कोरोना से तबाही के बीच म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। कोरोना संक्रमित होने के बाद कुछ मरीजों के खतरनाक साइड इफेक्ट आने लगे है। जिससे आंख में ब्लड आना, नाक, गले और मुहं में सूजन व दर्द की शिकायत हो रही है। जिला अस्पताल में अभी तक एक ही ऐसा मरीज पहुंचा, जिसे पहचान कर इंदौर रैफर कर दिया गया है। जबकि अन्य अपने स्तर पर इंदौर उपचार करा रहें है।
यह मरीज आए सामने
१- मनासा क्षेत्र के लक्ष्मीनारायण चौधरी कोरोना के संक्रमण से जैसे-तैसे उबरे तो उन्हें आखं में तकलीफ होने लगी। इसके बाद अलग-अलग चिकित्सकों की राय लेने के बाद इंदौर एमवॉय रैफर किया गया।
चिकित्सक निलेश पाटीदार ने बताया कि म्यूकरमाइकोसिस एक ऐसा फंगल इंफेक्शन है, जिसे कोरोना वायरस ट्रिगर करता है. कोविड-19 टास्क फोर्स के एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये उन लोगों में आसानी से फैल जाता है जो पहले से किसी ना किसी बीमारी से जूझ रहे हैं और जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। इन लोगों में इंफेक्शन से लडऩे की क्षमता कम होती है।
किन लोगों को खतरा
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मुताबिक, कुछ खास कंडीशन में ही कोरोना मरीजों में म्यूकरमाइकोसिस का खतरा बढ़ता है. अनियंत्रित डायबिटीज, स्टेरॉयड की वजह से कमजोर इम्यूनिटी, लंबे समय तक आईसीयू या अस्पताल में दाखिल रहना, किसी अन्य बीमारी का होना, पोस्ट ऑर्गेन ट्रांसप्लांट, कैंसर या वोरिकोनाजोल थैरेपी (गंभीर फंगल इंफेक्शन का इलाज) के मामले में ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ सकता है।
यह हैं लक्षण
ब्लैक फंगस में मुख्य रूप से कई तरह के लक्षण देखे जाते हैं. आंखों में लालपन या दर्द, बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस में तकलीफ, उल्टी में खून या मानसिक स्थिति में बदलाव से इसकी पहचान की जा सकती है. इसलिए इन लक्षणों पर बारीकी से गौर करना चाहिए।
इनका यह कहना है
मनासा क्षेत्र के तीन मरीजों को ब्लेक फंगस होने की जानकारी सामने आई है। जिनका उपचार इंदौर एमवॉय हॉस्पिटल में जारी है। मनासा अस्पताल में एक ही व्यक्ति उपचार के लिए आया था, बाकी दो अपने स्तर पर इंदौर में उपचार करा रहें है। प्रशासन उनके परिजनों की सेंपल जांच कर रहा है।
– निरूपमा झा, बीएमओ मनासा
– डॉ. बीएल रावत, सिविल सर्जन जिला शासकीय चिकित्सालय नीमच।