संतश्री बाबा छत्तुरामजी सेवा समिति प्रमुख श्री दादवानी ने बताया कि 27 फरवरी को सुबह 11 बजे अखंड पाठ साहब तथा शाम 4 बजे ग्यारस की कथा एवं भजन कीर्तन महिला मण्डल पीसी ग्रुप द्वारा आयोजित होगी। इसी प्रकार 28 फरवरी को सुबह 10.30 से 11.30 बजे तक भजन कीर्तन तथा रात 8.30 बजे से बाबा की इच्छा तक भजन कीर्तन का आयोजन होगा। 31वें सामूहिक विवाह सम्मेलन का शुभारंभ एक मार्च महाशिवरात्रि को सुबह 5 बजे महिला मंडल द्वारा भजन कीर्तन से होगा। बाबा की पुण्यतिथि एवं सम्मेलन के अवसर पर दोपहर 12 बजे भोग पाठ का आयोजन होगा। शुभलग्न अग्नि की साक्षी में सात परिक्रमा पाणिग्रहण संस्कार, पल्लव का भी आयोजन होगा। कार्यक्रम के दौरान दोपहर बाद लंगर प्रसादी का आयोजन होगा। सेवा समिति के प्रमुख गुरमुखदास दादवानी ने बताया कि 1 मार्च मंगलवार को महाशिवरात्रि के अवसर पर आयोजित सामूहिक विवाह सम्मेलन में पंजीयन की प्रक्रिया अभी जारी है, जो अन्तिम तिथि 26 फरवरी तक जारी रहेगी। विवाह में शामिल कन्या को आशीर्वाद स्वरूप घरेलू सामग्री, कपड़े, जेवर, बर्तन आदि सामग्री प्रदान कर सम्मानित किया जाएगा। समिति द्वारा अब तक 85 जोड़ों का सामूहिक विवाह सम्पन्न कराया जा चुका है। उन्होंने बताया कि विवाह सम्मेलन को लेकर समाज की बैठकों का दौर जारी है। पूज्य सिंधी पंचायत के अध्यक्ष मनोहर अर्जनानी, राजकुमार मंगलवानी, नोतनदास दादवानी, भगवानदास भाग्यवानी, मनीष तोलानी, दीपू बदलानी, संतोष साहनी, भरत पुर्सवानी समेत समिति के सभी सदस्यों एवं समाजजनों द्वारा व्यापक स्तर पर तैयारी की जा रही है। समाजजनों को सामूहिक विवाह की पत्रिका एवं जानकारी से अवगत कराया जा रहा है। समिति सदस्यों एवं समाजजनों द्वारा गांव गांव व नगर में घर घर जाकर सम्पर्क किया जा रहा है और समाजजनों से महंगी षादियों सके आयोजन को त्यागकर समाजहित में नि:शुल्क सामूहिक विवाह में सहभागी बनकर सम्मेलन को सफल बनाने का आव्हान किया जा रहा है।
कैसे शुरू हुआ विवाह सम्मेलन
बाबा छत्तुरामजी के देवलोकगमन के 10 वर्ष बाद दादी के नाम से प्रख्यात श्रीमती भागवानीबाई धर्मपत्नी स्वर्गीय गिरधारीलाल दादवानी ने परिजनों से कहा था कि बाबा की अंतिम इच्छा थी कि समाज में अमीर वर्गों के विवाह आसानी से हो जाते हैं लेकिन निर्धन असहाय वर्गों के युवक युवतियों के विवाह नहीं हो पाते हैं इसलिए उनका विवाह सामूहिक नि:शुल्क विवाह सम्मेलन में होना चाहिए तभी से समिति ने सर्वसम्मति से निर्णय लेकर बाबा की पुण्य तिथि पर विवाह सम्मेलन की शुरुआत की जो कि आज आदर्श प्रेरणा के रूप में अनवरत जारी है।
बाबा छत्तुरामजी के देवलोकगमन के 10 वर्ष बाद दादी के नाम से प्रख्यात श्रीमती भागवानीबाई धर्मपत्नी स्वर्गीय गिरधारीलाल दादवानी ने परिजनों से कहा था कि बाबा की अंतिम इच्छा थी कि समाज में अमीर वर्गों के विवाह आसानी से हो जाते हैं लेकिन निर्धन असहाय वर्गों के युवक युवतियों के विवाह नहीं हो पाते हैं इसलिए उनका विवाह सामूहिक नि:शुल्क विवाह सम्मेलन में होना चाहिए तभी से समिति ने सर्वसम्मति से निर्णय लेकर बाबा की पुण्य तिथि पर विवाह सम्मेलन की शुरुआत की जो कि आज आदर्श प्रेरणा के रूप में अनवरत जारी है।