ईशनिंदा का मतलब है कि किसी धर्म या मजहब की आस्था का अपमान करना है। इसमें किसी धर्म प्रतीकों, चिन्हों, पवित्र वस्तुओं का मजाक करना भी ईशनिंदा माना जाता है। इसके लिए अधिकतर मुस्लिम देशों में कानून बनाए गए हैं जिसके तहत उम्र कैद से लेकर फांसी तक के प्रावधान है। हालांकि, इन देशों में ईशनिंदा कानून का इस्तेमाल अधिकतर लोग आपसी दुश्मनी के लिए करते हैं। पाकिस्तान अक्सर इस कानून की वजह से चर्चा में रहता है। यहाँ ईशनिंदा कानून की आड़ में निर्दोष लोगों को फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया जाता है, तो कुछ मामलों में मौत के घाट उतार दिया जाता है।
उदाहरण के लिए, पाकिस्तान में आसिया बीबी का मामला सबसे अधिक चर्चा में रहा था। आसिया पर उसकी पड़ोसी महिलाओं ने पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने के आरोप लगाए थे। तब पाकिस्तान के पंजाब के पूर्व गवर्नर सलमान तासीर ने आसिया बीबी की वकालत की थी जिससे गुस्साये कट्टरपंथियों ने उन्हें मौत के घाट उतार दिया था।
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भारत के संविधान में क्या है प्रावधान?भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहां केवल संविधान के जरिए ही हर धर्म और समाज से जुड़े मामलों को हल किया जाता है। यहाँ लोगों को उचित प्रतिबंधों के साथ भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार दिया जाता है।भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत किसी भी व्यक्ति के पास अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार होगा, लेकिन अभियक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार निरपेक्ष नहीं है इस पर कुछ प्रतिबंध भी हैं। हम कह सकते हैं कि भारत में ईशनिंदा से निपटने के लिए कोई विशेष कानून नहीं है, लेकिन भारतीय दंड संहिता के तहत सजा कुछ सजा के प्रावधान अवश्य है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) में किसी भी धार्मिक समूह या सांप्रदायिक तनाव और हिंसा के अपमान से निपटने के लिए प्रावधान (सेक्शन 154, 295, 295 ए, 296, 297 और 298, एक साल से तीन साल तक की जेल की सजा के साथ) हैं।
सेक्शन 295: यदि आप जानबूझकर किसी भी धर्म से जुड़ी वस्तु को नुकसान पहुंचाते हैं तो दो साल की सजा का प्रावधान है।
सेक्शन 295 A: यदि कोई व्यक्ति किसी धर्म के खिलाफ बोलता है या उसका अपमान करता है, कोई इशारा करता है या लिखता है तो उसे तीन साल तक की सजा का प्रावधान है।
सेक्शन 296: यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से धार्मिक पूजा के प्रदर्शन में कानूनी रूप से लगी किसी सभा में बाधा उत्पन्न करता है तो उसे एक साल तक की सजा हो सकती है।
सेक्शन 297 : यदि कोई व्यक्ति किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से उपासना स्थान या कब्रिसथान में कोई हरकत करता है या विघ्न डालता है, या मृत मानव शरीर का अपमान करता है तो उसे एक साल की जेल और जुर्माना, अथवा दोनों हो सकते हैं।
सेक्शन 298: यदि कोई व्यक्ति किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से उसके धार्मिक सभा या सत्संग में गलत शब्द का उच्चारण करता है, या शोर मचाता है, या कोई इशारा करता है, तो ये संज्ञेय और जमानतीय अपराध माना जाएगा जिसके तहत एक साल की जेल और जुर्माना, अथवा दोनों हो सकते हैं।
सेक्शन 154: ये धर्म के नाम पर किसी भी तरह की हिंसा और नफरत फैलाने से रोकता है।
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भले ही भारत में ईशनिंदा के लिए कोई कानून न हो, परंतु कई कानून हैं जो इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पर्याप्त हैं। हालांकि, भारत में भी ईशनिंदा कानून की मांग की जाती रही है। पिछले साल ही नवंबर में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस कानून को लाने की मांग की थी। एक बार फिर से यही मांग की जा रही लेकिन इस कानून का दुरुपयोग करने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।केवल पंजाब एक ऐसा राज्य है जहां कुछ हद तक इस तरह का कानून है। यहाँ भगवतगीता या बाइबल या गुरुग्रंथ साहिब, कृपाण या इससे जुड़े चीजों का अपमान करता है तो ये 'बेअदबी' माना जाएगा और फिर उसी के तहत आरोपी व्यक्ति को सजा दी जाती है।