प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तक पहुंचा मामला
नगरीय निकाय चुनाव को लेकर दोनों प्रमुख राजनीति पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच घमासान मचा हुआ है। भाजपा में तो खुलकर बगावत के सुर सुनाई दे रहे हैं। प्रत्याशी चयन को लेकर लेकर कुछ वार्डों के रहवासी भी विरोध में उतर आए हैं। इसकी बानगी भी शुक्रवार को दिखाई दी। ऐसे ही हालात कांग्रेस में बनते दिख रहे हैं। यही कारण है कि 18 जून नामांकन पत्र दाखिल करने के अंतिम दिन भी कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा नहीं की। चौकाने वाली बात तो यह है कि पार्षदों के नाम तय करने में कांग्रेस जिलाध्यक्ष स्वयं का लाचार महसूस कर रहे हैं। इसका प्रमाण उनके द्वारा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को पत्र लिखने से मिलता है। पत्र में उन्होंने स्पष्ट रूप से जावद विधानसभा के 7 नगरीय निकायों में प्रत्याशियों के चयन में उनके सुझावों को पूरी तरह से नजरअंदाज किए जाने का जिक्र किया गया है। पत्र में बकायदा जावद से विधानसभा चुनाव हारे प्रत्याशी के नाम का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि उन्होंने सभी नगरीय निकायों के 105 प्रत्याशियों नाम तय किए हैं। करीब 35 पर उनकी ओर से सहमति बनी थी बाद में उन्हें भी तवज्जों नहीं दी गई। कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने प्रदेश अध्यक्ष को पत्र लिखकर अपनी व्यथा तो सुनाई, लेकिन उन्हें कोई संतुष्टिपूर्ण जवाब अब तक नहीं मिला। दिग्गी और नटराजन समर्थकों को नहीं मिली तवज्जो दूसरी ओर सूत्र बात रहे हैं कि कांग्रेस की अधिकृत सूची शनिवार को नीमच पहुंच गई है, लेकिन कमलनाथ समर्थकों के पास ही है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजसिंह और पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन के समर्थकों को इसकी भनक तक नहीं लगने दी गई है। एक दिग्गी समर्थन ने तो बघाना क्षेत्र से अपना नाम प्रस्तावित करने के लिए दिग्गी राजा से गुहार लगाई थी उसे भी दो टूक मना कर दिया गया। कांग्रस की एक कद्दावर महिला नेत्री को भाजपा के सामने सरेंडर करने के लिए कांग्रेस नेता ही जोर लगा रहे हैं। इसमें भाजपा के नेता भी सहयोग कर रहे हैं। आशय यह कि महिला नेत्री को अपना नाम वापस लेने के लिए भाजपा और कांग्रेस मिलकर जोर आजमाइश कर रहे हैं। वहीं महिला नेत्री अपने फैसले पर अडिग हैं। उन्हें हाल ही में बड़ी जिम्मेदारी से मुक्त किया गया है। हालात यह बन गए हैं कि कांग्रेस के ब्लॉक स्तर के पदाधिकारी तक पार्षद पद के टिकट के लिए लाचार हैं। उनकी तक की कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। इस बात की पुष्टि कांग्र्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष रहे सुरेंद्र सेठी (वर्तमान में सिंधिया खेमे में) ने की है। उन्होंने बताया कि मुझे कांग्रेस के ही मेरे पुष्ट सूत्रों ने बताया है कि कांग्रेस पार्षदों की सूची जारी हो चुकी है। इसमें दिग्विजय ङ्क्षसह और मीनाक्षी नटराजन के समर्थकों को बिलकुल महत्व नहीं दिया या है। नीमच के पूर्व जनपद अध्यक्ष, जावद से पराजित प्रत्याशी और उनके कट्टर समर्थक मिलकर नगरीय निकाय चुनाव की चौसर बिछाने में लगे हैं। इसमें जोड़-तोड़ की गणित भी चल रही है।
