अंतिम संस्कार भी खेतों पर होते हैं इस गांव में
नीमचPublished: Sep 17, 2018 11:02:39 pm
– सुविधा थी पर अब नहीं- प्रशासन को आवेदन दे-देकर थक गए ग्रामीण
haunted village chhattisgarh
नीमच. आधुनिकता की चकाचौंध में देश तरक्की की सीढ़ीयां चढ़ रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि गावों के हालात बदतर हैं। एक गांव ऐसा है जहां पर मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार के लिए भी कोई जगह नहीं है। गांव के लोग शासन, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के सामने गुहार लगा-लगाकर थक गए हैं, लेकिन समस्या को कोई गंभीरता से लेता ही नहीं।
यह हालात हैं जीरन तहसील के अंतर्गत कोई २ हजार की आबादी वाले गांव काली कोटड़ी के। इस गांव के समीप ही कोई तीन बरस पहले हमेरिया बांध बना। इस बारिश में यह बांध लबालब भरा है। बांध के कारण दम तोड़ते खेत आबाद हो गए। लेकिन गांव के आसपास की अधिकांश जमीनें बारिश में टापू बन गई हैं। बांध बनने के पहले किए गए सर्वे में पंचायत, स्कूल, कई घर डूब में चले गए। नियम है कि जो गांव डूब में आते हैं उनकी पुनर्बसावट की जाती है। इसमें उन तमाम सुविधाओं के लिए जमीन आरक्षित कर सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं जो बांध बनने से पहले के गाव में मौजूद रही हैं। इस गांव की कई सुविधाओं के साथ श्मसानघाट भी डूब में चला गया। नई बसावट के लिए शासन ने जिस स्थान पर श्मसानघाट के लिए भूमि आरक्षित की थी उसकी यह स्थिति है कि वर्तमान में वहां ५-५ फिट पानी भरा है। मुर्रम डालकर यह श्मसानघाट बनाया गया था जो अब दिखाई भी नहीं देता।
इस गांव में बांध बनने के बाद जितने भी लोगों की मौतें हुई हैं, मजबूरी में ग्रामीणों को उनका अंतिम संस्कार खेतों पर ही करना पड़ा है। महत्वपूर्ण यह है कि यहां श्मसानघाट की मांग लोगों ने कई बार जनप्रतिनिधियों से की लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की। गांव के ५०-५० लोगों ने कलेक्टर की जनसुनवाई में जाकर अब तक ३ बार आवेदन दे दिए हैं। ग्रामीण अरविंदसिंह राठौर बताते हैं कि जमीन श्मसानघाट के लिए आरक्षित की गई थी वहां पानी भरा है ऐसे में गांव के पास ही सर्वे १२१/१ की १ हैक्टेयर शासकीय जमीन बेकार पडी है। इधर जनपद सीइओ अरविंद माहौर का कहना है कि मामला संज्ञान में आया है। सरपंच, सचिव और ग्रामीणों के समन्वय से जल्द स्थान तय कर समस्या का हल निकालेंगे।