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प्राचीन धरोहर को सहजने की दरकार, टुरिस्ट गाइड चंद्रावत

locationनीमचPublished: Feb 22, 2020 07:48:55 pm

Submitted by:

Virendra Rathod

फ्रांस से नीमच आए सैलानियों ने खूब किया इंजाय
 

प्राचीन धरोहर को सहजने की दरकार, टुरिस्ट गाइड चंद्रावत

प्राचीन धरोहर को सहजने की दरकार, टुरिस्ट गाइड चंद्रावत

नीमच। राजस्थान के एतिहासिक जिले चित्तौडगढ़ की सीमा से लगा मध्यप्रदेश का जिले नीमच में भी पर्यटन को लेकर काफी कुछ आसार है, लेकिन प्राचीन धरोहर की अनदेखी के कारण यहां पर पर्यटन विकसित नहीं हो पा रहा है।

 

नीमच हुडको कॉलोनी निवासी टुरिस्ट गाइड हिम्मत सिंह चंद्रावत ने पत्रिका से बातचीत के दौरान बताया कि अभी वह फ्रांस के नानसी शहर से एक सैलानी दल राजस्थान घूमने आया है, जिन्हें वह नीमच भी घूमाने लाए है। खासकर उन्होंने यहां के पारम्परिक खेती अफीम के बारे में उन्हें जानकारी दी। अफीम में अभी सफेद फूल और डोडे आए हुए है। बहुत सुंदर फसल लग रही है। जिसके बीच उन्होंने आनंद लिया। वह केसरपुरा गांव उन्हें घुमाने लेकर आए थे। उसके बाद पुराना बाजार में भ्रमण कराया तथा मूक बधिर स्कू ल में बच्चों से मिलवाया और यहां पर किस प्रकार पढ़ाया जाता है, उसकी उन्होंने जानकारी ली। बह्म कुमारी आश्रम के भी दर्शन कराए और उसके बारे में उन्होंने हिन्दू आस्था और ध्यान के बारें में जानकारी ली। वहीं मंदसौर पशुपति नाथ के भी दर्शन कराए। शनिवार को भाटखेड़ी, जामुनिया और अठाना गांव का भ्रमण कराने के बाद वह सीधे गढ़ दिखाकर उदयपुर रवाना होंगे।

नीमच में पर्यटन के काफी असार
टुरिस्ट गाइड हिम्मत सिंह चंद्रावत ने बताया कि नीमच जिले में पर्यटन को लेकर काफी आसार है, लेकिन यहां की प्रशासनिक व राजनेताओं की अनदेखी के कारण विकास नहीं हो पा रहा है। सीआरपीएफ काफी बड़ा सेंटर है, जो कि अंग्रेजों के समय से चला आ रहा है। वहां पर प्राचीन किला और अग्रेजो के मैस है। सीआरपीएफ परिसर में एक संग्रहालय बन जाए तो पर्यटकों की रूचि बढ़ेगी। जावद के पास सुखानंद तीर्थ प्राचीन मंदिर है, लेकिन वहां पर कचरा व प्लास्टिक बिखरी पड़ी रहती है। इस कारण वहां गंदगी दिखाने तो बाहर के पर्यटकों नहीं लाया जाएगा। बरूखेड़ा के प्राचीन मंदिर में चौकीदार तक को वेतन नहीं मिल रहा है। देखरेख का अभाव है। रतनगढ़ में कनेरा घाटे के पास स्थित तालाब बर्ड सेंचुरी के रूप में विकसित है, जहां विदेशी माइग्रेट जाति के पक्षी आते है। लेकिन तालाब में मछली पालन होता है। जिससे पक्षियों के लिए खाने के लिए कुछ बचता नहीं है। जिससे उनकी संख्या दिन ब दिन कम हो रही है। मछली पकडऩे वाले पटाखे फोड़ते है। जिससे भी पक्षी निकल जाते है, रूकते नहीं हैं। पर्यटन की जिले में काफी संभावना है, लेकिन अनदेखी का शिकार हो रहा है। जबकि विश्व में पर्यटन सबसे बड़ी आय का स्रोत है।

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