–ब्रिटिश तेल प्रमुख कंपनी बीपी रोसनेफ्ट: ये कंपनी अपनी हिस्सेदारी छोड़ रहा है। इस कंपनी ने तय किया है कि वो रूसी बंदरगाहों पर लोडिंग के लिए रूसी संस्थाओं के साथ तब तक नई डील नहीं करेगा, जब तक कि “आपूर्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक” न हो। फिलहाल, ये कंपनी वैकल्पिक आपूर्ति की तलाश में है।
–जापान की सबसे बड़ी रिफाइनर ENEOS ने रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद कर दिया है। ये कंपनी भी मिडल ईस्ट में वैकल्पिक आपूर्ति की तलाश में है।
–दुनिया के सबसे बड़े पेट्रोलियम कारोबारी SHELL ने रूसी कच्चा तेल खरीदना बंद कर दिया है।
–नॉर्वे की अधिकांश सरकारी स्वामित्व वाली ऊर्जा कंपनी EQUINOR ने रूसी तेल कारोबार को बंद कर दिया है।
-फ्रांसीसी तेल कंपनी TOTALENERGIES इस साल के अंत तक में रूसी तेल खरीदना बंद कर देगी।
-भारत की Bharat Petroleum, HINDUSTAN PETROLEUM, INDIAN OIL CORP जैसी बड़ी कंपनियों ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा है। अभी कुछ समय पहले ही भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने रूस से मई लोडिंग के लिए 2 मिलियन बैरल रूसी यूराल खरीदे थे। कंपनी नियमित रूप से दक्षिण भारत में अपनी 310,000 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) कोच्चि रिफाइनरी के लिए रूसी यूराल खरीदती है।
-एशिया की सबसे बड़ी रिफाइनर और चीन की सरकारी कंपनी SINOPEC पहले से हस्ताक्षरित दीर्घकालिक अनुबंधों के तहत रूसी कच्चे तेल की खरीद जारी रखे हुए है।
इसके अलावा ग्रीस की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी HELLENIC PETROLEUM, इटली की सबसे बड़ी रिफाइनरी ISAB, पूर्वी जर्मनी में लैंड लॉक्ड LEUNA रिफाइनरी, जर्मनी की सबसे बड़ी रिफाइनरी MIRO
हंगेरियन तेल समूह MOL, बल्गेरियाई रिफाइनरी Neftohim Burgas, जर्मनी की PCK Schwedt, इंडोनेशियाई राज्य ऊर्जा फर्म Pertamina, पोलैंड का सबसे बड़ा रिफाइनर Polski Koncern Naftowy Orlen जैसी कंपनियां अभी भी रूस से तेल का आयात कर रही हैं।