बताया जा रहा हैं कि गुरुवार रात मुनि श्री की तबीयत ज्यादा बिगड़ी और उनका देवलोक गमन हो गया। परम पूज्य आचार्य सन्मति सागर जी महाराज सा.के शिष्य मुनि श्री विद्यासागर जी महाराज के संगस्थ श्री शांति सागर जी महाराज सा मूलत: महाराष्ट्र राज्य के सांगली जिले के रहने वाले थे। जिन्होंने 2 दिसम्बर 2010 को परम पूज्य आचार्य श्री सन्मति सागर जी महाराज के सानिध्य में दीक्षा ग्रहण की तथा कठोर तप के साथ मुनि जीवन को पूर्ण किया। सिंगोली में कुछ दिनों पूर्व मुनि श्री सहित तीन पिछी संत मंडल का पदार्पण हुआ और नगर में प्रतिदिन धर्म गंगा बह रही थी। लेकिन गुरुवार की रात अचानक मुनि श्री का स्वास्थ्य बिगड़ गया और रात करीब 11.45 बजे उन्होंने देवलोक गमन का मार्ग प्रशस्त कर लिया। जैसे ही उनके स्वर्ग सिधारने की जानकारी लोगों की मिली जैन समुदाय में शोक की लहर छा गई। शुक्रवार सुबह सेंकडो समाजजनों की उपस्थिति में मुनि श्री शांतिसागर जी महाराज साहब का नगर में वरगौ?ा निकाल कर सीमावर्ती राजस्थान की ग्राम पंचायत मेघनिवास स्थित निजी भूमि पर पंचतत्व में विलीन किया गया। बताया जा रहा हैं कि मुनि श्री के समाधि स्थल के लिये नीमच रो? स्थित राजस्थान के मेघनिवास ग्राम में सिंगोली नगर परिषद के पूर्व चेयरमैन अशरफ मेव(गुड्डू) ने अपनी निजी भूमि में से जैन समाज द्वारा चाही गई भूमि समाजजनों को निशुल्क उपलब्ध करवाई हैं। गुड्डू भाई द्वारा नि: शुल्क भूमि उपलब्ध कराए जाने पर समूचे जैन समुदाय सहित आम नागरिक द्वारा उनकी सराहना की जा रही है। मुनि श्री के अंतिम दर्शन हेतु सिंगोली कस्बा सहित भीलवाडा, रावतभाटा, भैंसरोडगढ़, बिजोलिया, बेगू , ठुकराई, झांतला, धनगांव सहित कई आसपास गांव और बड़े शहरों के लोगों ने उपस्थिति दर्ज कराई। मुनि श्री के समाधि स्थल के लिये नीमच रोड स्थित राजस्थान के मेघनिवास ग्राम में सिंगोली नगर परिषद के पूर्व चेयरमैन अशरफ मेव( गुड्डू) ने जेन समाज द्वारा चाही गई भूमि समाजजनों को निशुल्क उपलब्ध करवाई हैं। जिसके लिए जनप्रतिनिधियों ने उनका सम्मान किया।