अलवर जिले में कैंसर पीडि़तों की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ती जा रही है लेकिन इसको खाने वालों की संख्या में कोई कमी नहीं हुई है। चिकित्सा विभाग की माने तो अलवर शहर के 60 प्रतिशत लोग गुटखा खाते हैं।
60 प्रतिशत लोग खा रहे गुटखा: जिले की जनसंख्या करीब 37 से 38 लाख मानी जा रही हैं। जिसमें से 60 प्रतिशत युवा हैं। इन युवाओं में से भी करीब 40 से 50 प्रतिशत पान मसाला के रूप में गुटखा खा रहे हैं। इसके अलावा अन्य लोग अलग हैं।
मौटे तौर पर करीब पान मसाला व गुटखा का सेवन करने वाले लोग रोजाना 5 से 10 रुपए इस पर खर्च करते हैं। एेसे भी लोग हैं जो एक ही दिन में 50 से 100 रुपए के पान मसाला खा रहे हैं।
इस तरह पूरे जिले में एक दिन में करीब 60 लाख से एक करोड़ रुपए तक पान मसाला के रूप में गुटखा खाया जा रहा है। धूम्रपान पर मोटा खर्च पान मसाला के अलावा धुम्रपान भी स्कूल, कॉलेज व अन्य प्रतिबंधित जगहों पर बेचा जा रहा है। एक दूसरे को देखकर युवा पीढ़ी भी धुम्रपान की शौकीन हो रही है। जिसके खतरे से वाकिफ होते हुए भी धुम्रपान बढ़ रहा है।
सरकार ने प्रतिबंध लगाने के बावजूद जिम्मेदारी अधिकारी बराबर कार्रवाई नहीं करने से सार्वजनिक व प्रतिबंधित जगहों पर बेचान हो रहा है। पहले शौक फरमा, फिर आदत में स्कूल कॉलेज के विद्यार्थी भी अपने किसी साथी को देखकर पहले धुम्रपान व पान मसाले का स्वाद चखने के शौक को आदत में ढाल लेते हैं।
फिर इससे पीछा छुड़ाना मुश्किल हो जाता है। चोरी छुपे इस आदत में लगे रहते हैं। जिसके गंभीर परिणाम आए दिन सामने आ रहे हैं। सरकार को इसे और गंभीरता से लेकर कार्रवाई करने की जरूरत है।
सार्वजनिक स्थलों पर भी खाते हैं नहीं है डर: अलवर के सामान्य चिकित्सालय में खुल्ले में लोग व मरीजों के परिजन धुम्रपान व गुटखा खाते धूकते नजर आती है जबकि सामान्य चिकित्सालय में जगह-जगह 200 रुपए जुर्माना व धुम्रपान निषेध की सूचना लगी हुई है फिर भी लोगबाग नहीं मानते क्योंकि इन पर सख्ती से कोई कार्यवाही नहीं होती। अलवर में सार्वजनिक स्थलों पर गुटखा खाते लोग आसानी से मिल जाएंगे।