फू लों की खेती करने वाले कृषक हरकिया खाळ निवासी अनिल कौशल ने बताया कि वह हमेशा फूलों की खेती करते है और उनकी फव्वारा चौक पर फूलों की दुकान है। अधिकांश बाजार में वह माल सप्लाई करते है। उनका कहना है कि सीजन के दौरान गत वर्ष गेंदा 40 से 50 रुपए किलों तक बिका था। लेकिन इस बार हालत यह है कि 8 से 10 रुपए किलो अभी तक दाम मिल रहें है। इसका कारण यह है कि काफी लोगों ने पिछली बार के बड़े दाम देख कर अधिक मात्रा में बोया है। जिसके कारण दाम नहंीं मिल पा रहे हैं। उत्पादन अधिक हो रहा है। वहीं उद्यानिकी विभाग से फूलों की खेती पर मिलने वाला करीब 8 हजार रुपए अनुदान भी चुनावी आचार संहिता के कारण रूक गया है। फूल की खेती करने वाले किसान के परिवार चलाने के लाले पड़ गए हैं।
तकनीकी से हो खेती
उद्यानिकी अधिकारी की माने तो एक लाल गुट्टी और दूसरी पीली, संतरी व लाल रंग को समेटे गुट्टी। लाल गुट्टी की अपेक्षाकृत ज्यादा मांग रहती है। जनवरी या उसके बाद हाईब्रीड गेंदे की फसल तैयार नहीं होती। ऐसे में शिवरात्रि गुट्टी की मांग खासी बढ़ जाती है। उन दिनों में प्रति किलो गुट्टी से किसानों को 40 से 50 रुपये भी मिल जाते हैं। अगर किसान शिवरात्रि गुट्टी की खेती में आना चाहता है तो अभी से तैयारी करनी पड़ेगी। फ्लोरिकल्चर डिपार्टमेंट के फील्ड ऑफिसर परमदीप सिंह उप्पल की है कि अगर खेत खाली हैं तो शिवरात्रि गुट्टी लगाई जाए। शिवरात्रि के समय इस गुट्टी के फूलों का इस्तेमाल मंदिरों में जमकर होता है। अगर एक कनाल में गुट्टी की खेती करनी है तो करीब 1300 पौधों की जरूरत रहेगी। इस छोटे गेंदे के फूल के पौधे की खासियत यह है कि लंबाई में छोटी होती है मगर इसका पौध खूब फैल जाता है। फूल अधिक लगते हैं।
कृषक हरिराम ने बताया कि फूलों की खेती में एक बीद्या में 20 हजार की दवाई, 6 हजार के बीज, तीन बार निंदाई के 12 हजार रुपए और 5 हजार रुपए की खाद लगती है। इस प्रकार करीब 45 से 50 हजार प्रत्येक बीद्या पर खर्च आ रहा है। पिछली बार तो दाम अच्छे थे। लेकिन इस बार तो काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। अनुदान भी बंद होने से दोगुनी मार किसान पर पड़ी है।
हाईब्रिड फूलों की खेती के लिए कृषको को जागरूक किया गया था। सरकार के अनुसार एक हेक्टयर पर 16 हजार का खर्च आता है। सरकार 8 हजार रुपए अनुदान देती थी। लेकिन आचार संहिता के कारण अनुदान के लाभ से कृषकों को वंचित रहना पड़ रहा है।
– एस कुशवाह, उप संचालक उद्यानिक विभाग नीमच।