नीमच. भद्रा काल पूर्ण होते ही शहर में पूजा अर्चना के साथ होलिका दहन शुरू हुआ, शहर के गली मोहल्लों से लेकर मुख्य चौराहों पर एक के बाद स्थान पर होलिका दहन धूमधाम से किया गया, कहीं ढोल ढमाकों के साथ तो कहीं डीजे की धुन पर लोगों ने झूमते गाते होलिका दहन किया। वहीं शहर के दशहरा मैदान में रंगारंग कार्यक्रमों के साथ सामुहिक होलिका दहन किया गया।
होलिका दहन के दिन 1 मार्च सुबह 8.57 से शाम 7.39 बजे तक भद्रा काल रहने के कारण होलिका दहन शाम 7.39 बजे बाद किया गया। क्योंकि भद्राकाल में होलिका दहन करना शास्त्र में निषेध बताया है। इसी के चलते सुबह से शाम तक जहां बच्चे, बालक बालिकाएं, युवक युवतियां व महिलाएं होली सजाने में जुटे रहे, वहीं शाम को भद्राकाल सम्पन्न होते ही पूजा अर्चना के साथ होलिका दहन किया गया।
आकर्षण का केंद्र रही घंटाघर की होली
इस साल भी शहर के घंटाघर की होली आकर्षण का केंद्र रही, क्योंकि यहां की होली में सबसे अधिक लोग शहर के विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचते हैं। जो यहां की विशाल होली में गेहूं की उंबियां भी सेककर खाते हैं, जानकारों की माने तो होली में गेहूं की उंबियां सेककर खाने और होली तापने से विभिन्न रोगों से मुक्ति मिलती है। इसी के चलते आज भी लोग इस पंरपरा को निभा रहे हैं, घंटाघर क्षेत्र में सैंकड़ों की संख्या में महिलाओं और पुरूषों ने एकत्रित होकर पूजा अर्चना कर होलिका दहन किया।
पहली बार हुआ सामुहिक होलिका दहन
सांस्कृतिक उत्सव समिति के तत्वावधान में शहर में पहली बार दशहरा मैदान में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ होलिका दहन किया गया, इस अवसर पर
जयपुर की आर्केस्ट्रा पार्टी के साथ स्थानीय कलाकारों द्वारा गीत, संगीत, हास्य आयोजनों के माध्यम से लोगों का मनोरंजन करने के साथ उन्हें गुदगुदाया, रंगारंग कार्यक्रम के साथ करीब ९ बजे सामुहिक होलिका दहन किया गया। इस कार्यक्रम में शहर से सैंकड़ों की संख्या में लोगों ने उपस्थित होकर रंगारंग कार्यक्रम का लुत्फ लिया।
सांस्कृतिक उत्सव समिति के ब्रजेश मित्तल, ओम दीवान ने बताया कि पहली बार आयोजित हो रहे सामुहिक होलिका दहन में न्यू राजस्थानी आर्केस्ट्रा जयपुर के कलाकारों द्वारा एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी गई। इस अवसर पर काफी संख्या में सांस्कृतिक उत्सव समिति के पदाधिकारी और सदस्य उपस्थित रहे।
आदिवासी समाज ने किया होलिका दहन
गायत्री
मंदिर रोड पर गुरुवार को आदिवासी भील समाजजनों द्वारा अपनी पंरपरा अनुसार होलिका दहन किया गया, शुभ
मुहूर्त में समाज की महिलाओं ने पूजा अर्चना की, वहीं सभी समाजजन एक स्थान पर एकत्रित हो गए, जहां आदिवासी गीतों पर देर रात तक नृत्य करते हुए झूमते गाते रहे, आदिवासी गीतों पर चल रहे इस कार्यक्रम को देखने के लिए राहगीर भी कुछ देर रूकते नजर आए, क्योंकि इनके द्वारा होली की परिक्रमा करते हुए नृत्य किया जा रहा था, जो काफी आकर्षण का केंद्र रहा, इसी के साथ होलिका दहन धूमधाम से किया गया।
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