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जमीन से बाहर निकलने से पहने फसल को कुतर रहा यह कीट

locationनीमचPublished: Jul 11, 2019 01:49:39 pm

Submitted by:

Subodh Tripathi

जमीन से बाहर निकलने से पहने फसल को कुतर रहा यह कीट

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जमीन से बाहर निकलने से पहने फसल को कुतर रहा यह कीट

नीमच. मालवा का पीला सोना कहा जाने वाली सोयाबीन की फसल में सफेद लट का प्रकोप छाने लगा है। चूकि यह भूमिगत कीड़ा है इस कारण इसकी प्रकोप की पहचान पौधे पर होने वाले विपरित प्रभाव से पड़ती है। सफेद लट द्वारा भूमि के अंदर की फसल की जड़ों को काटना शुरू कर दिया जाता है। जिससे जमीन के बाहर निकले पौधे के पत्ते मुरझाना, पौधे का विकास रूक जाना आदि नजर आता है। ऐसे में पौधे को निकालने पर जड़ कटी हुई मिलती है। वहीं सफेद लट मिट्टी खोदने पर नजर आती है।

समीपस्थ गांव मालखेड़ा में सोयाबीन के खेत में सफेद लट का प्रकोप नजर आया, किसान द्वारा जानकारी देने पर कृषि वैज्ञानिक टीम सहित पहुंचे, जहां उन्होंने निरीक्षण किया तो पता चला कि वाकई सफेद लट का प्रकोप छाया है। इस कीट का नियंत्रण नहीं करने पर यह फसल को काफी नुकसान पहुंचाता है, इससे पूरा खेत खाली हो जाता है। चूकि यह भूमिगत कीड़ा है इसलिए फसल उगने के साथ ही यह नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। इस कारण जैसे ही लक्षण नजर आते हैं किसानों को जागरूक होकर इस पर नियंत्रण करना होगा, ताकि फसल का उत्पादन प्रभावित नहीं हो। वैसे तो यह कीड़ा अधिकतर मूंगफली और जहां रेतीली मिट्टी होती है वहां अधिक नजर आता है। लेकिन यह सर्वभक्षी कीड़ा होने कारण सभी फसलों को काटने में कोई कसर नहीं छोड़ता है।

कृषि वैज्ञानिक डॉ श्यामसिंह सारंग देवोत ने बताया कि यह कीड़ा प्री मानसून की बारिश के साथ ही पनप जाता है। इसके नियंत्रण के लिए क्लोरपाईरीफास 10 जी की 20 से 25 किलोग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर के मान से ख्ेत में बुरका कर कुलपा चलाएं, अथवा खेत में नमी हो या बूंदाबांदी हो रही हो तो क्लोरपाईरीफास 20 प्रतिशत ईसी की 4 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लकड़ी के बुरादे अथवा रेत में मिलाकर बुरक सकते हैं।
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