माइलेज के लिए स्वयं तैयार की बैटरी
देश का सबसे ज्यादा माइलेज वाला 12 सीटर इ-रिक्शा नीमच के इंजीनियर ने बनाया। पेशे से कलाकार, शिक्षा से इंजीनियर निलेश नागर को इ-रिक्शा की समस्या लॉकडाउन (कोरोना संकटकाल) में समझ में आई। लॉकडाउन के दौरान ही अपने दूसरे इंजीनियर दोस्त के साथ मिलकर सबसे ज्यादा माइलजे वाला इ-रिक्शा बनाने का लक्ष्य तय किया। प्रारंभिक चुनौतियों का सामने करने और लगातार प्रयोग करने के बाद अंतत: इ-रिक्शा तैयार हो गया। माइलेज प्रभावित न हो इसके लिए फैब्रिकेशन का कार्य करने वाले एक परिचित से मजबूत बॉडी बनवा ली और मिनी बस जैसा स्वरूप दे दिया। माइलेज की समस्या सामने आई तो बैटरियों की तलाश की गई। ज्यादा क्षमता की बैटरी मिली तो लेकर लागत अधिक बैठ रही थी। ऐसे में स्वयं की बैटरी बनाने का निर्णय लिया। कुछ समय में ही उसमें भी सफलता मिल गई। स्वदेशी बैटरी को एक बार चार्ज करने पर 12 लोगों को बैठाकर इ-रिक्शा 140 किलोमीटर तक का सफर सहज रूप से तय कर सकता है। इसकी अधिकतम स्पीड 50 किमी प्रतिघंटा है। चार्ज करने में 6 से 6.5 घंटे लगते हैं। पूरी तरह भारत में निर्मित चीजों का इस्तेमाल इसमें किया गया है। पूर्णत: भारतीय बैटरी है। दूसरी ओर चायनीज बैटरी में आग लगने या गर्म होने की समस्या सदैव बनी रहती है। निलेश और उनकी टीम द्वारा तैयार की गई देशी बैटरी में इस तरह की कोई समस्या ही नहीं है।
देश का सबसे ज्यादा माइलेज वाला 12 सीटर इ-रिक्शा नीमच के इंजीनियर ने बनाया। पेशे से कलाकार, शिक्षा से इंजीनियर निलेश नागर को इ-रिक्शा की समस्या लॉकडाउन (कोरोना संकटकाल) में समझ में आई। लॉकडाउन के दौरान ही अपने दूसरे इंजीनियर दोस्त के साथ मिलकर सबसे ज्यादा माइलजे वाला इ-रिक्शा बनाने का लक्ष्य तय किया। प्रारंभिक चुनौतियों का सामने करने और लगातार प्रयोग करने के बाद अंतत: इ-रिक्शा तैयार हो गया। माइलेज प्रभावित न हो इसके लिए फैब्रिकेशन का कार्य करने वाले एक परिचित से मजबूत बॉडी बनवा ली और मिनी बस जैसा स्वरूप दे दिया। माइलेज की समस्या सामने आई तो बैटरियों की तलाश की गई। ज्यादा क्षमता की बैटरी मिली तो लेकर लागत अधिक बैठ रही थी। ऐसे में स्वयं की बैटरी बनाने का निर्णय लिया। कुछ समय में ही उसमें भी सफलता मिल गई। स्वदेशी बैटरी को एक बार चार्ज करने पर 12 लोगों को बैठाकर इ-रिक्शा 140 किलोमीटर तक का सफर सहज रूप से तय कर सकता है। इसकी अधिकतम स्पीड 50 किमी प्रतिघंटा है। चार्ज करने में 6 से 6.5 घंटे लगते हैं। पूरी तरह भारत में निर्मित चीजों का इस्तेमाल इसमें किया गया है। पूर्णत: भारतीय बैटरी है। दूसरी ओर चायनीज बैटरी में आग लगने या गर्म होने की समस्या सदैव बनी रहती है। निलेश और उनकी टीम द्वारा तैयार की गई देशी बैटरी में इस तरह की कोई समस्या ही नहीं है।
छह माह किया प्रशिक्षण, अब दौडऩे को तैयार
