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नीमच में कैसे हो रही लोगों से प्रतिमाह लाखों की खुली लूट यहां पढ़ें

locationनीमचPublished: Aug 11, 2018 11:25:39 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

पत्रिका ने किया खुलासा

Sting Operation

न्याय शुल्क लगाने तक के लिए स्टॉम्प नहीं मिल रहे हैं।

मुकेश सहारिया, नीमच. आपकी जेब पर डाका पड़ रहा है और आपको इसकी भनक तक नहीं लग रही है। ऐसे एक दो नहीं सैकड़ों लोग हैं जिन्हें किसी न किसी तरीके से रोज लूटा जा रहा है। छोटी छोटी राशि करके लाखों रुपए प्रतिमाह खूलेआम लूटे जा रहे हैं। प्रशासन की नाक के नीचे यह सब हो रहा है, लेकिन कोई बोलने वाला नहीं है।

जेब पर डाला जा रहा खुलेआम डाका
पत्रिका ने गुरुवार को जिला न्यायालय परिसर और फव्वारा चौक पर स्टॉम्प बेचने का व्यवसाय करने वालों से सीधे सम्पर्क किया। चौकाने वाली जानकारी सामने आई। 50 रुपए के 20 रुपए अतिरिक्त लिए गए। 500 रुपए के स्टॉम्प के 550 तक लिए गए। फव्वारा चौक पर तो 500 रुपए के स्टॉम्प 600 रुपए में देने वाला व्यक्ति पत्रिका स्टिंग में कैमरे में कैद हो गया। यह सब खुलेआम और सार्वजनिक रूप से होते देखा। चौकाने वाली बात यह कि स्टॉम्प वेंडर पूरी निर्लज्जता से यह बात स्वीकार भी रहे हैं कि 500 रुपए का स्टॉम्प वे 550 में बेच रहे हैं। तर्क यह दे रहे है कि प्रतिदिन औसत 2 से 3 स्टॉम्प ऑनलाइन अटक जाते हैं। रिफंड के लिए शपथ पत्र देना पड़ता है। कमीशन नाममात्र मिलता है। ऐसे में खर्चा निकालना भारी पड़ जाता है। हम अकेले ही ऐसा नहीं कर रहे। सभी स्टॉम्प वेंडर ऐसा करते हैं। आशय यह कि जनता को लूटने की दुकान सभी ने सामूहिक रूप से संचालित कर रखी है। न्यायालय क्षेत्र में स्थित सेठिया इलेक्ट्रीकल्स और श्रीनाथ फोटोकाफी पर तो यहां तक कहा गया कि आप तो आ जाना अधिक स्टॉम्प होंगे तो देख लेंगे। 2-4 हजार के ही स्टॉम्प होंगे तो जितने लगते हैं उतने ही लगेंगे।

47 हजार 100 के स्टॉम्प जमा करने में लगे 15 दिन
न्यायालय परिसर में पत्रिका ने जब अभिभाषकों से स्टॉम्प की कालाबाजारी को लेकर चर्चा की तो मानो एक स्वर में सभी ने जिला कोषालय से लेकर वेंटरों तक को खुलेकर कोसा। हर वकील की जुबान पर एक ही बात थी कि खुली लूट मचा रखी है। न्याय माना भी मुश्किल हो गया है। वरिष्ठ अभिभाषक महेश पाटीदार ने बताया कि मुझे तीन प्रकरण में लिए न्याय शुल्क (स्टॉम्प) की आवश्यकता थी। पिछले 15-20 दिनों से प्रयास कर रहा हूं। नीमच में स्टॉम्प उपलब्ध नहीं हुए तो मनासा से स्टॉम्प वेंडर दिनेश नागदा ने दो प्रकरणों के लिए 47 हजार 100 रुपए के स्टॉम्प उपलब्ध कराए हैं। एक प्रकरण में लिए स्टॉम्प जुटाने में अभी कुछ दिन का और इंतजार करना पड़ेगा। गुरुवार को ही एक प्रकरण में अतिआश्यक होने पर मैंने मल्हारगढ़ जिला मंदसौर भेजकर मात्र दो हजार 100 रुपए के स्टॉम्प मंगवाए हैं। हालात इतने बदतर हो गए हैं कि न्याय शुल्क लगाने तक के लिए स्टॉम्प नहीं मिल रहे हैं।

बिना ऊपरी कमाई के नहीं देते बड़े स्टॉम्प
न्यायालय परिसर में करीब दो घंटे बीताने में जिला मुख्यालय में स्टॉम्प की खुलेआम हो रही कालाबाजारी के परते एक बाद एक खुलती जा रही थी। वकील बोले हमारा स्टॉम्प वेंडरों और जिला कोषालय से रोज काम पड़ता है। नाम मत छापना, लेकिन कड़वी सच्चाई है कि बड़े स्टॉम्प बिना ऊपरी कमाई के कोई नहीं देता है। यदि दबाव बनाकर जैसे जैसे 5-10 हजार के स्टॉम्प हासिल कर भी लिए तो आपको 50, 100 और 200 के ढेर सारे स्टॉम्प थमा दिए जाएंगे। इतने स्टॉम्प देंगे कि उनका फाइल उठाते उठाते दम निकल जाएगा। जेब गर्म करने पर ५ या १० हजार के स्टॉम्प के 5 से 10 स्टॉम्प (एक हजार रुपए के) सहज रूप से मिल जाएंगे।

