विधानसभा चुनाव में खड़े होने भाजपा-कांग्रेस अपना रही यह फार्मूले
नीमचPublished: Sep 03, 2018 02:35:34 pm
-कांग्रेस का जोर प्रत्याशी चयन पर, भाजपा योजनाओं की दम पर जोड़ रही मतदाता
-पिछले चुनावों की खामियों से सबक लेकर तैयारियों में जुटे दोनों दल
नीमच. आगामी विधानसभा चुनाव में दोनों दल अपने आप को खड़ा करने के लिए जमीनी स्तर पर जुट गए हैं। जहां भाजपा द्वारा शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ गिना कर आम मतदाता को जोड़ रही है। वहीं कांग्रेस इस बार क्षेत्र में ऐसे प्रत्याशी को खड़ा करने में जुटी है जो पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरे।
अंचल में परंपरागत ढंग से चुनावों में कांग्रेस और भाजपा ही आमने-सामने होते रहे हैं। पिछले चुनाव में दोनों ही दलों को जिन मतदान केंद्रों पर नुकसान हुआ था वहां पर नए जोश के साथ जमीनी स्तर पर तैयारी शुरू कर दी गई है। विधानसभा क्षेत्र के हर गांव, मजरे टोले में मजबूती के लिए भाजपा द्वारा पन्ना प्रमुखों को जवाबदारी दी गई है तो कांग्रेस द्वारा बूथ स्तर पर कमेटियों का तेजी से गठन कर जिम्मेदारियां दी जा रही है। दोनों ही दल आम मतदाताओं को अपने दलों से जोडऩे के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। बूथ स्तर से लेकर जिला स्तर तक हर सप्ताह बैठकें लेकर कमजोर और मजबूत हालातों का पता लगाया जा रहा है। कांग्रेस का जोर प्रत्याशी चयन पर अधिक है। भाजपा पिछले चुनाव के कमजोर क्षेत्रों में शासन की योजनाओं का लाभ पहुंचाकर वोट बैंक मजबूत करने में जुटी है।
भाजपा की स्थिति
भारतीय जनता पार्टी जिले के नीमच और जावद विधानसभा क्षेत्रों में पिछले 15 वर्षों से अंगद की तरह पैर जमाए हुए है। जबकि मनासा विधानसभा क्षेत्र में 2008 के चुनाव में कांग्रेस ने परचम लहराया था। इसके बाद फिर से भाजपा ने वापसी की और 2013 के विधानसभा चुनाव में यहां बहुमत हासिल किया। लेकिन अब हालात थोड़े बदले हैं। जून 2017 में हुए किसान आंदोलन के बाद भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। यहां तक कि विधायकों का गावों में जाना कांटों की राह पर चलने जैसा हो गया था। कई जगह उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा। इसके बाद मध्यप्रदेश सरकार और भाजपा ने हर स्तर पर डेमेज कंट्रोल का प्रयास किया। किसानों के लिए बनी योजनाओं को भुनाने की हर संभव कोशिशें की गई। इसके लिए पन्ना प्रभारियों तक भाजपा ने संगठन खड़ा किया। इनके जरिए गांव-गांव में आम मतदाता तक योजनाओं की जानकारी देने का प्रभावी काम शुरू किया। मनासा विधानसभा क्षेत्र में पिछले पांच वर्षों से भाजपा का जोड़-घटाव का ही काम कर पा रही है। हालांकि केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का सहारा इस क्षेत्र में भाजपा के लिए बनता रहा है। भाजपा अपने कमजोर क्षेत्रों पर इस बार अधिक ध्यान दे रही है। पिछले चुनाव में हार के कारणों की समीक्षा कर उन्हें दूर करने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए शासन की योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ लिया जा रहा है। जिन क्षेत्रों में शासन की योजनाएं नहीं पहुंची वहां इन्हें लागू किया जा रहा है। जहां लाभ पहुंचा हैं वहां लोगों को इसके बारे में अवगत कराया जा रहा है।
