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मध्यप्रदेश का एक मंदिर, जहां दाना चुगते आते हैं पंछी

locationनीमचPublished: Dec 28, 2017 07:49:20 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

कहते है जिसको पेट दिया, उसके लिए दाना भी बनाया। एेसा ही मध्यप्रदेश का ये मंदिर है। जहां दाने की तलाश में दुर-दुर से पंछी आते है।

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नीमच/जीरन। अन्नक्षेत्र तो आपने बहुत देखे होंगे। लेकिन नगर के देवनारायण मंदिर की धर्मशाला की छत पर चल रहा अन्नक्षेत्र खुद में अनोखा है। क्योंकि यहां मनुष्य नहीं, बल्कि परिंदे दाना चुगने आते हैं। एक पुरानी कहावत है कि इंसान को खाली पेट उपर वाला उठाता है, लेकिन सुलाता हमेशा पेट भरने के बाद ही है। कहते है जिसको पेट दिया, उसके लिए उपर वाले ने दाना भी बनाया। एेसा ही मध्यप्रदेश का एक मंदिर है। जहां दाने की तलाश में दुर-दुर से पंछी आते है।
बेजुबां पक्षियों को पेटभर भोजन कराने के उद्देश्य से चार साल पहले मंदिर आने वाले पांच भक्त मदनलाल गायरी, मथुरालाल पाटीदार, केशुराम पाटीदार, रामप्रसाद पाटीदार, कुशल भामावत ने मिलकर परिंदों के इस अनूठे अन्नक्षेत्र का श्रीगणेश गुरु पूर्णिमा 2013 में किया था। कुछ गिनती के परिंदों को दाना डालने से हुई शुरुआत ने आज बड़ा रूप ले लिया है। इसमें वर्तमान में १३० से अधिक सदस्य है। वर्तमान में यहां रोजाना मोर, कबूतर, चिडिय़ा, तोते, गुरैया, कौवे सहित अन्य तरह के करीब ५ हजार से अधिक पक्षी दाना खाने पहुंचते हैं। इनके लिए मक्का, गेहूं, चावल सहित प्रतिदिन 20 से 25 किलो अनाज डाला जाता है।
यह है अन्नक्षेत्र की व्यवस्था


शुरुआत करने वाले भक्तों ने अन्नक्षेत्र संचालन के लिए बकायदा देवनारायण पक्षी दाना समिति बनाई है। प्रेरणा देने वाले मदनलाल गायरी रोजाना सुबह 5.30 से 6 बजे दानों से भरी थैलियां लेकर धर्मशाला की छत पर पहुंच जाते हैं। फिर पक्षियों को बुलाकर दाना डालते हैं। कुछ पक्षी तो इनकी मौजूदगी में पहुंच जाते हैं, लेकिन अधिकांश इनके नीचे उतरने के बाद दाना चुगने आते हैं। इसके बाद दिनभर यह क्रम चलता रहता है।
विशेष क्षेत्र बनाना है

पानी के लिए धर्मशाला के आसपास पेड़ों पर पानी के पात्र भी लटका रखे हैं। समिति के गायरी ने बताया कि हमारी योजना यहां एक विशेष क्षेत्र बनाना है। इसमें पेड़-पौधों लगाकर ऐसी व्यवस्था की जाएगी। इसमें पक्षी दाना चुगने के साथ घोंसला बनाकर निवास भी कर सकें। इसी में उनके प्रजनन करने लायक वातावरण व अन्य सुविधा भी जुटाई जाएगी।

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