कथा सुनकर निकाला पीपल से सोना
नीमचPublished: Apr 02, 2016 11:48:00 pm
दशामाता के रूप में पूजे पीपल, सुहागनों का उमड़ा सैलाब
नीमच। घर की दशा सुधारने व सुख समृद्धि की कामना को लेकर शहर सहित अंचल में दशामाता की पूजा अर्चना कर परिक्रमा लगाई गई। इस अवसर पर सुहागन महिलाओं का सैलाब शहर के मंदिरों और पीपल वक्षों पर नजर आया। महिलाओं ने कच्चे सूत से परिक्रमा कर माता से सुख समृद्धि की कामना की। शहर के मंदिरों और पीपल वृक्षों पर शनिवार सुबह से ही महिलाओं का सैलाब उमड़ रहा था। एक के बाद एक महिलाओं का जत्था पूजा अर्चना करने पहुंच रहा था। महिलाओं ने पूजा अर्चना कर मीठे पकवान का भोग लगाया।
सूत से करती10 बार परिक्रमा
इस दिन दशामाता का स्वरूप पीपल में उतर आता है। इस कारण पीपल वृक्ष की पूजा की जाती है। महिलाएं पूजा करने के साथ ही कच्चे सूत से 10 बार परिक्रमा करती है। इससे पीपल वृक्ष पर कच्चा सूत लपटा हुआ नजर आता है। इसी के साथ महिलाए दस धागे के कच्चे सूत को गले में भी पहनती है। इस अवसर पर बुजूर्ग महिलाओं द्वारा नल दमयंती की कहानी सुहागन महिलाओं को सुनाई जाती है। कहा जाता है कि सुख और दुख भाग्य में लिखे होने पर कोई टाल नहीं सकता है। इस कारण घर की दशा सुधारने व सुख समृद्धि की कामना को लेकर दशामाता की पूजा अर्चना की जाती है। यह व्रत व पूजा महिलाओं द्वारा ससुराल में ही की जाती है। पूजन के बाद महिलाएं चटी उंगली से पीपल की छाल निकालकर घर में रखती है। इसे सोने का रूप माना जाता है।
महिलाओं ने की दशामाता पूजा
शनिवार सुबह से ही महिलाएं दशामाता व्रत व पूजा करने पहुंचने लगी थी। सुबह महिलाओं ने पिली मिट्टी से आंगन और घर के चूल्हे पर लेप लगाकर परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। साथ ही महिलाओं ने पीपल के पेड़ की पूजा कर कच्चे सूत के साथ परिक्रमा लगाकर पति की दीर्घ आयु की मंगलकामना की। पीपल की छाल को स्वर्ग समझकर महिलाएं घर लेकर पहुंची और घर तिजोरी में रखी। इस अवसर पर महिलाओं ने पूजा स्थल पर उपस्थित होकर पंडित से दशामाता की कथा सुनी।