कांग्रेस की स्थिति
कांग्रेस नीमच, जावद विधासनसभाओं में तो पिछले 14 वर्षों से वनवास काट रही है। मनासा में पांच साल का अभयदान कांग्रेस को मिला था। कांग्रेस के पास में किसान आंदोलन के अलावा कोई बड़ा मुद्दा यहां भुनाने के लिए नहीं था, जिसे पदयात्राओं के जरिए जीवित रखा गया। कांग्रेस अपनी खोई जमीन को तलाशने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। इस अवधि में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की रैलियां यहां आयोजित हुई। कांग्रेस द्वारा अब वापसी की हर संभव कोशिश की जा रही है। बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत करने की तैयारी की जा रही है। मंडलम और सेक्टर इकाई के गठन जिले में हो चुके हैं अब बूथ कमेटियों को आकार दिया जा रहा है। पिछले चुनाव में कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी प्रत्याशी चयन को लेकर सामने आई थी। प्रत्याशी चयन सही नहीं होने पर जावद में तो कांग्रेस की जमानत तक जब्त हो गई थी। इस बार प्रत्याशी चयन में विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यह प्रयास किए जा रहे हैं कि प्रत्याशी सर्वमान्य हो। कार्यकर्ता पहली बार पोलिंगे बूथ तक पहुंचे हैं। बड़ी संख्या में फर्जी नाम मतदाता सूची में से हटवाए और वास्तविक नाम जुड़वाए गए हैं।
पांच साल में सरकार ने यह किया
जिले में पिछले पांच वर्षों की अवधि में सरकार ने कई बड़ी योजनाओं को समर्पित किया है। जिसमें नीमच-मनासा 24 किमी का 110 करोड़ की लागत से बना सीसी रोड़, जिला चिकित्सालय में ट्रामा सेंटर, नीमच शहर की मुख्यमंत्री पेयजल आवर्धन योजना, शहर की बरसों पुरानी बंगला-बगीचा समस्या का समाधान, जावद क्षेत्र में 22 शासकीय हाईस्कूल और हायरसेकेंडरी स्कूल में डिजिटल शिक्षा प्रणाली, झांझरवाड़ा में नवीन औद्योगिक क्षेत्र सहित गांवों की अधिकांश सड़कें बेहतर करने का काम किया गया है।
इन मुद्दों पर देना होगा सरकार को जवाब
– बीते पांच वर्षों में कई ऐसे सपने लोगों को दिखाए गए जो पूरे नहीं हो सके। खासतौर से बेरोजगार युवाओं के लिए कोई गिनाने लायक काम इस क्षेत्र में नहीं हुआ, बेरोजगार पलायन को मजबूर हैं। सीसीआई सीमेंट संयंत्र को फिर से शुरू करवाने का दावा अब तक फाइलों में ही कैद है। जिला मुख्यालय पर बनने वाली ई-कृषि मंडी अब तक केवल बाउंडरीवॉल तक सीमित है।
– ट्रामा सेंटर का भवन तो बनकर तैयार हो गया, लेकिन जिला चिकित्सालय में मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाएं सुलभ नहीं है। दो दशकों से गंभीर बीमारियों और दुर्घटना के शिकार मरीजों को रैफर करने की परंपरा बरकरार है। यहां तक कि जावद विधानसभा मुख्यालय पर तो केवल चिकित्सालय भवन ही बना हुआ है, वहां पर चिकित्सक ही नहीं है।
