विदेश से सप्लाई नहीं इसलिए बढ़ी घटनाएं गृह मंत्रालय अधिकारी कहते हैं कि इसकी एक वजह तो हाल की सख्ती के बाद विदेश से होने वाली सप्लाई ठप हो जाना है। ऐसे में वे कभी बैंक लूटने की कोशिश करते हैं तो कभी हथियार। साथ ही वे यह भी मानते हैं कि इसकी एक वजह आतंकियों का वह पैंतरा भी हो सकता है।
नक्सल प्रभावित इलाकों में भी प्रयोग वरिष्ठ सूत्रों के मुताबिक खास तौर पर आतंकी और नक्सल प्रभावित इलाकों में उपयोग के लिए महंगे हथियारों में नई तकनीक का उपयोग किया जाएगा। दूसरे देशों में उपयोग में लाई जा रही ऐसी तकनीक पर विचार किया जा चुका है। इसके बाद अब ऐसी सेवा देने वाली कंपनियों से भी चर्चा की जा चुकी है। इसमें दो विकल्प पाए गए हैं। एक तो यह है कि हथियार में जीपीएस लगा दिए जाएं जिससे उनके छीने जाने के बाद भी उसका लोकेशन हासिल किया जा सके। दूसरा है, हथियार को बायोमेट्रिक से ही संचालित करने की व्यवस्था। ऐसे में आतंककारी हथियार छीन लेने के बाद भी उसका इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। गौरतलब है कि आतंकी संगठनों में हथियार लूट कर लाने को एक योग्यता माना जाता है। इसलिए भी ये घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। आतंकी संगठन इसके बाद इन लुटेरों को अपने संगठन में भर्ती कर लेते हैं। जिसके कारण हाल में ये घटनाएं बढ़ी हैं।
एक साल में छीने गए हथियार एके-47 08 एसएलआर 34 इंसास 37 एलएमजी 09