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८८ फीसदी राजस्व प्रकरण निराकृत कर बने नंबर वन

locationनीमचPublished: Jan 16, 2018 01:10:41 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

प्रदेश मेंं नीमच जिला रहा प्रथम स्थान पर १५ हजार ३९० में से १३ हजार ४८८ प्रकरणों को किया निराकरण

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राजस्व प्रकरणों के निराकरण में प्रदेश में नीमच जिला प्रथम स्थान पर रहा।

नीमच. राजस्व प्रकरणों के निराकरण में प्रदेश में नीमच जिला प्रथम स्थान पर रहा। एक अक्टूबर १६ से ३० सिमंबर १७ (राजस्व वित्तीय वर्ष) में जिले में दर्ज कुल १५ हजार ३९० प्रकरणों में से जिले के राजस्व अधिकारियों ने १३ हजार ४८८ प्रकरणों का निराकरण किया। यह आंकड़ें प्रदेश के ५१ जिलों में सबसे अधिक हैं। इसके चलते नीमच जिले की झोली में नंबर वन का ताज आया।
८८ फीसदी प्रकरणों का किया निराकरण
अपर कलेक्टर विनय कुमार धोका ने बताया कि प्रदेश में नीमच जिला राजस्व प्रकरणों के निराकरण में प्रथम पायदान पर रहा है। राजस्व अधिकारियों ने प्रकरणों के निराकरण में गंंभीरता बरती इसी का परिणाम रहा कि आज जिले में नीमच प्रथम स्थान पर रहा है। राजस्व वित्तीय वर्ष १ अक्टूबर १६ से ३० सितंबर १७ मेें कुल १५ हजार ३९० प्रकरण दर्ज हुए थे। यह प्रकरण नायब तहसीलदार, तहसीदार, एसडीएम, अपर कलेक्टर और कलेक्टर न्यायालय में दर्ज हुए थे। इन प्रकरणों में से १३ हजार ४८८ प्रकरणों को निराकरण किया गया जो ८८ फीसदी है। वहीं एक अक्टूबर १७ से ३१ दिसंबर इन तीन महीने में भी राजस्व न्यायालयों में कुल ९ हजार ८६३ प्रकरण दर्ज हुए हैं। इनमें से भी अब तक ९ हजार १९२ प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है जो दर्ज प्रकरणों का ९३ फीसदी है। जिले में कुल २१ राजस्व न्यायालय हैं जहां इन प्रकरणों की सुनवाई हुई। इन तीन महीनों में हल किए गए प्रकरणों का प्रतिशत ही जिले के राजस्व अधिकारियों की कार्यशैली प्रमाणित करने के लिए काफी हैं। राजस्व प्रकरणों में अतिक्रमण, नामांकरण, सीमांकन, रास्ता विवाद, भूमि पर कब्जा करने, डावर्ससन, नजूल, अर्थदंड, उपकर, खाद्य अपमिश्रण, गोवंश, खनिज इत्यादि प्रकरण आते हैं।
निरंतर मॉनिअरिंग का ही है यह परिणाम
कलेक्टर द्वारा राजस्व प्रकरणों के निराकरण को लेकर निरंतर मॉनिटरिंग की गई। नियमित बैठकें आहूत की गई। आवश्यकता अनुसार अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए गए। इसकी का परिणाम रहा कि आज राजस्व प्रकरणों के निराकरण में नीमच जिला पहले स्थान पर रहा है। इसके साथ ही मुख्य सचिव ने भी १६ अगस्त १७ को जिले के नायब तहसीलदार से लेकर कलेक्टरों तक की बैठक आहूत की थी। सभी को राजस्व प्रकरणों के निराकरण के निर्देश दिए गए थे। इसके बाद संभाग आयुक्त ने भी नियमित रूप से कलेक्टर व अन्य अधिकारियों की समीक्षा बैठकें आहूत की। कुल मिलाकर राजस्व प्रकरण निराकरण को लेकर निरंतर प्रगति की समीक्षा होने और अधिकारियों को निर्देश मिलते रहने का ही यह परिणाम रहा है।
कम स्टॉफ के बाद भी बने नंबर वन
इसे जिले के राजस्व अधिकारियों की बेहतर कार्यशैली का ही परिणाम कहा जाएगा कि उन्होंने राजस्व अमले में स्टॉफ की कमी के बाद भी यह उपलब्धि हासिल की है। जिले में ६ तहसीलें हैं, लेकिन एसडीएम ३ ही हैं। छह तहसीलदार है लेकिन २ ही पदस्त हैं और ४ पद रिक्त हैं। इसी प्रकार नायब तहसीलदार के ९ पद स्वीकृत हैं। इनमें से ४ या ५ ही पदस्त हैं, शेष पद रिक्त है। स्टॉफ की कमी के बाद भी बेहतर नतीजे लाना भी जिले के लिए एक बड़ी उपलब्धि माना जाएगा। राजस्व प्रकरणों के निराकरण के लिए राजस्व निरीक्षकों को भू राजस्व संहिता १९५९ के तहत नायब तहसीलदार के अधिकार दिए गए हैं। इससे भी प्रकरणों के निराकरण में काफी मदद मिली।
पिछले साल की वसूली में दोगुनी वृद्धि
अपर कलेक्टर विनयकुमार धोका ने बताया कि जिले में पिछले साल २ करोड़ ८७ लाख रुपए की राजस्व वसूली की गई थी। वहीं इस साल ३१ दिसंबर १७ तक ४ करोड़ एक लाख ७९ हजार ७८४ रुपए की वसूली हो चुकी है। जो पिछले साल की तुलना में लगभग दो गुनी है। इसमें नीमच विकासखंड से एक करोड़ ९० लाख ७५ हजार ४५८ रुपए, जावद विकासखंड से एक करोड़ १२ लाख ७४ हजार ४६६ रुपए और मनासा विकासखंड से ९८ लाख २९ हजार ८६० रुपए की वसूली शामिल है। राजस्व वूसली में आई तेजी की एक प्रमुख वजह अधिकारियों की तत्परता है। अधिकारियों ने वर्ष १९६५ से अब तक के जितने भी राजस्व प्रकरण दर्ज थे उन्हें सूचीबद्ध किया। आश्चर्य की बात यह भी निकलकर सामने आई कि इनमें से कई मामले तो ऐसे थे जो रिकार्ड में ही नहीं थे। सबको पंजीबद्ध कर वूसली प्रारंभ की गई और नतीजे सबके सामने हैं।

जिले के सभी राजस्व अधिकारी निरंतर इसी तरह बेहतर तालमेल के साथ अच्छा काम करें। सभी राजस्व अधिकारियों की कार्यशैली की वजह से ही नीमच जिला राजस्व प्रकरण निराकरण में प्रदेश में प्रथम स्थान पर आया है। सभी से अपेक्षा है कि वे आगे भी जिले के विकास में इसी प्रकार सहभागिता निभाते रहेंगे।
– कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर
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