अन्नदाता की क्या है परेशानी यहां पढ़ें
शासन स्तर पर अब तक यह तय नहीं हो पाया है कि किसानों के यहां सुरक्षित रखा डोडाचूरा कैसे नष्ट किया जाए। दूसरी ओर इस महीने के अंत तक आगामी अफीम फसल को लेकर नई नीति की घोषणा हो जाएगी। इस बीच अन्नदाता डोडाचूरा की चौकीदारी कर परेशान हो रहे हैं। एनडीपीएस एक्ट के डर की वजह से अन्नदाता का अधिकांश समय घरों में संग्रहित कर रखे गए डोडाचूरा की चौकीदारी में बीत रहा है। वैवाहिक आयोजन हो या मौत मरण का कार्यक्रम अफीम काश्तकार का पूरा परिवार एकसाथ नहीं जा सकता। घर पर डोडाचूरा की चौकीदारी के लिए एक न एक सदस्य को अनिवार्य रूप से रहना पड़ता है। शासन स्तर पर अब तक डोडाचूरा नष्टीकरण को लेकर अंतिम निर्णय नहीं होने पर इसका खामियाजा अफीम काश्तकारों को उठाना पड़ रहा है। अफीम फसल वर्ष 2016-17 में कुल 29 हजार 398 किसानों ने अपनी अफीम विभाग को तुलवाई थी। इसी प्रकार वर्ष 2017-18 में 28 हजार 728 किसानों ने अफीम तुलवाई थी। इस मान से दोनों सालों में कुल 58 हजार 126 किसानों द्वारा अफीम विभाग को जमा कराई थी। इसी प्रकार प्रत्येक किसान के पास औसत 70 किलोग्राम डोडाचूरा माना जाए जो यह आंकड़ों दो साल में हजारों क्विंटल पहुंच जाता है। इतनी बड़ी मात्रा में डोडाचूरा किसानों के पास पड़ा होने और शासन स्तर पर इसके नष्टीकरण को लेकर कोई ठोस निर्णय नहीं लिए जाने से किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है। संभवत: आगामी 15 अक्टूबर से आचार संहिता लागू होने की पूरी संभावना है। ऐसे में किसानों की और अधिक चिंता बढऩा लाजमी भी है। वहीं आगामी अफीम फसल को लेकर इसी माह के अंत तक नई अफीम नीति की भी घोषणा हो सकती है। ऐसे में अन्नदाता फिर से अफीम बोवनी में व्यस्त हो जाएगा। पिछले दो सालों का डोडाचूरा नष्ट हुआ नहीं तीसरी फसल की तैयार शुरू हो जाएगी। जिला प्रशासन की ओर से डोडाचूरा नष्टीकरण को लेकर शासन से कई पत्र व्यवहार किए जा चुके हैं। अबतक किसी प्रकार के निर्देश प्राप्त नहीं होने से प्रशासन की ओर से भी नष्टीकरण को लेकर अंतिम निर्णय भी नहीं हो पाया है।
इनका कहना है
डोडाचूरा नष्टीकरण के संबंध में शासन को पत्र लिखा था। शासन से जैसे निर्देश मिलेंगे उस अनुसार नष्टीकरण की कार्रवाई की जाएगी।
– राकेश कुमार श्रीवास्तव, कलेक्टर
शासन स्तर पर अब तक यह तय नहीं हो पाया है कि किसानों के यहां सुरक्षित रखा डोडाचूरा कैसे नष्ट किया जाए। दूसरी ओर इस महीने के अंत तक आगामी अफीम फसल को लेकर नई नीति की घोषणा हो जाएगी। इस बीच अन्नदाता डोडाचूरा की चौकीदारी कर परेशान हो रहे हैं। एनडीपीएस एक्ट के डर की वजह से अन्नदाता का अधिकांश समय घरों में संग्रहित कर रखे गए डोडाचूरा की चौकीदारी में बीत रहा है। वैवाहिक आयोजन हो या मौत मरण का कार्यक्रम अफीम काश्तकार का पूरा परिवार एकसाथ नहीं जा सकता। घर पर डोडाचूरा की चौकीदारी के लिए एक न एक सदस्य को अनिवार्य रूप से रहना पड़ता है। शासन स्तर पर अब तक डोडाचूरा नष्टीकरण को लेकर अंतिम निर्णय नहीं होने पर इसका खामियाजा अफीम काश्तकारों को उठाना पड़ रहा है। अफीम फसल वर्ष 2016-17 में कुल 29 हजार 398 किसानों ने अपनी अफीम विभाग को तुलवाई थी। इसी प्रकार वर्ष 2017-18 में 28 हजार 728 किसानों ने अफीम तुलवाई थी। इस मान से दोनों सालों में कुल 58 हजार 126 किसानों द्वारा अफीम विभाग को जमा कराई थी। इसी प्रकार प्रत्येक किसान के पास औसत 70 किलोग्राम डोडाचूरा माना जाए जो यह आंकड़ों दो साल में हजारों क्विंटल पहुंच जाता है। इतनी बड़ी मात्रा में डोडाचूरा किसानों के पास पड़ा होने और शासन स्तर पर इसके नष्टीकरण को लेकर कोई ठोस निर्णय नहीं लिए जाने से किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है। संभवत: आगामी 15 अक्टूबर से आचार संहिता लागू होने की पूरी संभावना है। ऐसे में किसानों की और अधिक चिंता बढऩा लाजमी भी है। वहीं आगामी अफीम फसल को लेकर इसी माह के अंत तक नई अफीम नीति की भी घोषणा हो सकती है। ऐसे में अन्नदाता फिर से अफीम बोवनी में व्यस्त हो जाएगा। पिछले दो सालों का डोडाचूरा नष्ट हुआ नहीं तीसरी फसल की तैयार शुरू हो जाएगी। जिला प्रशासन की ओर से डोडाचूरा नष्टीकरण को लेकर शासन से कई पत्र व्यवहार किए जा चुके हैं। अबतक किसी प्रकार के निर्देश प्राप्त नहीं होने से प्रशासन की ओर से भी नष्टीकरण को लेकर अंतिम निर्णय भी नहीं हो पाया है।
इनका कहना है
डोडाचूरा नष्टीकरण के संबंध में शासन को पत्र लिखा था। शासन से जैसे निर्देश मिलेंगे उस अनुसार नष्टीकरण की कार्रवाई की जाएगी।
– राकेश कुमार श्रीवास्तव, कलेक्टर