अब यह किया गया संशोधन
नियम 1- प्रावधान दो-क के उप पैरा (1) में किए गए ताजा संशोधन के अनुसार उक्त को यथावत रखा गया है और साथ में अब यह भी जोड़ा गया है कि फसल वर्ष 2018-19 में जिन किसानों द्वारा दी गई अफीम में मार्फिन की औसत मात्रा प्रति हेक्टेयर ३.७ किलोग्राम से ४ किलोग्राम और वर्ष 2019-20 में 3.7 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर और अधिक तथा 4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से कम पाई गई, उनको भी डोडे पर चीरा न लगाने की शर्त पर पुन: पट्टे दिए जाएंगे। इसी प्रकार मूल नीति में प्रावधान दो-क के उप पैरा (2) में तय किया गया था कि जिन किसानों के लाइसेंस को फसल वर्ष २०१९-२० और 2021-22 में रद्द कर दिया गया था। उनके पिछले पांच वर्षों में मार्फिन औसत उपज का आकलन किया जाएगा।
नियम 2- प्रावधान दो-क के उप पैरा (2) में ताजा संशोधन के अनुसार महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए अब यह तय किया गया है कि जिन किसानों ने 2018-19, 2019-20 और 2021-22 के दौरान अफीम की खेती की थी और उनके द्वारा दी गई अफीम पोस्त में मार्फिन की औसत मात्रा 3.7 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से कम थी, उनको भी पुन: पट्टा दिया जाएगा। बशर्ते पांच वर्ष के औसत आकलन में मार्फिन की मात्रा 3.7 किलोग्राम तक पाई गई हो।
सीपीएस में इस तरह बढ़ेंगे पट्टे
उक्त दोनों प्रावधानों में ताजा संशोधन का सार-संक्षेप में अर्थ यह है कि सरकार ने वर्ष 2018-19 से 2021-21 तक की अवधि में जिन अफीम उत्पादकों के पट्टे मार्फिन औसत आधार पर काटे थे, उनके प्रति पात्रता नियमों में प्रभावी शिथिलता करते हुए एक बार पुन: अफीम काश्त से जुडऩे का असर दिया है। इस श्रेण्ी में सभी लाभान्वितों को 6-6 आरी के पट्टे डोडे पर चीरा न लगाने की शर्त पर दिए जाएंगे।
अफीम नीति में संशोधन हुआ है
केंद्रीय वित्त मंत्रालय से नई अफीम नीति में संशोधन कर दो बिंदुओ में पात्र किसानों को पट्टे जारी करने का उल्लेख किया है। मंत्रालय की अधिसूचना विभाग को प्राप्त हो गई है। उसके अनुसार दोनों बिंदुओं में पात्र किसानों को चिह्नित कर पट्टे वितरण का कार्य किया जाएगा।
-डॉ. संजय कुमार, डीएनसी, सेंट्रल नारकोटिक्स ब्यूरो नीमच।