निलेश नागर ने बताया कि पिछले ६ महीने से अलग अलग तरह से इ-रिक्शा का प्रशिक्षण किया गया है। कुछ समस्याएं सामने आई थी उन्हें दूर किया गया। अब यह इ-रिक्शा पूरी तरह सड़क पर सुरक्षित सफर के लिए तैय्यार है। आज इसे भारत के इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रीकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स ने गुणवत्ता मनकों में 5 स्टार रेटिंग देकर अनुमोदित कर दिया। शुरू में इ-रिक्शा में माईलेज को लेकर समस्या थी जो अब नहीं रही। अगर इसकी कीमत की बात करें तो इसमें भी यह भारत में उपलब्ध किसी भी तरह के 12 सीटर इ-रिक्शा से 40 प्रतिशत कम है।
निलेश नागर ने बताया कि पिछले ६ महीने से अलग अलग तरह से इ-रिक्शा का प्रशिक्षण किया गया है। कुछ समस्याएं सामने आई थी उन्हें दूर किया गया। अब यह इ-रिक्शा पूरी तरह सड़क पर सुरक्षित सफर के लिए तैय्यार है। आज इसे भारत के इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रीकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स ने गुणवत्ता मनकों में 5 स्टार रेटिंग देकर अनुमोदित कर दिया। शुरू में इ-रिक्शा में माईलेज को लेकर समस्या थी जो अब नहीं रही। अगर इसकी कीमत की बात करें तो इसमें भी यह भारत में उपलब्ध किसी भी तरह के 12 सीटर इ-रिक्शा से 40 प्रतिशत कम है।
भंगार स्कूटर को भी बदल सकते हैं इ-रिक्शा में
नागर ने बताया कि सिर्फ इ-रिक्शा ही नहीं हमने पुराने भंगार स्कूटर को भी इ-स्कूटर में तब्दील करने में सफलता हासिल की है। अब हमें स्कूटर, स्कूटी, एक्टीवा जैसी गाड़ी को पूरी तरह से इलेक्ट्रिक गाड़ी में बदलने में सिर्फ 15 दिन लगते हैं। पूर्णत: भारतीय बैटरी इसमें लगती है। एक बार चार्जिंग से यह 80 से 90 किलोमीटर चल सकता है। चार्जिंग में 4-4.5 घंटे लगते हैं। इसकी गति 50 किमी प्रतिघंटा है। 2 हजार रुपए में हम भंगार से बजाज स्कूटर खरीद के लाए और उसे नया बनाकर फिर सड़कों पर दौड़ा दिया। आने वाले दिनों में कोशिश है कि यह इ-रिक्शा नीमच की सड़कों पर सार्वजनिक परिवहन के रूप में दौड़े। इससे नीमच की जनता की शहर में सार्वजनिक एवं सस्ते परिवहन की मांग पूरी हो पाएगी। ऑटो रिक्शा के मनमाने रेट से त्रस्त आम जनता को भी सहज और सत्ता परिवहन साधन मिल सकेगा।
नागर ने बताया कि सिर्फ इ-रिक्शा ही नहीं हमने पुराने भंगार स्कूटर को भी इ-स्कूटर में तब्दील करने में सफलता हासिल की है। अब हमें स्कूटर, स्कूटी, एक्टीवा जैसी गाड़ी को पूरी तरह से इलेक्ट्रिक गाड़ी में बदलने में सिर्फ 15 दिन लगते हैं। पूर्णत: भारतीय बैटरी इसमें लगती है। एक बार चार्जिंग से यह 80 से 90 किलोमीटर चल सकता है। चार्जिंग में 4-4.5 घंटे लगते हैं। इसकी गति 50 किमी प्रतिघंटा है। 2 हजार रुपए में हम भंगार से बजाज स्कूटर खरीद के लाए और उसे नया बनाकर फिर सड़कों पर दौड़ा दिया। आने वाले दिनों में कोशिश है कि यह इ-रिक्शा नीमच की सड़कों पर सार्वजनिक परिवहन के रूप में दौड़े। इससे नीमच की जनता की शहर में सार्वजनिक एवं सस्ते परिवहन की मांग पूरी हो पाएगी। ऑटो रिक्शा के मनमाने रेट से त्रस्त आम जनता को भी सहज और सत्ता परिवहन साधन मिल सकेगा।