परदेस में आई आपदा के बीच अजनबियों का अपना बन गया नीमच का यह युवक
नीमचPublished: Aug 19, 2018 10:53:30 pm
– अपनी कमाई का जरिया ही सौंप दिया मदद के रुप में – जज्बा देख वहां के कलेक्टर ने भी की तारीफ
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नीमच. केरल इन दिनों बाढ़ की विभिषिका झेल रहा है। देश और दुनिया से वहां मदद पहुंच रही है। लेकिन जब वहां के छोटे से गांव में कोई उन पीडि़तों की मदद करने वाला नहीं पहुंचा था तब उन्हें संबल दे रहा था नीमच जिले के इस छोटे से गांव का यह युवक। अजनबियों की मदद में इस युवक ने अपनी कमाई का जरिया तक सौंप दिया।
नीमच जिले की मनासा तहसील का छोटा सा गांव है शिवपुरिया चक्की। पूरा गांव बंजारा बाहुल्य। कोई ६०-७० झोपडिय़ां हैं इस गांव में। बंजारा समाज के अधिकांश युवा दक्षिण भारत में जाकर कंबल का व्यवसाय करते हैं। महीनों वहां रोजीरोटी की तलाश में खानाबदोश की तरह रहते हैं, फिर लौट आते हंै अपने वतन। इनमें से ही शिवपुरिया चक्की गांव का एक युवक विष्णु पिता कारूलाल कछावा(बंजारा)। चार पांच साथियों की टोली के साथ पिछले महीनों हर वर्ष की तरह वह केरल के गांव-गांव कंबल बेच रहा था।
लेकिन इस माह कोई धंधा नहीं चला। जहां कंबल बेचने जाते वहां बारिश के कहर के कारण धंधा कुछ नहीं था। विष्णु पिछले २० दिनों से केरल के कन्नूर जिले के गावों में अपनी रोजी रोटी की तलाश में रोज जाता था। बंजारा समाज के कंबल बेचने वाले युवाओं की खासियत यह है कि वे जहां जाते हैं वहां की भाषा में माहिर हो जाते हैं। १२ वीं पास करने के बाद से ही विष्णु इस धंधे में जुट गया। २८ वर्ष के विष्णु की शादी हो गई दो बच्चे भी हैं। पिछले ११-१२ वर्षों से वह दक्षिण भारत में कंबल बेचने जा रहा है। दीपावली तक घर लौट आता है।
ऐसे बना मददगार-
पिछले कई दिनों से केरल में जोरदार वर्षा हो रही है। इनदिनों में भी विष्णु केरल के कन्नूर जिले के इरिट्टी गांव में कंबल बेचने के लिए गली-गली घूम रहा था। हर घर में वह जाता और लोगों से कंबल खरीद लेने की गुहार लगाता। चार पांच दिनों पहले अचानक जलप्रलय हुआ। केरल के अन्य क्षेत्रों की तरह ही कन्नूर जिले के गांव भी बाढ़ की चपेट में आ गए। रातोंरात कई जिंदगियां तबाह हो गई। इसी बीच विष्णु फिर से इरिट्टी गांव पहुंचा, लेकिन वहां का नजारा देखकर उसकी रूह कांप उठी। चार पांच दिन पहले घरों में जाकर जिन लोगों से वह अपने कंबल खरीद लेने की गुहार लगा रहा था आज वे उससे मदद की गुहार लगा रहे थे। कुछ लोग गांव के स्कूल में ठहरे थे, कुछ लोगों को दूसरों के घरों पनाह मिली थी जबकि कई वे लोग गायब थे जिनसे विष्णु पिछले दिनों फेरी लगाते मिला था। उससे रहा नहीं गया, उसने अपने पास गठरी में जो कंबल थे वे उन लोगों को ओढ़ाने शुरू कर दिए। खानेपीने का जो सामान था वह भी उन्हें दे दिया। फिर भी उसका मन नहीं माना तब उसने ऐसा कुछ किया जिससे लोगों की ठीक से मदद हो सके।
केरल के उस इरिट्टी गांव से विष्णु ने ‘पत्रिकाÓ से फोन पर चर्चा में बताया कि मैने गांव से ही फोन लगाकर तालुका के तहसीलदार देवकरन को फोन लगाया और उन्हें बताया कि इस गांव के बुरे हालात हैं यहां कोई मदद नहीं पहुंची है। तहसीलदार से इस कारण पहचान हुई थी कि खानाबदोश की तरह वहां जाकर काम करने वालों को परिचय पत्र की जरूरत होती है, वहां पर अपना नाम लिखवाना होता है। तहसीलदार ने फौरन कहा कि दोपहर में कलेक्टर और पूरा अमला वहां आएगा। इस बीच विष्णु अपने पास स्टॉक में रखे कंबल लाता जा रहा था और वहां बांटता जा रहा था, इसी दौरान कन्नूर के कलेक्टर नीर मोहम्मद अली वहां पूरे अमले के साथ पहुंच गए। एक अजनबी को इस तरह लोगों की मदद करते देख उन्होने विष्णु को बुलाया और उससे पूछा कि कहां के हो, यहां कैसे आए। जब कलेक्टर को पूरी कहानी बताई तो वे भी विष्णु की तारीफ किए बिना रह न सके। इसके बाद सोश्यल मीडिया ने इस अजनबी को मुसीबत के मारों के मददगार के रूप में पेश किया। रातोंरात विष्णु की तस्वीरें वायरल होने लगी। वहां के बड़े नेता रमेश चेन्नीथला ने भी विष्णु की इस भूमिका पर ट्विट किया।
विष्णु ने बताया कि कन्नूर कलेक्टर ने उससे कुछ दिन और इरिट्टी में ही रूकने को कहा है। यहां अब धीरे-धीरे कई राहत शिविर लग गए हैं।
एक खास बात यह भी है कि इस मदद के बाद विष्णु से केरल और दुबई तक के लोगों ने उसके कंबल की कीमत के साथ ही पुरस्कार के रूप में राशि देने की पेशकश की लेकिन विष्णु ने इंकार कर दिया। विष्णु का कहना है कि यहां से बहुत कुछ कमाया है, मुसीबत में इन लोगों के काम भी आ गए तो क्या चला जाएगा। इस समय उसके सभी साथी केरल के हालातों को देखते हुए वहां से घर लौट आए हैं, अब वहां पर विष्णु और उसके जीजा भगतराम बाढ़ पीडि़तों की मदद में जुटे हैं।