वहीं इससे पहले सोमवार को बंगाल विधानसभा में एक विधेयक को पारित किया गया था, जिसमें राज्यपाल से यूनिवर्सिटी के चांसलर पद से हटाने और सीएम ममता बनर्जी को इस पद पर बिठाने का प्रावधान है। तो वहीं मंगलवार को राज्य के निजी विश्वविद्यालयों में विजिटर के रूप में शिक्षा मंत्री को नियुक्त किये जाने की वकालत करने वाले विधेयक को पारित कर दिया गया।
वहीं बीजेपी नेता ने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा की जिनके पास इतने विभाग हैं, उन विभागों को संभालने का समय नहीं हैं तो वो इतने सारे विश्वविद्यालयों का भार कैसे संभालेगें? बीजेपी ने आरोप लगाया कि, ''राज्य में शिक्षा में भ्रष्टाचार सबसे ज्यादा है. इस भ्रष्टाचार को बढ़ाने के प्रयास हो रहे हैं। तृणमूल को इतनी दिक्कतें हैं क्योंकि राज्यपाल भ्रष्टाचार की बात करते हैं।"
बीजेपी ने आरोप लगाया कि, ''राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में भ्रष्टाचार सबसे ज्यादा है। इस भ्रष्टाचार को बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। तृणमूल को इतनी दिक्कतें इसलिए हो रही हैं क्योंकि राज्यपाल भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते रहे हैं।" जिसके बाद तृणमूल कांग्रेस ने राज्यपाल धनखड़ पर विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति में अनियमितता के आरोप लगाए और कार्रवाई के संकेत दिए।
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तो वहीं पश्चिम बंगाल के विपक्ष के नेता, सुवेंदु अधिकारी ने कहा, "जॉर्जिया विश्वविद्यालय की झूठी डिग्री के साथ, वह चांसलर बन जाएगी? हमें विश्वास नहीं होता। वह डॉक्टरेट क्यों नहीं लिख सकती?" इसके साथ हीं सुवेंदु अधिकारी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ से विधेयक को केंद्र के पास भेजने की मांग की है। उन्होंने कहा की राज्यपाल के पास इस विधेयक को रोकने के तीन तरीके हैं।पहला तो यह की वो विधेयक सरकार को वापस भेज सकते हैं। हालांकि विधेयक लौटाने का अधिकार एक बार ही है। दूसरा, राज्यपाल विधेयक को अपने पास अनिश्चित काल के लिए होल्ड कर सकते हैं। तो वहीं तीसरा तरीका ये है की वो निर्देश के लिए केंद्र सरकार को भेज सकते हैं। आपको बता दें, जब तक राज्यपाल की अनुमति नहीं मिलेगी तब तक बंगाल सरकार संवैधानिक तौर पर इसे लागू नहीं सकती है।
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