नीमच

जिले में 12.75 फीसदी किसानों ने समर्थन मूल्य पर उपज बेचने के लिए कराया पंजीयन

जिले में 12.75 फीसदी किसानों ने समर्थन मूल्य पर उपज बेचने के लिए कराया पंजीयन

नीमचFeb 28, 2021 / 07:38 pm

Virendra Rathod

chhindwara


नीमच। कृषि कानूनों रद्द करवाने और समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी का कानून पास कराने को लेकर दिल्ली में चार-पांच माह से किसान आंदोलन चल रहा है। जिले में कुछ किसान संगठनों ने समर्थन कर प्रदर्शन किया। एमएसपी की गारंटी वाले कानून की मांग को लेकर भले इतना शोर हो रहा लेकिन जिले में हालात अलग है। नीमच जिले में ७० फीसदी किसान एमएसपी पर उपज बेचने के लिए पंजीयन ही नहीं कराते। जो पंद्रह फीसदी पंजीयन कराते हैं उसमें 20 से 30 फीसद एमएसपी पर उपज नहीं देते। ऐसा इसलिए क्योंकि समर्थन मूल्य पर उपज बेचने के लिए बनाएं नियम व व्यवस्थाएं काफी जटिल हैं। जिले में रबी की फसल अभी तक कुल २५ हजार ६६८ किसान ने समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए पंजीयन कराया है। जिले के ४८ केंद्रों पर पंजीयन हुए थे। लेकिन सर्वर डाउन होने के कारण भी काफी दिक्कत पंजीयन में आई है। जबकि पिछले साल २८ हजार २०९ किसानों ने पंजीयन कराया था।

पंजीयन से लेकर सत्यापन, इसके बाद उपज बेचने के लिए लाइन और भुगतान के लिए इंतजार, उसके बाद केंद्र पर अधिकारी कर्मचारियों के नखरे उठाने पड़ते हैं। शहरों व आबादी से दूर खरीदी केंद्र जैसे कई कारणों के चलते किसानों ने समर्थन मूल्य पर बिक्री से दूरी बना रखी है। सीमांत व लघु किसान समर्थन के बजाय मंडियों में ही बेचने को मजबूर होते हैं। यहां पर उन्हें भुगतान जल्द मिल जाता है। खास बात यह है कि लघु व सीमांत किसानों की संख्या कुल किसानों के मुकाबले 7२.३3 प्रतिशत है। जिले में कुल किसानों में से मात्र 1२.७५ फीसदी किसानों ने समर्थन मूल्य पर उपज बेचने के लिए पंजीयन कराया है। कारण मंडी में केंद्र होने से किसान के पास विकल्प था, केंद्र अलग होने से परेशानी एक बार पंजीयन करा लिया तो दोबारा क्यों कराएं। किसान यूनियन के योगेंद्र जोशी ने बताया कि छोटे किसानों के पास उपज कम होती है। ऐसे में उनके लिए समर्थन मूल्य पर उपज बेचने के लिए सिस्टम सरल करना चाहिए। जो किसान पहले पंजीयन करा चुके उनका दोबारा पंजीयन क्यों होना चाहिए, सिर्फ सत्यापन होना चाहिए।

मंडी में केंद्र होने से किसानों को विकल्प मिलेगा
करीब तीन चार-साल पहले तक सभी खरीदी केंद्र उपज मंडियों में ही होते थे। जिससे केंद्र पर कर्मचारी खरीदी मेें नाटक भी करता को किसान मंडी में नीलाम कर देता था। लेकिन अब सरकार ने शहरों व गांवों से दूर गोदामों पर केंद्र बना दिए जिससे शासन का परिवहन का खर्च बचे। लेकिन इससे किसानों को भाड़ा अधिक देना पड़ रहा। वहीं केंद्र पर जाने के बाद कर्मचारी खरीदी से इनकार करे तो उसके पास दूसरा रास्ता नहीं रहता। लेनदेन कर किसानों को कम दाम में उपज बेचना मजबूरी बन जाता है। यदि वह उस उपज को मंडी ले जाए तो उसे डबल भाडा़ देना पड़ता है।

केंद्रों पर उपज मापक मशीनें होना चाहिए
केंद्रों पर अधिकारी कर्मचारी अपने हिसाब से उपज देखते हैं, मनचाहे जिसकी उपज खराब या नमी अधिक बता कर उसे खरीदने से इनकार कर देते हैं। उपज की नमी व क्वालिटी जांचने के लिए हर केंद्र पर एक मशीन होना चाहिए। इससे कर्मचारी किसानों को परेशान ना कर सके।

तहसील में पंजीयन की स्थिति
तहसील——————–कुल पंजीयन
मनासा———————-७३५२
नीमच———————-४५९८
जावद———————-४३३५
सिंगोली———————३१७७
जीरन———————–२७५७
रामपुरा———————२४६४
नीमच नगर—————–५७४

सर्वर डाउन की जरूर समस्या आई थी
जिले में अंतिम तिथि तक कुल २५६६८ किसानों ने समर्थन मूल्य पर फसल बेचने के लिए पंजीयन कराया है। अंतिम दिन भी सर्वर डाउन होने से पंजीयन में समस्या जरूर आई थी। गत वर्ष की अपेक्षा में कम किसानों ने पंजीयन हुआ है।
– आरसी जांगड़े, जिला रसद अधिकारी नीमच।

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