जिला मुख्यालय पर एक ही है वेंडर अधिकृत
एक और चौकाने वाली बात सामने आई जिला मुख्यालय पर जहां करीब 350 से अधिक वकील प्रेक्टिस करते हैं वहां न्याय शुल्क (स्टॉम्प) उपलब्ध कराने के लिए मात्र एक वेंडर अधिकृत है। इस कारण भी वकीलों और फरियादी को काफी परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है। यह वेंडर भी प्रतिदिन 10 हजार के स्टॉम्प खरीदने के लिए बजाय अधिकांश टिकट ही खरीदते हैं। इनका काम नोटरी का भी है। जो थोड़े बहुत न्याय शुल्क के रूप में स्टॉम्प खरीदते भी हैं तो अपने परिचितों को ही दे देते हैं। ऐसे में लोगों को न्याय शुल्क के लिए जिला कोषालय के चक्कर काटना ही पड़ते हैं। वहां से जिस तरह का व्यवहार किया जाता है यह सर्वविदित है।

मान्य है फिर भी नहीं देते प्रमाण पत्र
अभिभाषकों ने एक और चौकाने वाली जानकारी दी। उदाहरण देते हुए समझाया कि मानो 5 लाख के किसी प्रकरण में करीब 24-25 हजार रुपए के न्याय शुल्क की आवश्यकता पड़ी तो फरियादी को जिला कोषालय ही जाना पड़ेगा। लेकिन इन दिनों 10 हजार से अधिक एक दिन में किसी को न्याय शुल्क के लिए स्टॉम्प नहीं दिए जा रहे हैं। सम्पत्ति का कब्जा लेने का प्रकरण हो तो सिविल कोर्ट में 12 प्रतिशत तक न्याय शुल्क लगता है। ऐसे में समस्या और बढ़ जाती है। इसके लिए एक रास्ता यह है कि कोषालय में जितना न्याय शुल्क लग रहा है उतनी राशि जमा कराकर वहां से प्रमाण पत्र ले लिया जाए। यह प्रमाण पत्र न्यायालय में मान्य है। लेकिन कोषालय से इसमें भी ना-नुकुर की जाती है। जबकि यह एक सहज प्रक्रिया है। इसमें कोई हर्ज नहीं है। इसके उलट जिला कोषालय अधिकारी प्रमाण पत्र जारी करने की बात को सिरे से ही खारिज कर रहे हैं। उनका कहना है कि प्रमाण पत्र न्यायालय में मान्य ही नहीं हैं।

न्याय पाना हुआ मुुश्किल
शपथ पत्र देना हो या अनुबंध करना हो स्टॉम्प अनिवार्य है। ऐसे में जिला मुख्यालय पर स्टॉम्प नहीं मिलने से फरियादी के लिए न्याय पाना तक मुश्किल हो गया है। नगरपालिका की किसी गतिविधि के खिलाफ तत्काल स्टे लेना हो तो स्टॉम्प की कालाबाजारी के चलते यह संभव ही नहीं होगा। चेक अनादरण मामले में तो ओर बुरे हालात हैं। एक लाख का वाद दायर करना हो तो 5 हजार के न्याय शुल्क (स्टॉम्प) लगाना पड़ेगा। जब 500 या 1000 न्याय शुल्क नहीं मिल रहे तो 5000 के कहा से लाएगा फरियादी। इसके लिए कई दिनों तक भटकना पड़ रहा है।
– युगल बैरागी, अभिभाषक

खुलेआम हो रही अंधी कमाई
स्टॉम्प को लेकर जिला मुख्यालय अंधी कमाई की जा रही है। जिला मुख्यालय पर करीब 20 से 25 स्टॉम्प वेंडर होंगे। प्रत्येक वेंडर प्रतिदिन २५ हजार के स्टॉम्प बेच ही देता है। अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रतिमाह आम जनता की जेब पर खुलेआम कितना डाका डाला जा रहा है। न्याय शुल्क लगाने के लिए स्टॉम्प उपलब्ध नहीं है। कोषालय जाते हैं तो टालमटोल की जाती है।
– वीरेंद्र सिंह, अभिभाषक

प्रमाण पत्र को कोर्ट मान्य नहीं करती
वित्त विभाग ने 10 हजार से ऊपर के चालान फिजिकल लेना बंद कर दिया है। स्टॉम्प वेंडर 500 रुपए के स्टॉम्प पर 50 रुपए अतिरिक्त ले रहे हैं तो यह हमारे क्षेत्राधिकार में नहीं आता है। कोषालय में राशि जमा कराकर जारी किया गया प्रमाण पत्र कोर्ट नहीं मानती है। ऐसे कई केस मेरे पास वापस आए हैं। वर्तमान में प्रतिदिन औसत 2 से 3 लाख के स्टॉम्प ही निकल रहे हैं। बड़े स्टॉम्प की आवश्यक पड़े तो भी मात्र 10 हजार तक के की स्टॉम्प मिलेंगे। अतिआवश्यक हो तो 10-10 हजार रुपए के प्रतिदिन भरो। उम्मीद है कि एक-दो महीने में स्थिति सामान्य हो जाएगी। वर्तमान में औसत 30 के करीब स्टॉम्प वेंडर होंगे, लेकिन इनमें भी सक्रिय 10 के करीब ही हैं।
– सुनील डाबर, जिला कोषालय अधिकारी
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