रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एक अंग्रेजी अखबार को इसकी जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि ये पहिये वंदे भारत के लिए आयात किये जाएंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि , भारत में रेल पहिया आपूर्तिकर्ताओं की कमी है और यूक्रेन रूस युद्ध से आयत में देरी के कारण ये निर्णय लेना पड़ा है।
रेलवे अधिकारी कहा, “पिछले दो वर्षों से, यूक्रेन और रूस से पहियों की आपूर्ति की जा रही थी। रूस-यूक्रेन संकट के कारण, आपूर्ति नहीं हो पा रही है।”
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RINL से नहीं हो पा रही पूरी आपूर्तिअधिकारी ने कहा, ”रेल मंत्रालय RINL (राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड ) के रायबरेली प्लांट को महत्व दे रहा है ताकि आयात को कम करने किया जा सके। रेलवे अधिकारी ने कहा कि “प्लांट का कमर्शियल संचालन सितंबर 2021 में शुरू हुआ था, लेकिन परिचालन संबंधी मुद्दों के कारण, RINL प्लांट अब नहीं चला रहा है। प्लांट से नियमित पहिए की आपूर्ति शुरू होने में कुछ समय लगेगा।।”
इसके बाद रेलवे अधिकारी ने आगे कहा, ‘RINL से आपूर्ति में अनिश्चितता और स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड के दुर्गापुर स्टील प्लांट से क्षमता की कमी के कारण चीनी कंपनी को 39 हजार पहियों को बनाने का कॉन्ट्रैक्ट देना पड़ा है।’ उन्होंने ये भी बताया कि “वंदे भारत के लिए 8,000 जाली पहियों के लिए एक अलग ऑर्डर भी उसी चीनी फर्म को दिया गया है।”
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गलवान घाटी में जारी है दोनों देशों के बीच तनावबता दें कि पिछले वर्ष भारत-चीन के बीच गलवान घाटी में भारी संघर्ष हुआ था जिसमें भारत के भी कई सैनिक घायल हुए थे। आज भी गलवान घाटी में चीन कई पुलों का निर्माण कर रहा है। ये गतिरोध दोनों देशों के बीच सीमा पर जारी है इसके बावजूद भारतीय रेलवे ने एक चीनी कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिया है। हालांकि, रेलवे की तरफ से सूत्रों के हवाले से उसकी मजबूरी भी सामने आई।