चारभुजानाथ को भेंट की सोने की पादुका व तिलक
नीमचPublished: Jul 18, 2017 05:13:00 pm
कंजार्डा में विराजे भगवान चारभुजा की मूर्ति
नीमच/मनासा/कंजार्डा. कंजार्डा में विराजे भगवान चारभुजा की महिमा किसी से छुपी नहीं है। कहा जाता है कि पुराने जमाने में भगवान चारभुजा की मूर्ति समीप स्थित झारड़ा दो में थी। एक ग्रामीण को सपने में आकर दर्शन दिए थे कि मूर्ति को जब निकाला गया तो विशालकाय एक ही पत्थर पर चौबीस ही अवतार अवतरीत थे। मूर्र्ति को लेने के लिए कंजार्डा चौकड़ी से ग्रामीण बैल गाडिय़ों से लेने गए किंतु मूर्ति को चौकड़ी के लिए ले जाने लगे तो वहां से बैल गाड़ी ही नही चली। कंजार्डा के ग्रामीणों ने मूर्ति को लेकर आसानी से गांव में आ गए। पुराना मंदिर था उसका दरवाजा मूर्ति के आकार से काफी छोटा था। ग्रामीणों ने सोचा की सुबह दरवाजा तोड़ कर मूर्ति को विराजीत करेंग। मंदिर में विराजीत माता की मूर्र्ति को अन्य मंदिर में विधिविधान से स्थापित करेंगे, लेकिन रात में ही मूर्ति मंदिर में स्वयं विराजीत हो गई ओर मंदिर में विराजीत माता की मूर्ति अन्य मंदिर में जाकर विराजित हो गई।
जावद निवासी नरेन्द्र पिता यादवचंद सोनी ने बताया कि वे भगवान चारभुजा के दर्शन के लिए आए थे उस समय उन्होंने भगवान का श्रृंगार देखा था। उस समय भगवान के श्रृंगार में केवल चांदी ही चांदी नजर आरही थी उसी दिन मन में निश्चय किया था कि भगवान के श्रंगार में पीला भी होना चाहिए। निश्चय आज पूरा हुआ। जावद के सोनी द्वारा भगवान के चरणों मे सोने की जूतियां और कान के तिलक भेंट किए।