नगरीय निकाय चुनाव को लेकर दोनों प्रमुख राजनीति पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच घमासान मचा हुआ है। भाजपा में तो खुलकर बगावत के सुर सुनाई दे रहे हैं। प्रत्याशी चयन को लेकर लेकर कुछ वार्डों के रहवासी भी विरोध में उतर आए हैं। इसकी बानगी भी शुक्रवार को दिखाई दी। ऐसे ही हालात कांग्रेस में बनते दिख रहे हैं। यही कारण है कि 18 जून नामांकन पत्र दाखिल करने के अंतिम दिन भी कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा नहीं की। चौकाने वाली बात तो यह है कि पार्षदों के नाम तय करने में कांग्रेस जिलाध्यक्ष स्वयं का लाचार महसूस कर रहे हैं। इसका प्रमाण उनके द्वारा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को पत्र लिखने से मिलता है। पत्र में उन्होंने स्पष्ट रूप से जावद विधानसभा के 7 नगरीय निकायों में प्रत्याशियों के चयन में उनके सुझावों को पूरी तरह से नजरअंदाज किए जाने का जिक्र किया गया है। पत्र में बकायदा जावद से विधानसभा चुनाव हारे प्रत्याशी के नाम का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि उन्होंने सभी नगरीय निकायों के 105 प्रत्याशियों नाम तय किए हैं। करीब 35 पर उनकी ओर से सहमति बनी थी बाद में उन्हें भी तवज्जों नहीं दी गई। कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने प्रदेश अध्यक्ष को पत्र लिखकर अपनी व्यथा तो सुनाई, लेकिन उन्हें कोई संतुष्टिपूर्ण जवाब अब तक नहीं मिला। दिग्गी और नटराजन समर्थकों को नहीं मिली तवज्जो दूसरी ओर सूत्र बात रहे हैं कि कांग्रेस की अधिकृत सूची शनिवार को नीमच पहुंच गई है, लेकिन कमलनाथ समर्थकों के पास ही है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजसिंह और पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन के समर्थकों को इसकी भनक तक नहीं लगने दी गई है। एक दिग्गी समर्थन ने तो बघाना क्षेत्र से अपना नाम प्रस्तावित करने के लिए दिग्गी राजा से गुहार लगाई थी उसे भी दो टूक मना कर दिया गया। कांग्रस की एक कद्दावर महिला नेत्री को भाजपा के सामने सरेंडर करने के लिए कांग्रेस नेता ही जोर लगा रहे हैं। इसमें भाजपा के नेता भी सहयोग कर रहे हैं। आशय यह कि महिला नेत्री को अपना नाम वापस लेने के लिए भाजपा और कांग्रेस मिलकर जोर आजमाइश कर रहे हैं। वहीं महिला नेत्री अपने फैसले पर अडिग हैं। उन्हें हाल ही में बड़ी जिम्मेदारी से मुक्त किया गया है। हालात यह बन गए हैं कि कांग्रेस के ब्लॉक स्तर के पदाधिकारी तक पार्षद पद के टिकट के लिए लाचार हैं। उनकी तक की कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। इस बात की पुष्टि कांग्र्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष रहे सुरेंद्र सेठी (वर्तमान में सिंधिया खेमे में) ने की है। उन्होंने बताया कि मुझे कांग्रेस के ही मेरे पुष्ट सूत्रों ने बताया है कि कांग्रेस पार्षदों की सूची जारी हो चुकी है। इसमें दिग्विजय ङ्क्षसह और मीनाक्षी नटराजन के समर्थकों को बिलकुल महत्व नहीं दिया या है। नीमच के पूर्व जनपद अध्यक्ष, जावद से पराजित प्रत्याशी और उनके कट्टर समर्थक मिलकर नगरीय निकाय चुनाव की चौसर बिछाने में लगे हैं। इसमें जोड़-तोड़ की गणित भी चल रही है।
पार्टी के भीतर का मामला है
प्रत्याशियों के चयन को लेकर जो भी हालात निर्मित हुए हैं यह पार्टी के अंदर का मामला है। हम आपस में निपटा लेंगे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को पत्र लिखाना भी पार्टी के भीतर का मामला है। पत्र सार्वजनिक कैसे हुआ मुझे नहीं पता।
– अजीत कांठेड़, जिलाध्यक्ष कांग्रेस
प्रत्याशियों के चयन को लेकर जो भी हालात निर्मित हुए हैं यह पार्टी के अंदर का मामला है। हम आपस में निपटा लेंगे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को पत्र लिखाना भी पार्टी के भीतर का मामला है। पत्र सार्वजनिक कैसे हुआ मुझे नहीं पता।
– अजीत कांठेड़, जिलाध्यक्ष कांग्रेस