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नगरपालिका चुनाव में ‘बाहरी’ पर दांव खेलने को मजबूर कांग्रेस

locationनीमचPublished: Jun 14, 2022 12:14:06 am

Submitted by:

Mukesh Sharaiya

पत्रिका एक्सक्लूसिव
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने स्थानीय पर जोर देने जारी किया पत्र

नगरपालिका चुनाव में 'बाहरी' पर दांव खेलने को मजबूर कांग्रेस

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के आदेश से जारी किया गया पत्र।

मुकेश सहारिया, नीमच. एक बार फिर नगरपालिका चुनाव में कांग्रेस के पास जीताऊ प्रत्याशियों को संकट साफ नजर आ रहा है। जनपद पंचायत चुनाव में मनासा और नीमच के सभी 25 वार्डों में कांग्रेस अपने अधिकृत प्रत्याशी की घोषणा नहीं कर सकी। जनपद पंचायत जावद में एक वार्ड तो जिला पंचायत के 10 में से दो वार्डों में ऐसे हालात बने हैं। अब नगरीय निकाय में भी ऐसे ही हालात निर्मित होते दिख रहे हैं।
बनती है भाजपा की बहुमत वाली परिषद
नगरपालिका परिषद नीमच का इतिहास रहा है कि यहां प्रत्यक्ष चुनाव में भले लगातार ३ बात कांग्रेस का अध्यक्ष रहा हो, लेकिन बहुमत भाजपा पार्षदों का ही रहा है। ऐसे में अप्रत्यक्ष चुनाव में भी बहुमत भाजपा का होगा इसकी संभावना अधिक हैं। इसके चलते नपाध्यक्ष (अनारक्षित महिला) भी भाजपा से ही बनने की उम्मीद अधिक है। इसकी प्रमुख वजह भी है। इस समय कांग्रेस के पास ऐसे जिताऊ प्रत्याशी ही नहीं हैं। जो इस श्रेणी में आते भी हैं तो वे पार्षद का चुनाव लड़कर अपने राजनीतिक भविष्य पर प्रश्नचिंह नहीं लगाना चाह रहे हैं। कुछेक हिम्मत भी दिखा रहे हैं तो उनका वार्ड इस बात की गवाही नहीं दे रहा कि वे वहां से किस्मत आजमा सकें। ऐसे में वे अन्य वार्ड का रुख करने को मजबूर हैं।
बाहरी तमगे के साथ समर्थक को साधने का प्रयास

कांग्रेस के कुछ वार्ड तो ऐसे हैं जहां से उनकी जीतने की उम्मीद न के बराबर है। कुछ वार्डों में आरक्षण की वजह से जीतने वाले दावेदारों के मंसूबों पर पानी फिर गया। अब वे ऐसे सुरिक्षत वार्ड की तलाश कर रहे हैं। समर्थक को तलाश भी लिया तो वहां जातिगत समीकरण ने परेशानी खड़ी कर दी। ऐसे में हार की आशंका ने दूसरे समर्थक को साधने का प्रयास किया जा रहा है। कांग्रेस में वैसे भी उच्चस्तर से जारी निर्देशों का पालन काफी कम ही होता है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने भले फरमान जारी कर दिया हो, लेकिन उसपर पालन होता नहीं दिख रहा है। इसके चलते ही नगरपालिका के करीब १० से ११ वार्डों में बाहरी प्रत्याशी किस्मत आजमाते दिखाई देंगे। कांग्रेस में गुटबाजी और आपसी खींचतान के चलते भी संकट अधिक है। सूत्र तो यहां तक बता रहे हैं कि इस कारण से कांग्रेस एक दर्जन वार्डों तक सिमटकर रह जाएगी। कांग्रेस से भाजपा में आए सिंधिया समर्थक सुरेंद्र सेठी (पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष) इस बात की पुष्टि भी कर रहे हैं कि कांग्रेस की गुटबाजी और कमजोर नेतृत्व ही हार का सबसे बड़ा कारण बनेगा। पिछले दिनों उदयपुर के चिंतन शिविर में अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग को साधने का निर्णय लिया गया था। जिला कांग्रेस में दिग्गज नेताओं के रहते हुए भी जिला पंचायत में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हुए वार्ड से प्रत्शाशी ही नहीं खड़ा कर सके। ऐसे ही अनुसूचित जाति वर्ग के एक वार्ड में देखने को मिला। सेठी ने कहा कि इस प्रकार सच्चाई से मुंह नहीं फेरा जा सकता। वास्तविकता यह है कि कांग्रेस के पास जीतने का दम भरने वाले दावेदारों का टोटा है। बाहरी प्रत्याशी पर दांव लगाना कांग्रेस संगठन की मजबूरी बन चुका है। भले ही पत्र के माध्यम से जिला संगठन को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने ही बाहरी को टिकट नहीं देने के लिए सचेत क्यों नहीं किया हो। गुटबाजी और कमजोर नेतृत्व क्षमता की वजह से नगरपालिका नीमच में कांग्रेस 10 से 11 सीट पर सिमट जाएंगी।

मजबूत प्रत्याशी को ही देंगे टिकट
यह बात सही है कि नगरपालिका नीमच के सभी ४० वार्डों में से कुछ वार्डों में मजबूत प्रत्याशी नहीं हैं। ऐसे वार्डों में समक्ष प्रत्याशी की तलाश की जा रही है। यह भी सही है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने जिस वार्ड से मतदाता सूची में नाम दर्ज है वहीं से प्रत्याशी खड़ा करने के निर्देश दिए हैं। जिन वार्डों से मजबूर प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं वहां बाहरी को प्रत्याशी बनाने पर विचार चल रहा है।
– अजीत कांठेड़, जिलाध्यक्ष कांग्रेस

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