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पैंगोंग झील पर जारी गतिरोध के बीच रेलवे ने क्यों दिया सुपरफास्ट ट्रेनों के लिए चीनी कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट?

Published: May 22, 2022 07:43:08 am

Submitted by:

Mahima Pandey

Railways contract to Chinese Company: भारतीय रेलवे ने सुपरफास्ट ट्रेनों के लिए पहियों को बनाने का कॉन्ट्रैक्ट चीन की एक कंपनी को दिया है। गलवान घाटी में जारी तनाव के बीच इस तरह से भारतीय रेलवे द्वारा एक चीनी कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिए जाने पर कई सवाल उठ रहे हैं, आखिर रेलवे ने ये कदम क्यों उठाया?

Why did Railways order Chinese wheels for its superfast trains?

Why did Railways order Chinese wheels for its superfast trains? (PC: News Track)

गलवान में जारी गतिरोध के बीच भारतीय रेलवे ने चीनी कंपनी के साथ एक बड़ा कॉन्ट्रेक्ट किया है। भारतीय रेलवे ने सुपरफास्ट ट्रेनों के लिए 39 हजार पहियों को बनाने का कॉन्ट्रैक्ट चीन की एक कंपनी को दिया है। इस कॉन्ट्रैक्ट की कीमत 170 करोड़ रुपये है और जिस कपनी को ये दिया गया है उसका नाम ताइझांग इंटरनेशनल लिमिटेड है। चीन से जारी गतिरोध के बीच आखिर भारतीय रेलवे ने ये कॉन्ट्रैक्ट एक चीनी कंपनी को दिया तो जाहिर है इसपर सवाल उठने लाजिमी है। इसपर रेलवे ने कारण भी बताए हैं।
क्यों दिया चीनी कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट?
रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एक अंग्रेजी अखबार को इसकी जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि ये पहिये वंदे भारत के लिए आयात किये जाएंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि , भारत में रेल पहिया आपूर्तिकर्ताओं की कमी है और यूक्रेन रूस युद्ध से आयत में देरी के कारण ये निर्णय लेना पड़ा है।

रेलवे अधिकारी कहा, “पिछले दो वर्षों से, यूक्रेन और रूस से पहियों की आपूर्ति की जा रही थी। रूस-यूक्रेन संकट के कारण, आपूर्ति नहीं हो पा रही है।”
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RINL से नहीं हो पा रही पूरी आपूर्ति
अधिकारी ने कहा, ”रेल मंत्रालय RINL (राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड ) के रायबरेली प्लांट को महत्व दे रहा है ताकि आयात को कम करने किया जा सके। रेलवे अधिकारी ने कहा कि “प्लांट का कमर्शियल संचालन सितंबर 2021 में शुरू हुआ था, लेकिन परिचालन संबंधी मुद्दों के कारण, RINL प्लांट अब नहीं चला रहा है। प्लांट से नियमित पहिए की आपूर्ति शुरू होने में कुछ समय लगेगा।।”

इसके बाद रेलवे अधिकारी ने आगे कहा, ‘RINL से आपूर्ति में अनिश्चितता और स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड के दुर्गापुर स्टील प्लांट से क्षमता की कमी के कारण चीनी कंपनी को 39 हजार पहियों को बनाने का कॉन्ट्रैक्ट देना पड़ा है।’ उन्होंने ये भी बताया कि “वंदे भारत के लिए 8,000 जाली पहियों के लिए एक अलग ऑर्डर भी उसी चीनी फर्म को दिया गया है।”

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गलवान घाटी में जारी है दोनों देशों के बीच तनाव
बता दें कि पिछले वर्ष भारत-चीन के बीच गलवान घाटी में भारी संघर्ष हुआ था जिसमें भारत के भी कई सैनिक घायल हुए थे। आज भी गलवान घाटी में चीन कई पुलों का निर्माण कर रहा है। ये गतिरोध दोनों देशों के बीच सीमा पर जारी है इसके बावजूद भारतीय रेलवे ने एक चीनी कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिया है। हालांकि, रेलवे की तरफ से सूत्रों के हवाले से उसकी मजबूरी भी सामने आई।
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