125 रुपए किलो खरीदने का हुआ था निर्णय
पिछले दो सालों से डोडाचूरा खरीदे के ठेके नहीं हो रहे हैं। इस समस्या से जनप्रतिनिधियों ने तत्कालीन भाजपा शासन को अवगत कराया था। अफीम काश्तकारों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए शासन स्तर पर 125 रुपए किलो डोडाचूरा खरीदने का निर्णय लिया गया था। लेकिन इस निर्णय में एक पेंच फंस गया था कि डोडाचूरा खरीदा कैसे जाए और उसे नष्ट कैसे करें। इस संबंध में जिला प्रशासन की ओर से शासन स्तर पर पत्र व्यवहार कर मार्गदर्शन मांगा गया था, लेकिन आज तक कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ है। ऐसे में पिछले दो सालों से अफीम काश्तकारों के यहां बड़ी मात्रा में डोडाचूरा संग्रहित पड़ा है।
पिछले दो सालों से डोडाचूरा खरीदे के ठेके नहीं हो रहे हैं। इस समस्या से जनप्रतिनिधियों ने तत्कालीन भाजपा शासन को अवगत कराया था। अफीम काश्तकारों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए शासन स्तर पर 125 रुपए किलो डोडाचूरा खरीदने का निर्णय लिया गया था। लेकिन इस निर्णय में एक पेंच फंस गया था कि डोडाचूरा खरीदा कैसे जाए और उसे नष्ट कैसे करें। इस संबंध में जिला प्रशासन की ओर से शासन स्तर पर पत्र व्यवहार कर मार्गदर्शन मांगा गया था, लेकिन आज तक कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ है। ऐसे में पिछले दो सालों से अफीम काश्तकारों के यहां बड़ी मात्रा में डोडाचूरा संग्रहित पड़ा है।
6 हजार टन डोडाचूरा संगहित
पिछले दो साल से डोडाचूरा खरीदी पर रोक लगी हुई है। इसके चलते प्रदेश के हजारों अफीम काश्तकारों के यहां पिछले दो सालों में हजारों टन डोडाचूरा जमा हो गया है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016-17 में करीब 3 हजार 800 टन और वर्ष 2017-18 में करीब 2 हजार 200 टन डोडाचूरा हुआ। अफीम फसल सत्र 2018-19 में भी करीब 2 हजार 500 टन डोडाचूरा संगहित होने की संभावना है। इस मान से तीन सालों में करीब साढ़े 8 हजार 500 टन डोडाचूरा प्रदेश के अफीम काश्तकारों के यहां जमा होगा। इतनी बड़ी मात्रा में डोडाचूरा संग्रहित होने के बाद भी शासन स्तर पर ठोस नीति नहीं बनने से किसान काफी परेशान है। इस कारण युवा डोडाचूरा तस्करी की ओर आकर्षित भी हो रहे हैं।
पिछले दो साल से डोडाचूरा खरीदी पर रोक लगी हुई है। इसके चलते प्रदेश के हजारों अफीम काश्तकारों के यहां पिछले दो सालों में हजारों टन डोडाचूरा जमा हो गया है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016-17 में करीब 3 हजार 800 टन और वर्ष 2017-18 में करीब 2 हजार 200 टन डोडाचूरा हुआ। अफीम फसल सत्र 2018-19 में भी करीब 2 हजार 500 टन डोडाचूरा संगहित होने की संभावना है। इस मान से तीन सालों में करीब साढ़े 8 हजार 500 टन डोडाचूरा प्रदेश के अफीम काश्तकारों के यहां जमा होगा। इतनी बड़ी मात्रा में डोडाचूरा संग्रहित होने के बाद भी शासन स्तर पर ठोस नीति नहीं बनने से किसान काफी परेशान है। इस कारण युवा डोडाचूरा तस्करी की ओर आकर्षित भी हो रहे हैं।
कांग्रेस के घोषणा पत्र में शामिल होगा मुद्दा
यह बात सही है कि पिछले दो सालों से अफीम काश्तकारों का डोडाचूरा नहीं खरीदा गया। इस कारण किसान पिछले दो सालों से डोडाचूरा संभाल कर बैठे हैं। इस साल भी अब तक कोई निर्णय नहीं हो सका है। इस समस्या के समाधान के लिए कांग्रेस संगठन की ओर से प्रदेश संगठन को अवगत कराया गया था। इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव में किसानों के हितों को दृष्टिगत रखते हुए कांग्रेस के घोषणा पत्र में डोडाचूरा की नीति को शामिल किया जाएगा। किसानों को डोडाचूरा समस्या से स्थाई रूप से छुटकारा दिलाया जाएगा।
– अजीत कांठेड़, कांग्रेस जिलाध्यक्ष
यह बात सही है कि पिछले दो सालों से अफीम काश्तकारों का डोडाचूरा नहीं खरीदा गया। इस कारण किसान पिछले दो सालों से डोडाचूरा संभाल कर बैठे हैं। इस साल भी अब तक कोई निर्णय नहीं हो सका है। इस समस्या के समाधान के लिए कांग्रेस संगठन की ओर से प्रदेश संगठन को अवगत कराया गया था। इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव में किसानों के हितों को दृष्टिगत रखते हुए कांग्रेस के घोषणा पत्र में डोडाचूरा की नीति को शामिल किया जाएगा। किसानों को डोडाचूरा समस्या से स्थाई रूप से छुटकारा दिलाया जाएगा।
– अजीत कांठेड़, कांग्रेस जिलाध्यक्ष
शासन से कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुए
किस तरह डोडाचूरा खरीदा जाए और कैसे उसका नष्टीकरण किया जाए इस संबंध में शासन को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा गया था। इस संबंध में शासन स्तर से कोई निर्देश अब तक प्राप्त नहीं हुए है। एक बार फिर शासन को अवगत कराया जाएगा।
– राजीव रंजन मीना, कलेक्टर
किस तरह डोडाचूरा खरीदा जाए और कैसे उसका नष्टीकरण किया जाए इस संबंध में शासन को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा गया था। इस संबंध में शासन स्तर से कोई निर्देश अब तक प्राप्त नहीं हुए है। एक बार फिर शासन को अवगत कराया जाएगा।
– राजीव रंजन मीना, कलेक्टर