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नीमच

Video : क्या कारण है कि यहां नहीं हो पा रहा लोगों का डायलिसिस

पिछले दिनों एक महिला की ओर चुकी है मौत

नीमचJan 19, 2019 / 01:08 pm

Mukesh Sharaiya

Hospital News In Hindi Neemuch

जिला अस्पताल में डायलिसिस कराने के लिए भर्ती हुए मरीज।

नीमच. जिला अस्पताल में डायलिसिस मशीन ठीक होने के बाद मरीजों का रियायती दर पर फिर से डायलिसिस प्रारंभ हो गया है। पूर्व में जिन मरीजों का डायलिसिस किया जा रहा है वे ही अभी भी इसका लाभ ले रहे हैं। सीमित संख्या में डायलिसिस मशीनें होने से आज भी करीब 9 मरीज डायलिसिस के लिए अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे हैं। लम्बे समय से डायलिसिस की दो और मशीनें जिला अस्पताल में लगाने की मांग उठ रही है।

नहीं आए दिल्ली से एक्सपर्ट
करीब एक पखवाड़े से भी अधिक समय तक डायलिसिस मशीन खराब पड़ी रहने से एक महिला को अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा था। कलेक्टर के औचक निरीक्षण के बाद अस्पताल प्रबंधन ने स्थानीय स्तर पर डायलिसिस मशीन के आरओ सिस्टम को ठीक कराया। अब मशीन पूरी तरह से काम कर रही है। बावजूद इसके जिले के सभी लोगों को डायलिसिस का लाभ नहीं मिल पा रहा है। यहां मात्र दो ही मशीने संचालित हैं और मरीजों की कतार लम्बी है। इनमें भी पहले बीपीएल कार्डधारियों को लाभ मिलता है। ऐसे में करीब 9 मरीज अब भी अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे हैं। मजे की बात यह है कि जिस एजेंसी को डायलिसिस मशीन के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी दी गई है उसके इंजीनियर या कर्मचारी कई बार सूचित करने के बाद भी दिल्ली से आज तक नीमच नहीं पहुंचे हैं। इससे जिला अस्पताल प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्न चिह्न लगता है।

करीब डेढ़ साल शुरू हुई डायलिसिस सुविधा
जिला चिकित्सालय में मरीजों के लिए डायलिसिस सुविधा 28 अप्रैल 2016 से प्रारंभ हुई है। इससे पहले जिले के मरीजों को डायलिसिस करवाने के लिए निजी अस्पतालों के चक्कर काटना पड़ते थे। किडनी विशेषज्ञ नहीं होने की वजह से तो आज भी बड़ी संख्या में मरीजों को अन्य शहरों में उपचार कराने जाना पड़ता है। जानकार बताते हैं कि किडनी विशेषज्ञ करीब डेढ़ से दो माह में एक बार डायलिसिस सेंटर पहुंचकर मरीजों को देखते हैं। इसके अतिरिक्त यहां के मरीजों को इंदौर, उदयपुर, अहमदाबाद आदि शहरों में उपचार कराने जाना पड़ता है। भले ही जिला मुख्यालय पर डायलिसिस सेंटर प्रारंभ हो गया है, लेकिन दो ही मशीनें होने से सीमित संख्या में ही मरीजों को इसका लाभ मिल पा रहा है। आज भी करीब 9 मरीज डायलिसिस के लिए वेटिंग में है। 12 मरीज नियमित रूप से जिला चिकित्सालय में डायलिसिस करवा रहे हैं। वेटिंग लिस्ट में रहने वाले मरीजों का नंबर कब आएगा इसको लेकर जिम्मेदार स्थिति स्पष्ट करने की स्थिति में नहीं है।

दो मशीने बढ़ाने की उठी थी मांग
जिला चिकित्सालय में संचालिक डायलिसिस सेंटर में वर्तमान में संचालित दो मशीनों का लाभ सभी मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। इस कारण लम्बे समय से अस्पताल में दो और डायलिसिस मशीन लगाने की मांग की जा रही है। इसकी एक वजह भी है। अस्पातल में संचालित डायलिसिस मशीनों से बीपीएल कार्डधारियों को नि:शुल्क और सामान्य वर्ग का मात्र 500 रुपए में डायलिसिस होता है। शेष सभी सुविधाएं भी जिला अस्पताल से उपलब्ध कराई जाती हैं। जबकि निजी अस्पताल में डायलिसिस कराने के लिए 1400 से 2100 रुपए लिए जाते हैं। इतना ही नहीं अन्य सुविधाएं मरीज को स्वयं के खर्च पर लाना होती है। इस कारण गरीब परिवार डायलिसिस कराने से वंचित रह जाते हैं। यदि जिला चिकित्सालय में दो और डायलिसिस मशीन लग जाती हैं तो बड़ी संख्या में बीपीएल और सामान्य वर्ग के लोगों को अन्य शहरों और निजी अस्पताल के चक्कर काटने से छुटकारा मिल जाएगा।

करीब 9 मरीज हैं वेटिंग में
जिला चिकित्सालय में संचालित डायलिसिस मशीन स्थानीय स्तर पर ठीक करवा ली गई है। मरीजों की डायलिसिस प्रारंभ कर दी गई है। वर्तमान में १२ मरीजों की डायलिसिस की जा रही है। करीब 9 मरीज वेटिंग में हैं। जब जगह खाली होती है वेटिंग वाले मरीज को अवसर देते हैं।
– डा. एनके गोयल, नोडल अधिकारी डायलिसिस सेंटर

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