मिथक टूटा और प्रदेश में बनी कांग्रेस की सरकार
वर्ष 1985 से लगातार होता यह आ रहा है कि जिस पार्टी के प्रत्याशी ने जावद से जीत दर्ज की है प्रदेश में सरकार भी उसी पार्टी की बनी है। रिकार्ड पर नजर डालें तो वर्ष 2003 से 2013 में हुए तीन विधानसभा चुनाव में जावद सीट से भाजपा के ओमप्रकाश सखलेचा जीते और तीनों बार प्रदेश में सरकार भी भाजपा की बनी। वर्ष 1993 व 1998 में जावद सीट से कांग्रेस से घनश्याम पाटीदार जीते और प्रदेश में सरकार भी कांग्रेस की बनी। 1990 में भाजपा के दुलीचंद जैन जीते और प्रदेश में सरकार भाजपा की बनी। 1985 में कांग्रेस से घनश्याम पाटीदार जीते और प्रदेश में सरकार भी कांग्रेस की बनी। इन 33 सालों में प्रदेश में 8 मुख्यमंत्री बने। इनमें कांग्रेस से अर्जुन सिंह, मोतीलाल वोरा, श्यामचरण शुक्ल और दिग्विजयङ्क्षसह मुख्यमंत्री रहे। भाजपा की ओर से सुंदरलाल पटवा, उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराजसिंह चौहान मुख्यमंत्री रहे। सुंदरलाल पटवा का कार्यकाल तीन वर्ष का रहा। इस दौरान प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था। इस वर्ष 2018 में इस सीट से भाजपा ओमप्रकाश सखलेचा भले जीते हैं, लेकिन 33 साल पुराना मिथक टूटा और प्रदेश में सरकार कांग्रेस की बनी। इस बार कांग्रेस की ओर से कमलनाथ मुख्यमंत्री बनें हैं। ऐसा 33 साल हो जरूर रहा है, लेकिन राजनीतिक समीक्षक इसके लिए कांग्रेस को ही जिम्मेदार मान रहे हैं। समीक्षकों का मानना है कि जावद सीट से कांग्रेस ने घनश्याम पाटीदार के बाद किसी भी स्थानीय नेता को इतने अवसर नहीं दिए जिससे वो भाजपा के सामने टिक सके। जो भी नेता मैदान में उतर रहे हैं वो बाहरी ही हैं। कांग्रेस में स्थानीय नेतृत्व का संकट स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
वर्ष 1985 से लगातार होता यह आ रहा है कि जिस पार्टी के प्रत्याशी ने जावद से जीत दर्ज की है प्रदेश में सरकार भी उसी पार्टी की बनी है। रिकार्ड पर नजर डालें तो वर्ष 2003 से 2013 में हुए तीन विधानसभा चुनाव में जावद सीट से भाजपा के ओमप्रकाश सखलेचा जीते और तीनों बार प्रदेश में सरकार भी भाजपा की बनी। वर्ष 1993 व 1998 में जावद सीट से कांग्रेस से घनश्याम पाटीदार जीते और प्रदेश में सरकार भी कांग्रेस की बनी। 1990 में भाजपा के दुलीचंद जैन जीते और प्रदेश में सरकार भाजपा की बनी। 1985 में कांग्रेस से घनश्याम पाटीदार जीते और प्रदेश में सरकार भी कांग्रेस की बनी। इन 33 सालों में प्रदेश में 8 मुख्यमंत्री बने। इनमें कांग्रेस से अर्जुन सिंह, मोतीलाल वोरा, श्यामचरण शुक्ल और दिग्विजयङ्क्षसह मुख्यमंत्री रहे। भाजपा की ओर से सुंदरलाल पटवा, उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराजसिंह चौहान मुख्यमंत्री रहे। सुंदरलाल पटवा का कार्यकाल तीन वर्ष का रहा। इस दौरान प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था। इस वर्ष 2018 में इस सीट से भाजपा ओमप्रकाश सखलेचा भले जीते हैं, लेकिन 33 साल पुराना मिथक टूटा और प्रदेश में सरकार कांग्रेस की बनी। इस बार कांग्रेस की ओर से कमलनाथ मुख्यमंत्री बनें हैं। ऐसा 33 साल हो जरूर रहा है, लेकिन राजनीतिक समीक्षक इसके लिए कांग्रेस को ही जिम्मेदार मान रहे हैं। समीक्षकों का मानना है कि जावद सीट से कांग्रेस ने घनश्याम पाटीदार के बाद किसी भी स्थानीय नेता को इतने अवसर नहीं दिए जिससे वो भाजपा के सामने टिक सके। जो भी नेता मैदान में उतर रहे हैं वो बाहरी ही हैं। कांग्रेस में स्थानीय नेतृत्व का संकट स्पष्ट दिखाई दे रहा है।