– उच्च शिक्षा संस्थानों का नितांत अभाव है। चिकित्सा और तकनीकी पढ़ाई के लिए विद्यार्थियों को बड़े शहरों में जाना पड़ता है। सीमावर्ती राजस्थान में यहां के अधिकांश विद्यार्थी उच्च अध्ययन के लिए जाते रहे हैं। इसे रोक पाने में सरकार लगभग असफल रही है।
इन मतदान केंद्रों पर रही कांग्रेस और भाजपा की कमजोर स्थिति
नीमच विधानसभा में कांग्रेस को नीमच सिटी, धनेरियाकला, केलुखेड़ा, भाटखेड़ा, सिंधी शाला नीमच मतदान केंद्रों पर मुंह की खानी पड़ी थी, भाजपा को यहां एकतरफा वोट मिले थे। दूसरी तरफ कांग्रेस को लेवड़ा, बामनिया, जलसंसाधन कार्यालय नीमच मतदान केंद्र, पालसोड़ा और चंगेरा में कांग्रेस की तुलना में भाजपा कमजोर रही।
जावद विधानसभा क्षेत्र के भदवा, सिंगोली, दुर्गा कॉलोनी खोर, हनुमंतिया, अंबाखुर्द में भाजपा मजबूत रही यह केंद्र कांग्रेस के लिए चुनौती बने, जबकि गोठड़ा, विक्रमनगर खोर, फुसरिया, मोरवन, हरिपुरा में कांग्रेस को अच्छे मत मिले।
मनासा विधानसभा क्षेत्र में करणपुरा, बेसला, सेमलीइश्तमुरार, खीमला ब्लाक, कुकड़ेश्वर मतदान केंद्रों पर भाजपा को सर्वाधिक मत मिले थे, इस विधानसभा के चेनपुरिया ब्लाक, रामपुरा, फुलपुरा, दंतलाई और खेड़ी मतदान केंद्रों पर कांग्रेस को एक तरफा वोट मिले थे। इन केंद्रों पर हारी पार्टियां वापसी की कोशिश में हर संभव प्रयास कर रही है।
्रइनका कहना है
सर्वसम्मति से होगा प्रत्याशी चयन
पिछली बार प्रत्याशी चयन को लेकर सवाल उठे थे। इस बार प्रत्याशी चयन में पूरी पारदर्शिता बरती जा रही है। सर्वमान्य नेता को ही प्रत्याशी बनाया जाएगा। ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं कि जिसे प्रत्याशी बनाया जाएगा वो सर्वमान्य होगा। कार्यकर्ताओं में भी उत्साह है। इस बार कार्यकर्ता केवल पंजा देखकर की काम करेंगे। किसी अन्य के बहकावे में नहीं आएंगे। बड़ी बात यह भी रही है कि पहली बार कार्यकर्ता बूथ स्तर पर मतदाताओं तक पहुंचा है। मतदाता सूची में से फर्जी नाम हटवाने के साथ नए नाम भी जुड़वाए हैं। मोदी लहर की वजह से पिछले चुनाव में नतीजे हमारे खिलाफ थे। इस बार ऐसा नहीं है। इस बार एक-एक पोलिंग बूथ तक कार्यकर्ता पहुंचा है।
– अजीत कांठेड़, जिलाध्यक्ष कांग्रेस
कमजोर क्षेत्रों में पहुंचा रहे शासन की योजनाएं
जिस क्षेत्र में हम कमजोर हैं वहां विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है। ऐसे क्षेत्रों में शासन की योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। ग्रामीणों की मांगों को पूरा किया है। जिन क्षेत्रों में ३० प्रतिशत से कम समर्थन है वहां प्रयास किए जा रहे हैं कि ४० से अधिक प्रतिशत तक समर्थन जुटाया जा सके। पन्ना प्रमुखों को दायित्व सौंपे गए हैं कि वे प्रत्येक मतदाता तक पहुंचे। अधिकांश क्षेत्रों में मतदाता सूची का काम पूरा हो चुका है। कमजोर क्षेत्रों में अधिक से अधिक दौरे किए जा रहे हैं। कमजोर क्षेत्रों में समाज के प्रमुख लोगों को भी जोड़ा जा रहा है।
– हेमंत हरित, जिलाध्यक्ष भाजपा