नीमच जिले की तीनों विधानसभा सीटों से कांग्रेस के टिकट को लेकर पेंच फंस गया है। मजे की बात यह है कि जावद और मनासा से तो संभावित प्रत्याशियों ने दिल्ली से मिले संकेतों के बाद अपने क्षेत्र में दौरा तक कर लिया है। ऐसे में यदि कुछ बदलाव होता है तो पार्टी के लिए संकट खड़ा हो जाएगा। संभवत: ऐसा पहली बार देखने में आया है कि नीमच जिले की तीनों सीटों पर कांग्रेस के दिग्गज नेता किसी ठोस निर्णय पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। दूसरी ओर अपने आकाओं से मिली हरी झंडी के बाद जावद और मनासा क्षेत्र के दावेदारों ने क्षेत्र में ताल ठोक दी है। कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचकर रणनीति पर भी कार्य प्रारंभ कर दिया है। इसके बाद दूसरे दावेदारों ने हथियार डाल दिए हैं। जब से नीमच, जावद और मनासा सीट को लेकर दिल्ली में कांग्रेस के दिग्गज नेता का चर्चा का दौर शुरू हुआ है जिले से प्रमुख दावेदार दिल्ली में जमे हुए हैं। एक युवा नेता तो सोमवार को नीमच लौटने के लिए दिल्ली से रवाना हुए। वे पिछले 21 दिनों से वहां जमे हुए थे। इनके अतिरिक्त कोई एक सप्ताह से तो कोई 4-5 दिन से दिल्ली में जमा हुआ है। उम्मीद सब कर रहे हैं कि टिकट उन्हें ही मिलेगा, लेकिन इस संसदीय सीट से एक पाटीदार, एक युवा व एक महिला को टिकट दिए जाने की मांग के बाद से समीकरण बिगड़ते दिख रहे हैं।
नीमच जिले की तीनों सीटों को लेकर जिस तरह के कायस लगाय जा रहे हैं। दावेदार अपना टिकट कोई नहीं काट सकता यह मानकर क्षेत्र में निकल चुके हैं, लेकिन जिस प्रकार के समीकरण पिछले दो दिनों में दिल्ली में बने और बिगड़े हैं इससे कुछ के अरमानों पर पानी भी फिर सकता है। पिछले साल किसान आंदोलन के बाद से दोनों की प्रमुख राजनीतिक दल पाटीदार समाज को साधने की जुगत भिड़ा रहे हैं। भाजपा ने राधेश्याम पाटीदार पर दांव खेलकर अपना घोड़ा छांव में बांध लिया, लेकिन कांग्रेस अब तक कोई निर्णय नहीं पाई है। अब तक जितने नाम सामने आए उनमें पाटीदार समाज का मजबूर दावेदार सामने नहीं दिखा। हार्दिक पटेल की ओर से भी संसदीय सीट से एक पाटीदार को टिकट देने की वकालत की गई है। यूथ कांग्रेस भी संगठन के एक युवा पदाधिकारी के लिए टिकट की मांग पर अड़ी हुई है।
मनासा और जावद में भाजपा के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ नाराज कार्यकर्ताओं ने हुंकार भर दी है। सबसे चौकाने वाली बात जो सामने आई है इसमें नीमच विधानसभा सीट से पूर्व विधायक और कद्दावर नेता रहे खुमानसिंह शिवाजी के पुत्र सज्जनसिंह चौहान की बगावत हो लेकर है। सज्जनसिंह चौहान ने तय कर लिया है कि वे निर्दलीय के रूप में नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। इसमें पूर्व मंडी अध्यक्ष और जीरन क्षेत्र के वरिष्ठ नेताओं का उन्हें पूरा समर्थन मिलता दिखाई दे रहा है। चौहान ने अपने क्षेत्र में सघन दौरे भी प्रारंभ कर दिए हैं। चौहान ने नामांकन पत्र दाखिल करने की पूरी तैयारी भी कर ली है। जिस प्रकार का माहौल रविवार को मनासा में बना इसे दखते हुए वहां से भी बागी के मैदान में उतरने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। जावद से भी तय हो गया है कि 8 नवंबर तक यदि पार्टी ने कोई ठोस निर्णय नहीं लिया तो पूरनमल अहीर निर्दलीय मैदान में उतरेंगे। अब कांग्रेस के टिकट की ओर सबकी नजर है। जिन दावेदारों के नाम अब तक सामने आए हैं यदि इनमें जावद व नीमच में से किसी एक का भी नाम बदलता है तो कांग्रेस में भी बगावत होना तय माना जा रहा है। भले दावेदार स्वयं मैदान में नहीं उतरे, लेकिन अधिकृत प्रत्याशी के लिए सिरदर्द तो अवसर खड़ा करेंगे।