यही हाल रहे तो और बढ़ सकती है परेशानी
निरंतर बढ़ते पेट्रोल डीजल के दामों का असर अब दैनिक उपयोग भी आवश्यक वस्तुओं पर भी दिखाई देने लगा है। डालर के बढ़ते दाम भी महंगाई की एक बड़ी वजह है। शनिवार को जिले में पेट्रोल अब तक के सबसे ऊंचे दाम पर बिका। शुक्रवार नीमच में पेट्रोल 86.66 रुपए, डीजल 76.83 रुपए और पॉवर पेट्रोल 89.56 रुपए था। शनिवार को 40 पैसे की वृद्धि के साथ पेट्रोल 87.06 रुपए पहुंच गया। यह दाम अब तक के सबसे अधिक हैं। डीजल 46 पैसे बढ़कर शनिवार को अब तक के ऊंचे स्तर पर 77.29 रुपए हो गया। पेट्रोल डीजल के बढ़ते दामों को लेकर जनता में रोष तो है, लेकिन विरोध के स्वरू मुखर नहीं हो रहे हैं। विपक्ष भी भूमिका भी धरना प्रदर्शन तक ही सिमटकर रह गई है।
निरंतर बढ़ते पेट्रोल डीजल के दामों का असर अब दैनिक उपयोग भी आवश्यक वस्तुओं पर भी दिखाई देने लगा है। डालर के बढ़ते दाम भी महंगाई की एक बड़ी वजह है। शनिवार को जिले में पेट्रोल अब तक के सबसे ऊंचे दाम पर बिका। शुक्रवार नीमच में पेट्रोल 86.66 रुपए, डीजल 76.83 रुपए और पॉवर पेट्रोल 89.56 रुपए था। शनिवार को 40 पैसे की वृद्धि के साथ पेट्रोल 87.06 रुपए पहुंच गया। यह दाम अब तक के सबसे अधिक हैं। डीजल 46 पैसे बढ़कर शनिवार को अब तक के ऊंचे स्तर पर 77.29 रुपए हो गया। पेट्रोल डीजल के बढ़ते दामों को लेकर जनता में रोष तो है, लेकिन विरोध के स्वरू मुखर नहीं हो रहे हैं। विपक्ष भी भूमिका भी धरना प्रदर्शन तक ही सिमटकर रह गई है।
पिस्ता 150 और अखरोट 50 रुपए बढ़ा
होमफ्रेस संचालक पंकज गांधी ने बताया कि पेट्रोल डीजल के लगातार बढ़ रहे दामों का असर पर आवश्यक वस्तुओं के दामों पर भी दिखाई पडऩे लगा है। सबसे अधिक परेशानी ट्रॉसपोर्ट को लेकर है। डीजल के दाम आज जिस स्तर पर हैं इससे परिवहन काफी महंगा हो गया है। दूसरा रुपए के मुकाबले डालर मजबूत होने की वजह से विदेश से आनी वाला उत्पादन काफी महंगा हो गया है। इसका उदाहरण ड्रायफू्रट के बढ़े दामों से लगाया जा सकता है। डालर महंगा होने से बादाम 30 से 40 रुपए प्रतिकिलो महंगा होकर 720 रुपए प्रतिकिलो पहुंच गया है। अखरोट 50 रुपए की तेजी के साथ 500 रुपए किलो और पिस्ता 150 रुपए की तेजी के साथ आज 1650 रुपए प्रतिकिलो पहुंच गया। डीजल की वजह से माल भाड़े में 20 प्रतिशत तक की वृद्धि हो गई है। इसका सीधा सीधा असर दैनिक उपयोग की सभी आवश्यक वस्तुओं पर पड़ा है। किसाना पर भी 3 से 5 प्रतिशत तक असर पड़ा है। स्वास्थ्य के लिए लाभकारी ड्रायफू्रट के दाम भी आज आसमान छू रहे हैं। यही मुख्य कारण है कि लोग स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए इन दिनों ड्रायफू्रट का सेवन नहीं कर पा रहे हैं।
होमफ्रेस संचालक पंकज गांधी ने बताया कि पेट्रोल डीजल के लगातार बढ़ रहे दामों का असर पर आवश्यक वस्तुओं के दामों पर भी दिखाई पडऩे लगा है। सबसे अधिक परेशानी ट्रॉसपोर्ट को लेकर है। डीजल के दाम आज जिस स्तर पर हैं इससे परिवहन काफी महंगा हो गया है। दूसरा रुपए के मुकाबले डालर मजबूत होने की वजह से विदेश से आनी वाला उत्पादन काफी महंगा हो गया है। इसका उदाहरण ड्रायफू्रट के बढ़े दामों से लगाया जा सकता है। डालर महंगा होने से बादाम 30 से 40 रुपए प्रतिकिलो महंगा होकर 720 रुपए प्रतिकिलो पहुंच गया है। अखरोट 50 रुपए की तेजी के साथ 500 रुपए किलो और पिस्ता 150 रुपए की तेजी के साथ आज 1650 रुपए प्रतिकिलो पहुंच गया। डीजल की वजह से माल भाड़े में 20 प्रतिशत तक की वृद्धि हो गई है। इसका सीधा सीधा असर दैनिक उपयोग की सभी आवश्यक वस्तुओं पर पड़ा है। किसाना पर भी 3 से 5 प्रतिशत तक असर पड़ा है। स्वास्थ्य के लिए लाभकारी ड्रायफू्रट के दाम भी आज आसमान छू रहे हैं। यही मुख्य कारण है कि लोग स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए इन दिनों ड्रायफू्रट का सेवन नहीं कर पा रहे हैं।
आरटीआई में हुआ चौकाने वाला खुलासा
