शुक्रवार को गोविंद मिले कलेक्टर से
पिछले साल किसान आंदोलन में मारे गए चेनसुख पाटीदार के भाई को पिछले एक साल से प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि आश्वासन ही दिए जा रहे हैं। एक बार तो सात दिन में नौकरी देने की बात तक कह दी गई थी। 5 अगस्त को सीएम आ रहे हैं तो फिर से गोविंद को नौकरी के नाम पर आश्वासन का झुनझुना
पकड़ा दिया गया है। पिछले दिनों गोविंद द्वारा दी गई ‘सीएम की कार के आगे लेट जाने’ की चेतावनी का गुरुवार को असर दिखाई दिया था। रात को तहसीलदार उसके बाद नयाखेड़ा पहुंचे थे। उससे और परिजनों से चर्चा की थी। दो-ती सप्ताह में नौकरी देने की बात कही थी। अन्य विषयों पर भी चर्चा की। इसके बाद भी गोविंद का मन नहीं माना तो शुक्रवार को कलेक्टर राकेशकुमार श्रीवास्तव से मिलने कलेक्टोरेट पहुंच गया। गोविंद ने बताया कि मैंने कलेक्टर से अपनी नौकरी को लेकर चर्चा की। कलेक्टर ने भी वो ही पुरानी बात दोहराई। मैंने लिखित में आश्वासन देने की बात कही तो मना कर दिया। इतना अवश्य कहा कि सीएम ने नौकरी देने की बात कही है तो नौकरी मिलेगी। इसमें समय तो लगेगा। भाभी को नौकरी चाहिए तो अभी दे देते हैं। गोविंद ने बताया कि विधायक ने यह कहा था कि भाभी ने काफी समय बाद नौकरी नहीं करने और देवर को नौकरी देने की बात कही थी। जबकि ऐसा नहीं है। 9 जून 2017 को ही भाभी ने लिखकर दे दिया था। इतना ही नहीं शुरू से ही शासन स्तर पर मेरे की दस्तावेज भेजे गए हैं। सीएम से भी नौकरी को लेकर बात जरूर करूंगा।
नौकरी मिलना तय है, समय लगेगा
मुख्यमंत्री ने कह दिया तो नौकरी मिलेगी। चेनसुख की पत्नी नौकरी करना चाहे तो उसे तुरंत दे सकते हैं। भाई के निधन पर छोटे भाई को अनुकम्पा नियुक्ति का प्रावधान नहीं है। नियम से हटकर गोविंद को नौकरी देना है। इसकी स्वीकृति कैबीनेट से ही मिलेगी। जब भी कैबीनेट की बैठक होगी प्रस्ताव पारित कर लिया जाएगा। वहां से कलेक्टर को अवगत कराया जाएगा। मेरे पास जानकारी आते ही तत्काल नौकरी दे दी जाएगी। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में 15 से 20 दिन तो लगेंगे ही।
– राकेशकुमार श्रीवास्तव, कलेक्टर
पिछले साल किसान आंदोलन में मारे गए चेनसुख पाटीदार के भाई को पिछले एक साल से प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि आश्वासन ही दिए जा रहे हैं। एक बार तो सात दिन में नौकरी देने की बात तक कह दी गई थी। 5 अगस्त को सीएम आ रहे हैं तो फिर से गोविंद को नौकरी के नाम पर आश्वासन का झुनझुना
पकड़ा दिया गया है। पिछले दिनों गोविंद द्वारा दी गई ‘सीएम की कार के आगे लेट जाने’ की चेतावनी का गुरुवार को असर दिखाई दिया था। रात को तहसीलदार उसके बाद नयाखेड़ा पहुंचे थे। उससे और परिजनों से चर्चा की थी। दो-ती सप्ताह में नौकरी देने की बात कही थी। अन्य विषयों पर भी चर्चा की। इसके बाद भी गोविंद का मन नहीं माना तो शुक्रवार को कलेक्टर राकेशकुमार श्रीवास्तव से मिलने कलेक्टोरेट पहुंच गया। गोविंद ने बताया कि मैंने कलेक्टर से अपनी नौकरी को लेकर चर्चा की। कलेक्टर ने भी वो ही पुरानी बात दोहराई। मैंने लिखित में आश्वासन देने की बात कही तो मना कर दिया। इतना अवश्य कहा कि सीएम ने नौकरी देने की बात कही है तो नौकरी मिलेगी। इसमें समय तो लगेगा। भाभी को नौकरी चाहिए तो अभी दे देते हैं। गोविंद ने बताया कि विधायक ने यह कहा था कि भाभी ने काफी समय बाद नौकरी नहीं करने और देवर को नौकरी देने की बात कही थी। जबकि ऐसा नहीं है। 9 जून 2017 को ही भाभी ने लिखकर दे दिया था। इतना ही नहीं शुरू से ही शासन स्तर पर मेरे की दस्तावेज भेजे गए हैं। सीएम से भी नौकरी को लेकर बात जरूर करूंगा।
नौकरी मिलना तय है, समय लगेगा
मुख्यमंत्री ने कह दिया तो नौकरी मिलेगी। चेनसुख की पत्नी नौकरी करना चाहे तो उसे तुरंत दे सकते हैं। भाई के निधन पर छोटे भाई को अनुकम्पा नियुक्ति का प्रावधान नहीं है। नियम से हटकर गोविंद को नौकरी देना है। इसकी स्वीकृति कैबीनेट से ही मिलेगी। जब भी कैबीनेट की बैठक होगी प्रस्ताव पारित कर लिया जाएगा। वहां से कलेक्टर को अवगत कराया जाएगा। मेरे पास जानकारी आते ही तत्काल नौकरी दे दी जाएगी। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में 15 से 20 दिन तो लगेंगे ही।
– राकेशकुमार श्रीवास्तव, कलेक्टर