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यासीन मलिक ने किया आइडिया ऑफ इंडिया पर हमला, महात्मा गांधी से तुलना करने पर भड़के जज

locationजयपुरPublished: May 26, 2022 06:53:56 am

Submitted by:

Swatantra Jain

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की अदालत ने बुधवार को यासीन मलिक को आतंकी फंडिंग मामले में उम्रकैद की सजा सुनाते हुए 10 लाख का जुर्माना भी लगाया। बता दें, एनआईए चार्जशीट में कहा गया है कि केंद्र सरकार को विश्वसनीय जानकारी मिली है कि यासीन मलिक जमात-उद-दावा के आतंकवादियों जैसे हाफिज मुहम्मद सईद समेत विभिन्न अवैध चैनलों के माध्यम से घरेलू और विदेशों में धन जुटाने के साथ लश्कर आदि जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा था। इस तरह से ये भारत को तोड़ने की साजिश में सक्रिय था।

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टाडा कोर्ट के इस फैसले को यासीन मलिक के लिए बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है।

एनआईए की विशेष अदालत ने यासीन मलिक को सजा सुनाते हुए कई महत्वपूर्ण ऑब्जर्वेशन दिए हैं। आतंकी यासीन मलिक को दिल्ली की स्पेशल एनआईए कोर्ट ने टेरर फंडिंग केस में उम्रकैद की सजा सुनाई है। सजा सुनाते समय एनआईए न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने हुए कहा कि उनकी नजर में दोषी में कोई सुधार नहीं हुआ है। न्यायाधीश ने कहा कि हो सकता है कि अपराधी ने वर्ष 1994 में बंदूक छोड़ दी हो, लेकिन उसने वर्ष 1994 से पहले की गई हिंसा के लिए कभी कोई खेद व्यक्त नहीं किया है। वह अभी भी हिंसक कृत्यों में लिप्त रहा।

आतंकी यासीन महात्मा के अनुयायी होने का दावा नहीं कर सकता

दरअसल, न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने कहा कि यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि जब वर्ष 1994 के बाद हिंसा का रास्ता छोड़ने का दावा किया तो भारत सरकार ने उसे सुधार का पूरा मौका दिया। उन्हें अपनी राय व्यक्त करने के लिए हर मंच दिया। जज ने यह भी कहा कि अपराधी महात्मा गांधी के अनुयायी होने का दावा नहीं कर सकता क्योंकि महात्मा गांधी के सिद्धांतों में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं थी, चाहे उद्देश्य कितना भी ऊंचा हो।
बहुत गंभीर हैं मलिक के कृत्य’

एक उदाहरण देते हुए न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने कहा कि चौरी-चौरा में हुई हिंसा की एक छोटी सी घटना में महात्मा ने पूरे असहयोग आंदोलन को रद्द कर दिया। लेकिन घाटी में बड़े पैमाने पर हिंसा के बावजूद दोषी ने ना तो हिंसा की निंदा की और ना ही विरोध के अपने निर्णय को वापस लिया। एनआईए अदालत ने आगे कहा कि जिन अपराधों के लिए मलिक को दोषी ठहराया गया है वे बहुत गंभीर प्रकृति के हैं।

आईडिया ऑफ इंडिया के दिल पर घातक प्रहार

सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि एनआईए न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने यह भी कहा है कि अपराध करने का तरीका और अपराध में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियार मुझे इस निष्कर्ष पर ले जाते हैं कि विचाराधीन अपराध दुर्लभतम मामलों की परीक्षा में विफल हो जाएगा। इन अपराधों का उद्देश्य आईडिया ऑफ इंडिया के दिल पर प्रहार करना था और जम्मू-कश्मीर को जबरदस्ती अलग करना था।
इन सभी अवलोकनों के साथ, फिलहाल राष्ट्रीय जांच एजेंसी की अदालत ने बुधवार को यासीन मलिक को टेरर फंडिंग मामले में उम्रकैद की ही सजा सुनाई है। एनआईए अदालत ने मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए 10 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना भी लगाया। उन्हें दो बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। हालांकि एनआईए ने मलिक के लिए मौत की सजा की मांग की थी, जिसे 19 मई को दोषी ठहराया गया था।
बता दें आतंकी यासीन की पत्नी मुशाल मलिक का बयान आया है कि वे भारतीयों से रहम की भीख नहीं मांगेंगे। लेकिन इसी यासीन का वकील लगातार भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर अदालत से रहम की भीख मांगता रहा।
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