अभिभाषक और समाजसेवी महेश पाटीदार ने बताया कि केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल को लाभ का धंधा बना लिया है। जनता जहां पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम से दुखी है। महंगाई की मार झेल रही है। दूसरी ओर केंद्र सरकार इसमें कमाई तलाश रही है। सरकार हर वर्ष पेट्रोल और डीजल से करोड़ों-अरबों रुपए की आय अर्जित कर रही है। पाटीदार ने बताया कि मैंने सूचना के अधिकार के तहत इस संबंध में जानकारी ली है। मुझे सीपीआईओ असिस्टेंट कमिश्नर डायरेक्टर ऑफ डाटा मैनेजमेंट सेंट्रल एक्साइज एंड कस्टमर्स नई दिल्ली ने जानकारी देकर बताया कि भारत सरकार ने वर्ष 2014-15 में पेट्रोल से 30 हजार 825.92 करोड़, वर्ष 2015-16 में 53 हजार 413.40 करोड तथा 2016-17 में 71 हजार 196.21 करोड़ का रेवेन्यू अर्जित किया है। इसी प्रकार ओआईएलएनईएस डीजल में भारत सरकार ने वर्ष 2014-15 में 289.36 करोड़, 2015-16 मे 261 करोड़ तथा 2016-17 मेंं 309.97 करोड़ रुपए का रेवेन्यू कलेक्ट किया है। दूसरी ओर आरडीओ ऑयल में भारत सरकार ने वर्ष 2014-15 में 42 हजार 464.15 करोड़ तथा 2015-16 में एक लाख एक हजार 177.06 करोड़ तथा वर्ष 2016-17 में 1 लाख 51 हजार 213.94 करोड़ रुपए का रेवेन्यू अर्जित किया है। सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी से यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत सरकार की आय पेट्रोल डीजल के दाम बढऩे के साथ प्रति वर्ष बढ़ती ही चली गई है। भारत देश की जनता को जो पेट्रोल डीजल 80 से 85 रुपए में मिल रहा है। इसी पेट्रोल डीजल को केंद्र सरकार विदेशों में मात्र 40 से 45 रुपए के बीच बेच भी रही है।
अभिभाषक और समाजसेवी महेश पाटीदार ने बताया कि केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल को लाभ का धंधा बना लिया है। जनता जहां पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम से दुखी है। महंगाई की मार झेल रही है। दूसरी ओर केंद्र सरकार इसमें कमाई तलाश रही है। सरकार हर वर्ष पेट्रोल और डीजल से करोड़ों-अरबों रुपए की आय अर्जित कर रही है। पाटीदार ने बताया कि मैंने सूचना के अधिकार के तहत इस संबंध में जानकारी ली है। मुझे सीपीआईओ असिस्टेंट कमिश्नर डायरेक्टर ऑफ डाटा मैनेजमेंट सेंट्रल एक्साइज एंड कस्टमर्स नई दिल्ली ने जानकारी देकर बताया कि भारत सरकार ने वर्ष 2014-15 में पेट्रोल से 30 हजार 825.92 करोड़, वर्ष 2015-16 में 53 हजार 413.40 करोड तथा 2016-17 में 71 हजार 196.21 करोड़ का रेवेन्यू अर्जित किया है। इसी प्रकार ओआईएलएनईएस डीजल में भारत सरकार ने वर्ष 2014-15 में 289.36 करोड़, 2015-16 मे 261 करोड़ तथा 2016-17 मेंं 309.97 करोड़ रुपए का रेवेन्यू कलेक्ट किया है। दूसरी ओर आरडीओ ऑयल में भारत सरकार ने वर्ष 2014-15 में 42 हजार 464.15 करोड़ तथा 2015-16 में एक लाख एक हजार 177.06 करोड़ तथा वर्ष 2016-17 में 1 लाख 51 हजार 213.94 करोड़ रुपए का रेवेन्यू अर्जित किया है। सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी से यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत सरकार की आय पेट्रोल डीजल के दाम बढऩे के साथ प्रति वर्ष बढ़ती ही चली गई है। भारत देश की जनता को जो पेट्रोल डीजल 80 से 85 रुपए में मिल रहा है। इसी पेट्रोल डीजल को केंद्र सरकार विदेशों में मात्र 40 से 45 रुपए के बीच बेच भी रही है।
और बढ़ सकते हैं दाम
यदि केंद्र सरकार ने पेट्रोल डीजल के दाम नियंत्रित करने के लिए ठोस प्रयास नहीं किए। डालर जल्द नियंत्रित नहीं हुआ तो नि:संदेह इसका असर दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर पड़ेगा। महंगाई और बढ़ेगी।
– पंकज गांधी, किसाना व्यापारी
यदि केंद्र सरकार ने पेट्रोल डीजल के दाम नियंत्रित करने के लिए ठोस प्रयास नहीं किए। डालर जल्द नियंत्रित नहीं हुआ तो नि:संदेह इसका असर दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर पड़ेगा। महंगाई और बढ़ेगी।
– पंकज गांधी, किसाना व्यापारी