वंशिता के पिता न्यायालय में चालक हैं तो वहीं दूसरी ओर दीर्घा गुप्ता के पिता की पुस्तक बाजार में दुकान है।
पत्रिका से बातचीत के दौरान वंशिता पिता अरविंद गुप्ता ने बताया कि दादाजी रमेशचंद्र गुप्ता न्यायालय में रीडर पद से रिटार्यड हुए और वह अब मंदसौर में वकालत करते हैं। पिता भी न्यायालय सेवा से जुड़े हैं। ऐसे में शुरू से मन था कि न्यायिक सेवा से जुडऩा है। इसी के चलते जयपुर से बीए और एलएलबी की। अगस्त 2021 में लिखित परीक्षा में पहली बार भाग लिया और पास हुई। साक्षात्कार में भी उनकी 7वीं रैंक बनी है। परिवार से जज बनने का गौरव उन्हें मिला है और वह काफी प्रसन्न है।

नौकरी के साथ की जज की तैयारी
नीमच सिटी निवासी दीर्घा ने बताया कि वह नेशनल हाईवे ऑथोरिटी दिल्ली में सर्विस करती है। उन्होंने नीमच कॉन्वेट से आठवीं तक पढ़ाई की है। एलएलएम रायुपर छत्तीसगढ़ से किया है। पढ़ाई के दौरान न्यायाधीश भानुमति का भी सान्निध्य मिला। उनके बड़े पापा नरेंद्र अग्रवाल एडवोकेट हैं। दादाजी कन्हैयाला ऐरन भी एडवोकेट थे। वह छोटी थी, तभी स्वर्गवास हो गया। परिवार न्यायिक सेवा से जुड़ा होने के कारण उनके मन में भी इसके प्रति झुकाव था और अंत में तैयारी की और सेकंड प्रयास में उनका सिविल जज में चयन हुआ है। वह आठ घंटे की नौकरी के समय में सुबह जल्दी उठकर पढऩा पसंद करती थी। ऑफिस में भी सभी का सहयोग मिलता था, थोड़ा समय मिलते वह अध्ययन करने में जुट जाती थी।