गलती करने वाले को माफ करें, धन्य होगा जीवन
यह बात कथा व्यास पंडित रतिश शर्मा अमलावद वाले ने कही। वे रविवार को सुबह 11.30 से 3.30 तक मंशापूर्ण हनुमान महाराज ग्रामवासी भाटखेड़ा द्वारा मारुति राज महायज्ञ श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ शिव परिवार प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतर्गत आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि वैसे ही व्यक्ति संस्कारों के सत्संग में रहता है तो संस्कार अपने आप सीख जाता है। प्राचीनकाल में व्यक्ति बड़े से बड़ी गलती करने पर भी अभय दान क्षमा कर देता था, लेकिन आज व्यक्ति मन में बदले की भावना रखता है। इसी कारण संसार में अनेक लोग दुखी है। जिसने गलती करने वाले को माफ कर दिया उसका जीवन सदैव धन्य हो गया। कलयुग में झूठ और क्रोध गाली अभिमान से सदैव बचना चाहिए। यह आदमी के विनाश के मार्ग हैं। जीवन में सब कुछ कर लेना चाहिए, लेकिन अभिमान नहीं करना चाहिए। सोने की लंका और सोने की द्वारिका आज देखने को नहीं मिलती है। इसलिए जो आज है वह कभी रहेगा यह सुनिश्चित नहीं है। धन संपत्ति पर कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए। भगवान का भजन कर जीवन के आनंद को समझना चाहिए। कलयुग में भगवान के स्मरण मात्र से वह मिल जाता है। कलयुग में जुआ मदिरा अहंकार से बचना चाहिए।
यह बात कथा व्यास पंडित रतिश शर्मा अमलावद वाले ने कही। वे रविवार को सुबह 11.30 से 3.30 तक मंशापूर्ण हनुमान महाराज ग्रामवासी भाटखेड़ा द्वारा मारुति राज महायज्ञ श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ शिव परिवार प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतर्गत आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि वैसे ही व्यक्ति संस्कारों के सत्संग में रहता है तो संस्कार अपने आप सीख जाता है। प्राचीनकाल में व्यक्ति बड़े से बड़ी गलती करने पर भी अभय दान क्षमा कर देता था, लेकिन आज व्यक्ति मन में बदले की भावना रखता है। इसी कारण संसार में अनेक लोग दुखी है। जिसने गलती करने वाले को माफ कर दिया उसका जीवन सदैव धन्य हो गया। कलयुग में झूठ और क्रोध गाली अभिमान से सदैव बचना चाहिए। यह आदमी के विनाश के मार्ग हैं। जीवन में सब कुछ कर लेना चाहिए, लेकिन अभिमान नहीं करना चाहिए। सोने की लंका और सोने की द्वारिका आज देखने को नहीं मिलती है। इसलिए जो आज है वह कभी रहेगा यह सुनिश्चित नहीं है। धन संपत्ति पर कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए। भगवान का भजन कर जीवन के आनंद को समझना चाहिए। कलयुग में भगवान के स्मरण मात्र से वह मिल जाता है। कलयुग में जुआ मदिरा अहंकार से बचना चाहिए।
सम्मान मिलने पर भी जो स्थिर रहता है वह कभी दुखी नहीं होता
पंडिज शर्मा ने कहा कि जुएं में युधिष्ठिर का परिवार बर्बाद हो गया था, इसलिए हमें जुएं से बचना चाहिए। भगवान धन प्रदान किया तो उसे दान पुण्य धर्म के मार्ग पर लगाना चाहिए, ताकि उसका सदुपयोग सार्थक सिद्ध हो सके। साधु के गुण देखना चाहिए उसकी जाति नहीं। तलवार का मूल्य करना चाहिए म्यान का नहीं। बुद्धिमान का सिर झुकता है, मूर्ख कभी झुकता नहीं। जो व्यक्ति अपमान होने पर भी स्थिर रहता है सम्मान मिलने पर भी स्थिर रहता है वह कभी दुखी नहीं होता वह सदैव सुखी रहता है। जिस प्रकार हाथी शहर की सड़कों पर निकलता है। लोग उसे नमस्कार करते हैं तब भी वह स्थिर रहता है। कुछ कुत्ते उस पर भौंकते हैं तब भी वह स्थिर रहता है, इसलिए वह न दु:खी होता है न सुखी होता है। संस्कारों के अभाव में माता-पिता को संतानों ने बोझ उठाने वाले गधे के समान बना दिया है यह चिंतन का विषय है। भागवत कथा में पंडित रतिश शर्मा द्वारा आज नरसिंह ध्रुव चरित्र अवतार सती माता चरित्र आदि विषयों पर प्रकाश डाला जाएगा। महाआरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया।
पंडिज शर्मा ने कहा कि जुएं में युधिष्ठिर का परिवार बर्बाद हो गया था, इसलिए हमें जुएं से बचना चाहिए। भगवान धन प्रदान किया तो उसे दान पुण्य धर्म के मार्ग पर लगाना चाहिए, ताकि उसका सदुपयोग सार्थक सिद्ध हो सके। साधु के गुण देखना चाहिए उसकी जाति नहीं। तलवार का मूल्य करना चाहिए म्यान का नहीं। बुद्धिमान का सिर झुकता है, मूर्ख कभी झुकता नहीं। जो व्यक्ति अपमान होने पर भी स्थिर रहता है सम्मान मिलने पर भी स्थिर रहता है वह कभी दुखी नहीं होता वह सदैव सुखी रहता है। जिस प्रकार हाथी शहर की सड़कों पर निकलता है। लोग उसे नमस्कार करते हैं तब भी वह स्थिर रहता है। कुछ कुत्ते उस पर भौंकते हैं तब भी वह स्थिर रहता है, इसलिए वह न दु:खी होता है न सुखी होता है। संस्कारों के अभाव में माता-पिता को संतानों ने बोझ उठाने वाले गधे के समान बना दिया है यह चिंतन का विषय है। भागवत कथा में पंडित रतिश शर्मा द्वारा आज नरसिंह ध्रुव चरित्र अवतार सती माता चरित्र आदि विषयों पर प्रकाश डाला जाएगा। महाआरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया।