ये ले सकते हैं थैरेपी का लाभ
प्राथमिक से हाईस्कूल में पढऩे वाले दिव्यांग और बहुदिव्यांग बच्चों के लिए ऑक्सीजन थैरेपी बैसाखी का काम कर रही है। जिले में चिह्नित करीब 386 दिव्यांग बच्चों में से वर्तमान में करीब 18 से 20 बच्चे इस थैरेपी का लाभ ले रहे हैं। जल्द ही जिले की तीनों विकासखंडों में शिविर लगाकर जनशिक्षक, शिक्षक और परिजनों को थैरेपी का प्रशिक्षण दिया जाए ताकि अधिक से अधिक दिव्यांग बच्चे लाभांवित हो सकें। जिला शिक्षा केंद्र के सहायक परियोजना समन्वयक एसआर श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में जिले में ऑक्सीजन थैरेपी से 10 बच्चे स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। इनमें मानसिक और लकवाग्रस्त दोनों तरह के बच्चे शामिल हैं। जिले में बहुदिव्यांग बच्चों की संख्या करीब 386 है। इनमें 250 बच्चों को 2500 रुपए प्रतिवर्ष के मान से 6 लाख 12 हजार 500 रुपए और 141 बहुदिव्यांग बच्चों को 5 हजार रुपए प्रतिवर्ष के मान से 7 लाख 5 हजार रुपए का भुगतान किया गया है। इस मान से कुल 13 लाख 17 हजार 500 रुपए का भुगतान जिले के कुल 386 दिव्यांग बच्चों को भुगतान किया गया है। यह राशि सर्वशिक्षा अभियान की मार्गरक्षण एवं परिवहन भत्ते के रूप में वितरित की गई है।
प्राथमिक से हाईस्कूल में पढऩे वाले दिव्यांग और बहुदिव्यांग बच्चों के लिए ऑक्सीजन थैरेपी बैसाखी का काम कर रही है। जिले में चिह्नित करीब 386 दिव्यांग बच्चों में से वर्तमान में करीब 18 से 20 बच्चे इस थैरेपी का लाभ ले रहे हैं। जल्द ही जिले की तीनों विकासखंडों में शिविर लगाकर जनशिक्षक, शिक्षक और परिजनों को थैरेपी का प्रशिक्षण दिया जाए ताकि अधिक से अधिक दिव्यांग बच्चे लाभांवित हो सकें। जिला शिक्षा केंद्र के सहायक परियोजना समन्वयक एसआर श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में जिले में ऑक्सीजन थैरेपी से 10 बच्चे स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। इनमें मानसिक और लकवाग्रस्त दोनों तरह के बच्चे शामिल हैं। जिले में बहुदिव्यांग बच्चों की संख्या करीब 386 है। इनमें 250 बच्चों को 2500 रुपए प्रतिवर्ष के मान से 6 लाख 12 हजार 500 रुपए और 141 बहुदिव्यांग बच्चों को 5 हजार रुपए प्रतिवर्ष के मान से 7 लाख 5 हजार रुपए का भुगतान किया गया है। इस मान से कुल 13 लाख 17 हजार 500 रुपए का भुगतान जिले के कुल 386 दिव्यांग बच्चों को भुगतान किया गया है। यह राशि सर्वशिक्षा अभियान की मार्गरक्षण एवं परिवहन भत्ते के रूप में वितरित की गई है।
अठाना में सबसे अधिक बच्चे
बीआरसी जावद में पदस्थ एमआरसी राजेंद्र अहीर ने बताया कि आंगनवाड़ी और स्कूलों में पढऩे आ रहे मानसिक और लकवाग्रस्त बच्चों का ऑक्सीजन थैरेपी से उपचार किया जा रहा है। इस तरह के दिव्यांग बच्चे जिले की जावद तहसील के ग्राम अठाना में सबसे अधिक 18 बच्चे हैं। जावद में भी हैं। 15 साल की उम्र तक के बच्चों का ऑक्सीजन थैरेपी से उपचार किया जा रहा है। ऐसे बच्चों काो शासन की योजनाओं का भी पूरा लाभ मिल रहा है। इन बच्चों का आक्सीजन थैरेपी से उपचार किया जा रहा है। बच्चों का प्रतिदिन उपचार नहीं किया जा सकता। ऐसे में परिजनों को प्रशिक्षित कर उन्हें ही हिदायत दी जाती है कि वे बच्चों का थैरेपी से नियमित उपचार करें। सही ढंग से उपचार होने से बच्चों के ठीक होने की पूरी संभावना है। दिल्ली निवासी लाजपत राय मेहरा ने इसकी खोज की है। इस थैरेपी से सीने और रीड़ की हड्डी में हल्के हाथों से उपचार किया जाता है।
बीआरसी जावद में पदस्थ एमआरसी राजेंद्र अहीर ने बताया कि आंगनवाड़ी और स्कूलों में पढऩे आ रहे मानसिक और लकवाग्रस्त बच्चों का ऑक्सीजन थैरेपी से उपचार किया जा रहा है। इस तरह के दिव्यांग बच्चे जिले की जावद तहसील के ग्राम अठाना में सबसे अधिक 18 बच्चे हैं। जावद में भी हैं। 15 साल की उम्र तक के बच्चों का ऑक्सीजन थैरेपी से उपचार किया जा रहा है। ऐसे बच्चों काो शासन की योजनाओं का भी पूरा लाभ मिल रहा है। इन बच्चों का आक्सीजन थैरेपी से उपचार किया जा रहा है। बच्चों का प्रतिदिन उपचार नहीं किया जा सकता। ऐसे में परिजनों को प्रशिक्षित कर उन्हें ही हिदायत दी जाती है कि वे बच्चों का थैरेपी से नियमित उपचार करें। सही ढंग से उपचार होने से बच्चों के ठीक होने की पूरी संभावना है। दिल्ली निवासी लाजपत राय मेहरा ने इसकी खोज की है। इस थैरेपी से सीने और रीड़ की हड्डी में हल्के हाथों से उपचार किया जाता है।
ऑक्सीजन थैरेपी का देंगे प्रशिक्षण
श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में चिह्नित अधिक से अधिक बच्चों को ऑक्सीजन थैरेपी का लाभ मिले इसके लिए शिविरों का आयोजन किया जाएगा। तीनों विकासखंडों में शिविर आयोजित किए जाएंगे। पहले चरण में जनशिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद शिक्षकों और इसके बाद परिजनों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में चिह्नित अधिक से अधिक बच्चों को ऑक्सीजन थैरेपी का लाभ मिले इसके लिए शिविरों का आयोजन किया जाएगा। तीनों विकासखंडों में शिविर आयोजित किए जाएंगे। पहले चरण में जनशिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद शिक्षकों और इसके बाद परिजनों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
10 बच्चे हो चुके हैं लाभांवित
जिले में अब तक ऑक्सीजन थैरेपी से 10 बच्चे लाभांवित हो चुके हैं। यह सब परिजनों पर निर्भर करता है। हम परिजनों को थैरेपी सिखाते हैं। प्रतिदिन बच्चों पास जाकर उनकी थैरेपी नहीं कर सकते। ऐसे में परिजनों का यह दायित्व बन जाता है कि अपने बच्चों का इस थैरेपी से उपचार करें। मानसिक और लकवाग्रस्त बच्चों का इस थैरेपी से उपचार किया जाता है।
– आरएस श्रीवास्तव, सहायक परियोजना समन्वयक जिला शिक्षा केंद्र
जिले में अब तक ऑक्सीजन थैरेपी से 10 बच्चे लाभांवित हो चुके हैं। यह सब परिजनों पर निर्भर करता है। हम परिजनों को थैरेपी सिखाते हैं। प्रतिदिन बच्चों पास जाकर उनकी थैरेपी नहीं कर सकते। ऐसे में परिजनों का यह दायित्व बन जाता है कि अपने बच्चों का इस थैरेपी से उपचार करें। मानसिक और लकवाग्रस्त बच्चों का इस थैरेपी से उपचार किया जाता है।
– आरएस श्रीवास्तव, सहायक परियोजना समन्वयक जिला शिक्षा केंद्र