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बीटिंग द रिट्रीट क्यों मनाया जाता है? वो कौन सी अंतिम धुन है जिसे बजाते हुए बैरक वापस जाती है सेना

locationनई दिल्लीPublished: Jan 29, 2023 05:25:15 pm

Beating the Retreat 29 जनवरी को बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी मनाई जाती है। अब सवाल उठता है कि, बीटिंग द रिट्रीट क्या है? इसका गणतंत्र दिवस से क्या रिश्ता है? तो इन सभी सवालों के जवाब जाननें के लिए पढ़ें

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बीटिंग द रिट्रीट क्यों मनाया जाता है? वो कौन सी अंतिम धुन है जिसे बजाते हुए बैरक वापस जाती है सेना

Why is Beating the Retreat celebrated ‘बीटिंग द रिट्रीट’ क्यों मनाया जाता है। बहुत सारे व्यक्तियों के मन में यह सवाल कौंध रहा होगा। तो हम बताते हैं कि, बीटिंग द रिट्रीट क्यों मनाते हैं? बीटिंग द रिट्रीट का अर्थ है, सेना की बैरक में वापसी। दुनियाभर में बीटिंग रिट्रीट की परंपरा रही है। पुराने जमाने में जब लड़ाई होती थी तो सेनाएं सूर्यास्त के बाद हथियार रख कर अपने कैंप में जाती थीं, तब एक संगीत समारोह होता था, इसे बीटिंग रिट्रीट कहा जाता है। भारत में बीटिंग रिट्रीट की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। तब भारतीय भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स ने इसका स्वदेशी रूप विकसित किया। बीटिंग द रिट्रीट समारोह में राष्ट्रपति मुख्य अतिथि होते हैं। विजय चौक पर राष्ट्रपति के आते ही नेशनल सेल्यूट दिया जाता है। राष्ट्रगान होता है। तिरंगा फहराया जाता है। थल सेना, वायु सेना और नौसेना, तीनों के बैंड मिलकर पारंपरिक धुन के साथ मार्च करते हैं। बैंड वादन के बाद रिट्रीट का बिगुल वादन होता है। बैंड मास्टर राष्ट्रपति के पास जाते हैं। और राष्ट्रपति से बैंड वापस ले जाने की इजाजत मांगी जाती है। इसका मतलब ये होता है कि, 26 जनवरी का समारोह पूरा हो गया है। और बैंड, मार्च वापस जाते समय लोकप्रिय धुन ‘सारे जहां से अच्छा’ बजाते हुए अपने बैरक में लौट जाते हैं।
गांधी के मनपसंद गीत इस बार बीटिंग द रिट्रीट में नहीं किया गया शामिल

सेनाओं के बैंड ने पहली बार महात्मा गांधी के मनपसंद गीत ‘Abide With Me’ की धुन बजाई थी। तभी से ये धुन हर वर्ष बजाई जाती थी हालांकि, इस बार ये धुन नहीं बजाई जाएगी। इस धुन को 2020 में भी नहीं बजाया गया था। हालांकि विवाद के बाद 2021 में इसे फिर बजाया गया। Abide With Me को स्कॉटलैंड के कवि हेनरी फ्रांसिस लाइट ने 1847 में लिखा था।
‘अग्निवीर’ धुन से शुरू होगा बीटिंग द रिट्रीट

‘बीटिंग द रिट्रीट’ समारोह की शुरुआत सामूहिक बैंड की ‘अग्निवीर’ धुन के साथ होगी। इसके बाद पाइप्स और ड्रम बैंड के ‘अल्मोड़ा’, ‘केदारनाथ’, ‘संगम दूर’, ‘सतपुड़ा की रानी’, ‘भागीरथी’, ‘कोंकण सुंदरी’ जैसी मोहक धुनें सुनाई जाएंगी। भारतीय वायु सेना के बैंड ‘अपराजेय अर्जुन’, ‘चरखा’, ‘वायु शक्ति’, ‘स्वदेशी’ की धुन बजाएंगे, जबकि भारतीय नौसेना ‘एकला चलो रे’, ‘हम तैयार हैं’ और ‘जय भारती’ की धुनें प्रदर्शित करेगी।
सारे जहां से अच्छा’ की धुन से होगा समापन

भारतीय सेना का बैंड ‘शंखनाद’, ‘शेर-ए-जवान’, ‘भूपाल’, ‘अग्रणी भारत’, ‘यंग इंडिया’, ‘कदम कदम बढ़ाए जा’, ‘ड्रमर्स कॉल’ और ‘ऐ मेरे वतन के लोगों ‘ बजाएगा। ‘बीटिंग द रिट्रीट’ कार्यक्रम का समापन ‘सारे जहां से अच्छा’ की सदाबहार धुन के साथ होगा। इस समारोह में 44 ब्यूगलर्स (बिगुल बजाने वाले), 16 ट्रंपेट प्लेयर्स और 75 ड्रमर्स शामिल होंगे।
3,500 स्वदेशी ड्रोन अपने करतब से मोहेंगे मन

इस साल का बीटिंग द रिट्रीट समारोह देश के सबसे बड़े ड्रोन शो का गवाह बनेगा। दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने के लिए विजय चौक पर ड्रोन शो में 3,500 स्वदेशी ड्रोन शामिल होंगे।

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