नीमच सिटी के कोर्ट मोहल्ला निवासी जीनत जहां पति मोहम्मद एहसान ने बताया कि उनके दो बेटे में मोहम्मद अयान उम्र १२ वर्ष और मोहम्मद ईश्हाक उम्र 10 वर्ष है। मोहम्मद ईश्हाक जन्म से ही निशक्त है। वह उठ और बैठ नहीं पाता है। जिसका काफी इलाज कराया। वहीं निशक्तों के लिए मिलने वाली सरकारी योजनाओं के लिए भी उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। वाराणासी के गुरुजी अशोक मौर्य की थैरेपी विधि से बच्चा बैठने लायक हुआ। उससे पहले पांच साल तक उम्र के बाद भी वह न उठ और बैठ सकता है। अपने बेटे की निशक्तता का दर्द उन्हें पता है और अन्य निशक्त बच्चों के परिजनों के साथ वह निशक्त बच्चों की सेवा कर अपना दर्द उनकी मां के साथ बांटती है। उन बच्चों के विकलांगता सर्टिफिकेट बनाने से लेकर सरकारी योजना उपलब्ध कराने का काम करती है। वहीं इन बच्चों को पढ़ाती और उसके बाद उनकी फिजियोथैरेपी करती है। जिससे वह अपने पैरो पर खड़े हो सके। आज उनके पास शहर ही नहीं गांव से भी परिजन विश्वास के साथ निशक्त बच्चों को थैरेपी को शिक्षा के लिए छोड़कर जाते है। इस कार्य को करते हुए अब उन्होंने इस कार्य हेतु एक संस्था बेटे के नाम पर ईशु नवजीवन निशक्त संस्था खोल दिया है। खासकर अधिक निशक्तता में योगेश, धीरज, सपना, गौरव, हार्दिका, प्रयान, अधियज्ञय, फरीन और राहेमीन है। तनिष्क और योगेश तो चलने लायक भी नहीं है। जिनकी रोजाना थैरेपी होती है।
मां की तरह करती है देखभाल
सफद्दीन बाबा दरगाह के पास निवासी चंद्रकला धाकड़ ने बतयाा कि उनके बेटे प्रयान को बचपन में ही शुगर हो गई और निशक्तता ने घेर लिया। यहां पर बच्चा पिछले तीन साल से आ रहा है। उसे काफी फर्क है। वह बैठने लग गया है। मां से भी अच्छी तरह बच्चों की देखभाल करती है। वहीं रावरूंडी गांव निवासी बंाीनाथ ने बताया कुदरत की ऐसी मार है कि दो बच्चे योगेश और धीरज है। दोनों निशक्कता का शिकार है। इन बच्चों की बड़े प्यार से देखभाल करती है। इन बच्चों के देखभाल के लिए प्यार और समर्पण की भावना का होना बहुत आवश्यक है, जो कि दीदी में देखने को मिलता है।