scriptअपने समाज को कुप्रथा से बाहर लाना चाहते थे युवा, लेकिन निराशा हाथ लगी | latest hindi news | Patrika News

अपने समाज को कुप्रथा से बाहर लाना चाहते थे युवा, लेकिन निराशा हाथ लगी

locationनीमचPublished: Sep 16, 2018 11:23:30 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

– सरकार ने एक योजना का ठेका दे दिया बाहर की संस्था को- युवाओं ने संजोया समाज को मूलधारा में लाने का सपना

नीमच. क्षेत्र में देह व्यापार की कुप्रथा का प्रचलन बरसों से है। इस कुरीति की आड़ में अपराध भी पनपते हैं तो बेटी बचाओ-बेटी पढ़ायो जैसे अभियानों को भी यहां के हालात खुलेआम मुंह चिढ़ाते हैं। नीमच, मंदसौर और रतलाम जिलों में बांछड़ा समुदाय इस कुरीति को ढो रहा है। इन सबके पीछे कुछ मजबूरियां हैं तो कुछ छोटे रास्ते से कमाई और रंगीनी भरी जिंदगी के आनंद की गलतफहमियां हैं।। सरकारी मशीनरी से लगाकर जनप्रतिनिधियों तक के भाषणों और कागजों तक कल्याण, विकास, सामाजिक स्तर में सुधार के दावे सीमित हैं। पिछले कुछ वर्षों से महसूस किया जा रहा है कि बांछड़ा समुदाय में युवाओं का एक सुधारवादी धड़ा तैयार हुआ है। जो छटपटा रहा है कोई उनकी उंगली पकड़ ले, लेकिन न सरकार, न जनप्रतिनिधि और न ही मशीनरी ऐसा कुछ सहारा उन्हें दे पा रही है। हाल ही में सरकार ने विशेषतौर से बांछड़ा समुदाय को सुधारवादी दिशा देने के लिए पुरानी जाबाली योजना को नए स्वरूप में संवेदना नाम से प्रस्तुत किया है। योजना के पहले चरण में इस समुदाय का पूर्ण सर्वे होना है, लेकिन इस बार भी सुधारवादी युवाओं को निराशा हाथ लगी है, यह काम उन्हें नहीं मिला है बल्कि उज्जैन की संस्था को दे दिया गया।
गौरतलब है कि हाल ही में संवेदना योजना के तहत बांछड़ा समुदाय के पूर्ण सर्वे का काम ठेके पर दिया गया है। इस काम के लिए समुदाय के सुधारवादी युवाओं के संगठन ने भी आवेदन दिया था। लेकिन उन्हें दरकिनार करके उज्जैन की संस्था को काम दे दिया गया। समाज को दिशा देने की कोशिश करने वाली टीम के सदस्य नरेंद्र चौहान, समिल चौहान बताते हैं कि पहले तो अधिकारियों ने प्रोत्साहित किया। तब समुदाय के गावों में जाकर करीब ४० महिला स्व सहायता समूह और बचत समूह बनवा दिए। रोजगार के लिए उन्हें प्रेरित करते हैं, हर सप्ताह बैठकें लेते हैं। नर्सरी से लगाकर १२ वीं और कॉलेज के छात्रावासों में बच्चों के प्रवेश भी करवाए। कुछ को रोजगार प्रशिक्षण भी दिलवाया। समाज की कमियां और सुधार की प्रक्रिया की संभावनाओं के बारे में वे बेहतर जानते हैं। अन्य लोग न तो इस समाज की वास्तविकता जानते हैं न ही अपेक्षाएं समझ सकते हैं। फिर भी उन्हें यह काम दिया गया। इससे निराशा हुई है। समाज के जो लोग बमुश्किल इस सुधार की प्रक्रिया से जुड़ रहे हैं वे भी संशय की स्थिति में हैं।
नीमच जिले में बांछड़ा समुदाय बाहुल्य लगभग २७ गांव हैं इनमें से करीब २४ गावों में देह व्यापार की कुरीति प्रचलन में है। कुछ जगह नाबालिग बच्चियों को भी इस अनैतिक गौरखधंधे में उतारा जाता है। इससे बेटी बचाओ और पढ़ाओ जैसे नारे बेमानी लगते हैं।

सर्वे के लिए आवेदन करने वाली संस्था का कम से कम तीन वर्ष का अनुभव आवश्यक था, स्थानीय युवाओं की संस्था का पंजीयन एक वर्ष पूर्व हुआ है। यह कमेटी का निर्णय है। फिलहाल केवल सर्वे का काम है, योजना संबंधी कामों में हमारी पूरी कोशिश रहेगी कि समुदाय के युवाओं को ही अवसर मिले। – रेलम बघेल, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी नीमच
—————-
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो