मंडी व्यापारियों के सामने नकद खरीदी में सबसे बड़ी समस्या किसान का रिकार्ड संभालकर रखने की है। आयकर विभाग ने सख्त हिदायत दे रखी है कि कोई भी व्यापारी किसान से नकद खरीदी करता है तो वो किसान के खसरा-खाते और बी वन की नकद संभाल कर रखे। जब भी आयकर विभाग किसान से की गई खरीदी के संबंध में दस्तावेज मांगे व्यापारी उसे प्रस्तुत करे। इस सख्त नियम के चलते ही व्यापारी किसानों से 2 लाख रुपए तक की खरीदी करने से गुरेज कर रहे हैं। व्यापारियों का स्पष्ट मत है कि मंडी में जो भी व्यक्ति उपज बेचने आता है वो उनकी नजर में एक किसान है। अब व्यापारी क्यों किसी व्यक्ति का रिकार्ड संभालकर रखे। आयकर विभाग भी दोरही नीति अपना रहा है। एक ओर 2 लाख तक नकद भुगतान की बात कर रहा है तो दूसरी ओर व्यापारियों से किसान का रिकार्ड संभालकर रखने ही हिदायत भी दे रहा है। इसको लेकर ही शासन के आदेश के बाद भी 2 लाख रुपए तक नकद भुगतान को लेकर पेंच फंसा हुआ है।
कृषि उपज मंडी नीमच में 90 फीसदी तक किसानों को नकद भुगतान किया जाता है। यहां ऐसे भी व्यापारी हैं जो किसानों को 2 लाख रुपए तक नकद भुगतान कर रहे हैं। इन व्यापारियों के पास जिस किसान से उपज खरीदी है उनका पूरा रिकार्ड रखने की व्यवस्था है। इसके चलते उन्हें 4-5 साल तक किसान का रिकार्ड रखने में किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती। अन्य व्यापारियों के पास ऐसी व्यवस्था नहीं है इसके चलते वे मात्र 50 हजार रुपए तक की ही नकद खरीदी किसानों से कर रहे हैं। करीब ड़ेढ साल पहले रतलाम में आयकर आयुक्त ने व्यापारियों की बैठक आहूत की थी। बैठक में व्यापारियों से आयुक्त ने कहा था कि वे 2 लाख रुपए तक भुगतान किसानों को करें, लेकिन किसानों के दस्तावेज संभाल कर भी रखें। व्यापारियों ने तब भी इसका समर्थन नहीं किया था। इसको लेकर आज भी पेंच फंसा हुआ है।
कृषि उपज मंडी में किसानों को उनकी उपज का नकद ही भुगतान किया जाता है। यही प्रमुख वजह है कि यहां हजारों किलोमीटर दूर से किसान अपनी उपज बेचने आते हैं। व्यापारियों ने किसानों को उनकी उपज का नकद भुगतान करने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था कर ली है। जो किसान मंडी में उपज लेकर आता है उससे उसकी उपज के इस मान से ढेर लगवा लिए जाते हैं जिससे एक ढेर का भुगतान 50 हजार रुपए के अंदर हो जाए। इससे किसान को भी परेशानी नहीं होती और न ही व्यापारी को किसान को हिसाब किताब ही रखना पड़ता है।
किसानों को २ लाख रुपए तक की उपज का नकद भुगतान करने का शासन का निर्णय काफी अच्छा है। इससे किसानों को काफी लाभ होगा। यह निर्णय किसानों के हित में होगा। इससे दूरस्थ क्षेत्रों से आने वाले किसानों को काफी सुविधा होगी।
– पुखराज पारेथा, उम्मेदपुरा
किसानों को अब तक 50 हजार रुपए तक का ही नकद भुगतान किया जाता है। नई व्यवस्था से किसानों को एकमुश्त बड़ी राशि मिलेगी तो फायदा ही होगा। होता यह है कि यदि किसान ज्यादा माल लेकर आता है तो उसे नकद भुगतान के लिए दो या तीन या इससे अधिक ढेर बनाने पड़ते हैं। नई व्यवस्था से इस समस्या से छुटकारा मिल जाएगा।
– रमेशचंद्र लोधा, झालावाड़ राजस्थान
शासन के नए निर्णय से कलोंजी, धनिया, तुलसीबीज आदि के किसानों को लाभ होगा। इन जिंसों में किसानों को बड़ी राशि मिलती है, लेकिन 50 हजार तक की नकद लिमिट होने से अब किसानों को 2 लाख रुपए तक मिल सकेंगे।
– बालचंद लोधा, झालावाड़ राजस्थान
मैं आज मंडी में पोस्ता लेकर आया था। 59 हजार 500 रुपए के दाम पर पोस्ता बिका। अब तक मैं जो माल लेकर आता था उसके मुझे नकद भुगतान के लिए दो से तीन ढेर बनाना पड़ते थे। नई व्यवस्था से अब एक ही ढेर में राशि का भुगतान हो जाएगा। खर्चा भी कम होगा।
– आशीष वियजवर्गीय, जावदा लीमड़ी राजस्थान
आज से प्रदेश शासन ने किसानों को 2 लाख रुपए नकद भुगतान करने की व्यवस्था लागू तो की है, लेकिन स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। इस संबंध में उज्जैन और देवास सम्पर्क भी किया है। नीमच मंडी में नकद भुगतान को लेकर किसी प्रकार की समस्या नहीं है। नीमच मंडी में तो कुछ व्यापारी आज भी किसानों को 2 लाख रुपए तक नकद भुगतान कर रहे हैं। नकद भुगतान के संबंध में व्यापारी संघ नीमच ने सीबीडीटी दिल्ली के उच्चाधिकारियों को पत्र भी लिखा था, लेकिन आज तक इसका कोई जवाब नहीं आया। मंडी प्रशासन लिखकर देने को तैयार है कि मंडी में जो भी उपज बेचने आता है वो किसान है। इसके बाद स्थिति स्पष्ट साफ हो जाएगी। अभी लिखित में कुछ नहीं मिला है।
– राजेंद्र खंडेलवाल, सचिव व्यापारी संघ